Friday 18 July 2014


'धर्म बदल लो, टैक्स दो या फिर जान गंवाओ'..ईराक में सुन्नी आतंकी संगठन ISIS का पैगाम ...
इराक में आतंकियों ने अपने कब्जे वाले हिस्से में रहे गैर-इस्लामी लोगों से कहा है कि या तो वे धर्म बदल लें या फिर उन्हें धार्मिक टैक्स दें या फिर जान गंवाने को तैयार रहें। इराक के कई शहरों पर कब्जा कर उसे इस्लामिक स्टेट घोषित करने वाले आतंकियों के निशाने पर मुख्यतः मोसुल शहर में रह रहे ईसाई हैं।
इस्लामिक स्टेट की ओर से बांटे गए बयान में कहा गया है कि यह आदेश शनिवार से लागू हो जाएगा। इसके अलावा शुक्रवार को मोसुल में मस्जिदों से भी चेतावनी जारी की गई कि इस आदेश को न मानने वालों के पास शहर छोड़ने को कुछ ही घंटे हैं। इस डर से मोसुल से भारी संख्या में ईसाई पलायन कर रहे हैं। आतंकी संगठन आईएसआईएस ने करीब एक महीने पहले किए गए हमले में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था।इस खबर में अगर आपको कही ''शांति ,भाईचारा ,इंसानियत .गंगा जामुनी संस्कृति ,अमन का सन्देश ,मानवता ''अदि महसूस हो तो  बताए ...
आदेश में कहा गया है कि जो ईसाई इस्लामिक स्टेट (कैलिफेट) में रहना चाहते हैं, उन्हें एक ऐतिहासिक समझौते को मानना पड़ेगा। 'धीमा' नाम के इस समझौते के तहत मुस्लिम क्षेत्रों में रहने वाले उन गैर-मुस्लिम लोगों को सुरक्षा दी जाती थी जो एक टैक्स 'जजिया ' का भुगतान करते थे।आदेश में कहा गया है- 'हमने उनके लिए तीन रास्ते छोड़े हैं- इस्लाम, धीमा और ये दोनों स्वीकार न हों तो फिर तलवार।'
समाचार साभार ....NBT
अमरनाथ हिन्दू तीर्थ यात्रियों पर मुसलमानों का हमला, एक हिन्दू तीर्थयात्री की मौत, लंगर टेंट में  आग...

अगर ऐसी घटना हज यात्रियों के साथ होती तो दुनिया भर में तहलका मच जाती, भारतीय मीडिया गल्ला फाड-फाड कर चिल्लाती, कांग्रेस सहित सभी सेकुलर गिद्ध हंगामा खड़ा कर देते। अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर हमले की घटना को मीडिया ने सेंसर कर दिया है। 
 पंजाब के पटियाला के हिन्दू जम्मू हाइवे को जाम करने पहुंच। आखिर हिन्दू अपने देश में ही कब तक मार खाता रहेगा, अपमान झेलता रहेगा?
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नासा के पास 60,000 ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियों है जो वे अध्ययन का उपयोग कर रहे हैं) (असत्यापित रिपोर्ट का कहना है कि रूसी, जर्मन, जापानी, अमेरिकी सक्रिय रूप से हमारी पवित्र पुस्तकों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं। दुनिया के 17 देशों में एक या अधिक संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्तकरने के लिए है, लेकिन संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत विश्वविद्यालय इंडिया (भारत) में नहीं है।दुनिया की सभी भाषाओं की माँ संस्कृत है। सभी भाषाएँ (97%) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस भाषा से प्रभावित है।संदर्भ: यूएनओ नासा वैज्ञानिक द्वारा एक रिपोर्ट है कि अमेरिका 6 और 7 वीं पीढ़ी के सुपर कंप्यूटर संस्कृत भाषा पर आधारित बना रहा है जिससे सुपर कंप्यूटर अपनी अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जा सके।परियोजना की समय सीमा 2025 (6 पीढ़ी के लिए) और 2034 (7 वीं पीढ़ी के लिए) है, इसके बाद दुनिया भर में संस्कृत सीखने के लिए एक भाषा क्रांति होगी।
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