Monday 29 December 2014

श्रीनगर। क्या श्रीनगर के रौजाबल में ईसा मसीह की कब्र है।
एक बार तो इस बात पर यकीन नहीं होता। हकीकत में पुराने श्रीनगर के खानयार इलाके में है रौजाबल। इस इमारत 'रौजाबल' को ईसा मसीह की कब्र के नाम से ही जाना जाता है।
यह स्थान गली के नुक्कड़ पर है और पत्थर की इस इमारत के अंदर एक मकबरा है, जहां ईसा मसीह का शव दफन है। ऐसा इस स्थान की देखरेख करने वाले कहते हैं। यह एक रहस्य की बात है कि अखिर ईसा मसीह ने 13 साल से 29 साल तक क्या किया। बाइबल में उनके इन वर्षों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। बताया जाता है कि इस दौरान ईसा मसीह भारत में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। 30 वर्ष की उम्र में येरुशलम लौटकर उन्होंने यूहन्ना (जॉन) से दीक्षा ली।
ज्यादातर विद्वानों के अनुसार सन् 29 ई. को ईसा गधे पर बैठकर येरुशलम गए। वहीं उनको दंडित करने का षड्यंत्र रचा गया। अंतत: उन्हें विरोधियों ने पकड़कर क्रूस पर लटका दिया। उस वक्त उनकी उम्र गभग 33 वर्ष थी। उस समय रविवार को यीशु ने येरुशलम में प्रवेश किया था। इसी दिन को 'पाम संडे' कहते हैं। शुक्रवार को उन्हें सूली दी गई थी इसलिए इसे 'गुड फ्रायडे' कहते हैं और रविवार के दिन सिर्फ एक स्त्री (मेरी मेग्दलेन) ने उन्हें उनकी कब्र के पास जीवित देखा। जीवित देखे जाने की इस घटना को 'ईस्टर' के रूप में मनाया जाता है। उसके बाद यीशु कभी भी यहूदी राज्य में नजर नहीं आए। रौजाबल के नाम से जानी जाती है यह जगह कहा जाता है कि उसके बाद ईसा मसीह पुन: भारत लौट आए थे। इस दौरान उन्होंने भारत भ्रमण कर कश्मीर के बौद्ध और नाथ सम्प्रदाय के मठों में तपस्या की। जिस बौद्ध मठ में उन्होंने 13 से 29 वर्ष की उम्र में शिक्षा ग्रहण की थी उसी मठ में वापस आकर बाकी का जीवन बिताया।
कश्मीर में उनकी समाधि पर बीबीसी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट अनुसार श्रीनगर में इसे 'रौजाबल' के नाम से जाना जाता है। यह स्थान गली के नुक्कड़ पर है। यह पत्थर की बनी एक साधारण इमारत है। इसके अंदर एक मकबरा है। कहते हैं यहां ईसा मसीह का शव दफन है।

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