Sunday 22 June 2014

प्राकृतिक खनिजो की लूट किस प्रकार की जाती है, इसे पढ़कर जानिए की इसमे कितना पैसा कमाया जाता है, जनता सोचती है उसका क्या जाता है......
1-भारत में खनिजों की लूट नेता-अधिकारी-कम्पनी- मिडिया के एक बहुत मजबूत गठजोड का राष्ट्रद्रोही नतीजा है जिसमे इतना पैसा कमाया जाता है की भारत की पूरी राजनीति को नियंत्रित किया जा सकता है. विदेशो में जमा कालेधन में अधिकाँश हिस्सा इसी लूट से जमा है. भारत में कुल खनिज संपदा का मूल्य 20,000 लाख करोड रुपये है जिसमे कोयला, लोहा, अलुमिनिअम, ग्रेनाईट, सोना, यूरेनियम, थोरियम, हीरा, ग्रेफाईट,चुना पत्थर, मार्बल, ग्रेनाईट,कोटा, पन्ना, हर प्रकार के पत्थर, बालू ऐसे अनगिनत खनिज शामिल है,
2-इनकी खदानों को बाजार मूल्य से दसियों गुना कम कीमत पर कंपनियों को दिया जाता है जैसे जिस समय कोयला 3000/- टन बिक रहा था, उस समय यह कोयला कंपनियों को मात्र 100/- टन में बेचा गया था. यह रेट का भष्टाचार है. सरकारी कंपनियों द्वारा खरीदे जाने के समय कोयला आदि उन्हें कम सप्लाई की जाती है और बिल ज्यादा भुगतान किया जाता है लूट का यह एक तरीका है. आज यू पी में कोयला 9500/- प्रति टन है.
3-सबसे ज्यादा घपला तो खनिज की उठाई गयी मात्रा में किया जाता है जैसे 100 टन उठाया तो 20 टन दिखा दिया, जैसा की अभी रेड्डी भाइयो ने कर्णाटक में किया है. इस प्रकार देखेंगे तो पाएंगे की 100/- रुपये में कंपनी को 15000/- रुपये का माल मिलता है. यही इस लूट की गंभीरता को दिखता है, तभी ये लुटेरे सरकार को खरीद लेते है और जनता दाने दाने को तरसती है.
4-इस लूट के समय खदानों के आस पास के पर्यावरण को सत्यानाश कर दिया जाता है और नियमों के रखवालो को खरीद लिया जाता है. जो नहीं मानता है उसका एक्सीडेंट जरूर हो जाता है.
5-इस लूट में आप रकम का सिर्फ अनुमान लगा सकते है जैसे सिर्फ कोयले में 5 साल में 26 लाख करोड की लूट हुई जिससे की भारत का पूरा विदेशी कर्जा उतारा जा सकता था. यदि खनिजों का दोहन सावधानी से और इमानदारी से किया जाये तो भारत का बच्चा बच्चा 5 साल में ही खुशहाल हो जाये.
6-यह दोहन तो सरकार को ही करना है परन्तु इसे कांग्रेस तो कतई नहीं कर सकती है क्योकि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तो कोयला मंत्रालय उन्ही के पास था, 205000 करोड का इसरो देवास घपला भी पीएम के नियंत्रण में हुआ था. असल में मन मोहन सिंह घपले बाजो के ढाल का काम करते है. यह काम सरकार जानबूझ कर नहीं करती है नहीं तो भारत की जनता खुशहाल हो जायेगी और वह सरकार के बारे सोचना शुरू कर देगी.
7-मन मोहन के समय तो कोयला ऐसे लोगो को बेच दिया गया जो मिडिया की कम्पनिया थी बाद में इन्होने उसे अन्य कंपनी को बेचकर ऐसे पैसा कमाया जैसे की 2 जी स्पेक्ट्रम कमाया गया था.
भारत की जनता सोचती है की उसके बाप का क्या जाता है, लेकिन उसे यह सोचना चाहिए की यदि यही पैसा सरकार के खाते में जाये तो घर घर में खुशहाली 5 साल के अंदर लाई जा सकती है. स्वामी रामदेव जी अपने राष्ट्र धर्म की अपील में हमें यही सन्देश देते है जिसे अब समझने का समय आ चूका है. यदि खनिजों का अच्छी तरह दोहन किया जाये तो महगाई को टैक्स हटाकर बहुत कम किया जा सकता है

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