Wednesday 18 June 2014

आज के सिर्फ ३० साल पहले मिडिल ईस्ट के कई शहर जैसे बेरुत, होम्स, दमास्कस, मोसुल, बगदाद, हेरात, काबुल, आदि व्यापार के बहुत बड़े केंद्र माने जाते थे .. बेरुत विश्व का सोने चांदी का सबसे बड़ा केंद्र था ... पुरे एशिया से लोग इन शहरों में कमाने जाते थे .. महिलाओ को पुरुषो के बराबर आजादी मिली हुई थी .. कही भी बुर्के का नामोनिशान तक नही था ..
लेकिन सबसे पहले ईरान में आयातुलाह खुमैनी ने ईरान के धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील शासक शाह रजा पहलवी के खिलाफ तेहरान विश्वविद्यालय के छात्रों को भड़कार शाह का तख्ता पलट करके ईरान को इस्लामिक राष्ट्र घोषित किया और शरिया कानूनों को लागु किया |
मजे की बात ये की ये आयातुलाह खुमैनी मूल रूप से यूपी का रहने वाला था ... आयातुलाह खुमैनी के दादा सैय्यद अहमद मूसवी हिंदी, सन 1790 में, बाराबंकी के छोटे से गांव किन्तूर में ही जन्मे थे। 40 साल की उम्र में अवध के नवाब के साथ धर्मयात्रा पर इराक गए और वहां से ईरान के धार्मिक स्थलों की ज़ियारत की और ईरान के ख़ुमैन नाम के गांव में जा बसे।
ईरान की इस्लामिक क्रांति से प्रेरणा लेकर लेबनान, सीरिया, ईराक, अफगानिस्तान, फिलिस्तीन यमन, आदि देशो में भी इस्लामिक अतिवादी गुटों ने विद्रोह कर दिया था
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सुन्नी आतंकियों ने इराक स्थित मिडिल ईस्ट की सबसे बड़ी रिफाइनरी जलाकर नष्ट कर दी ... बंदरो के हाथ मलमल का कपड़ा दे दो तो बन्दर उसका क्या हाल करेगा ??
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शांतिदूतो की कैसी भावना है जो म्यांमार के नकली फोटो पर भड़क जाती है .. लेकिन ईराक के असली विडिओ पर भी नही भड़कती ?
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अनीष देसाई
1700 मारो या17 लाख......
कोई चूं नहीं करने वाला.....
मरने वाला भी मुसलमान और 
मारने वाला भी मुसलमान....
न तो सेकुलरिज्म खतरे में है
और न इस्लाम...........

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१. जबसे इस्लाम मज़हब बना है तभी से“शिया और सुन्नी” मुस्लिम एक दूसरे की जान के दुश्मन हैं , यह लोग आपस में लड़ते-मरते रहते हैं ...!!
२. अहमदिया , सलमानी , शेख ,क़ाज़ी , मुहम्मदिया , पठान आदि मुस्लिमों की जातियां हैं , और हंसी की बात !! यह एक ही अल्लाहको मानने वाले एक ही मस्जिद मेंनमाज़ नहीं पढते !!!
सभी जाति यों के लिए अलग अलग मस्जिदें होती हैं .!!
३. सउदी अरब , अरब अमीरात ,ओमान , कतर आदि अन्य अरब राष्ट्रों के मुस्लिम पाकिस्तान, भारत और बंगलादेशी मुस्लिमों से छुआछूत मानते हैं .
४. शेख अपने आपको सबसे उपर मानते हैं और वे किसी अन्य जाति में निकाह नहीं करते .
५. इंडोनेशिया में १०० वर्षों पूर्व अनेकों बौद्ध और हिंदू परिवर्तित होकर मुस्लिम बने थे, इसी कारण से सभी इस्लामिक राष्ट्र ,इंडोनेशिया से घृणा की भावना रखते हैं ..
६. क़ाज़ी मुस्लिम भारतीय मुस्लिमों को मुस्लिम ही नहीं मानते ...क्यूंकि उनका मानना है के यह सब भी हिंदू धर्म से परिवर्तित हैं (actually, this is indeed a fact)!!
७. अफ्रीका महाद्वीप के सभी इस्लामिक राष्ट्र जैसे मोरोक्को , मिस्र , अल्जीरिया ,निजेर , लीबिया , आदि राष्टों के मुस्लिमों को तुर्की के मुस्लिम सबसेनिम्न मानते हैं .
८. सोमालिया जैसे गरीब इस्लामिक राष्ट्रों में अपने बुजुर्गों को जीवित समुद्र में बहाने की प्रथा चल रही है !!!
९. भारत के ही बोहरा मुस्लिम किसी भी मस्जिद में नहीं जाते वो मात्र मज़ारों पे जाते हैं ...उनका विश्वास सूफियों पे है ..अल्लाह पे नहीं !!.
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शिया भी अल्लाह को मानते हैं
सुन्नी भी अल्लाह को मानते हैं
शिया भी कुरान पढ़ते हैं
सुन्नी भी कुरान पढ़ते हैं
शिया भी अल्लाह-हु-अकबर के नारे लगाते हैं
सुन्नी भी अल्लाह-हु-अकबर के नारे
लगाते हैं
लेकिन फिर भी इराक़ मे जो नरसंहार हो रहा है
उसे अंजाम सुन्नी दे रहे हैं और शिया मारे जा रहे
हैं !! है न गजब का शांतिप्रिय मजहब इस्लाम !!!

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अमेरिका द्वारा खड़ी की गयी इराकी सेना को सुन्नी आतंकवादी अमेरिकी हथियारोँ से चुन चुन कर मार रहे हैँ फिर भी अमेरिका चुप ..... दरअसल इसकी पटकथा खुद अमेरिका नेँ ही लिखी है और वो भी खाड़ी युद्ध के ही समय इराक पर कब्जा करनेँ के बाद उसनेँ सोचा की ईरान को भी डरा धमका कर अपनेँ अनरुप कर लेगा जिस प्रकार सउदी अरब व उसके तेल तंत्र पर कब्जा कर लिया है लेकिन ईरान अमरीकी धमकी से न डरा और रुस नेँ भी उसका भरपूर साथ दिया इसी बीच वह परमाणु बम बनानेँ के भी करीब पहुँच गया फिर अमेरिका नेँ शिया बहुल ईरान से निपटनेँ के लिये इराकी सेना मेँ शिया युवाओँ की जबरदस्त भर्ती की लेकिन उनको हथियार हल्के ही दिये और सउदी समर्थित सुन्नी आतंक वादियोँ को भारी हथियारोँ से लैस कर इराकी सेना से भिड़ा दिया जिसके बाद अपनेँ भारी हथियारोँ के दम पर शिया बहुल इराकी सेना को गाजर मूली की तरह काटते हुये एक के बाद एक शहरोँ पर कब्जा करते जा रहे हैँ शिया लोगोँ के हो रहे भयँकर कत्लेआम के बाद आज नहीँ तो निशचित रुप से कल ईरान अपनेँ सैनिक या किसी अन्य दल को सुन्नी आतँकवादियोँ से मुकाबले के लिये भेजेगा और फिर अप्रत्यक्ष रुप मेँ ईरान और अमेरिकी समर्थित सुन्नी आतँकवादियोँ मेँ जंग होनी ही है जिसमेँ अगर ईरान नेँ अपनी वायुसेना का प्रयोग किया तो अमेरिका को भी मानवधिकार के बहानेँ ईरान पर अटैक करनेँ का बहाना मिल जायेगा और फिर तेल पर कब्जे के लिये एक और जंग सुरु होगी एंव तेल की कीमतेँ एक बार फिर काबू से बाहर हो जायेँगी जिसका सबसे ज्यादा असर भारत पर होगा और मोदी रुपी विकास के इंजन की रफ्तार लाख कोशिश करनेँ के बाद भी अपनेँ टाप गियर मेँ न आ पायेगी और देश मेँ देश विरोधी शक्तियोँ को फिर से सत्ता मेँ आनेँ का मौका मिल जायेगा ..... और यही तो अमेरिका चाहता है .........!
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Ghanshyam Raval  अनादि काल से जगत में प्रकृति आधारित धर्म चल रहे थे ,,जो स्वाभाविक रूप से मानवजीवन के साथ ओतप्रोत हो गए थे। जिनके कारन जगत में टकराव की स्थिति पैदा नहीं होती थी। ,,,,लेकिन २००० साल पूर्वे नव धर्मों और सम्प्रदायों की उत्पत्ति होने लगी और धर्म में मानवीय आयोजन और स्वार्थी संगठन-भावना समाने लगी। अब धर्म का संचालन सहज न होते कृत्रिम होता चला जिनका ध्येय मानव कल्याण नहीं लेकिन अर्थ-लालसा होता चला गया ,,,,,,और टकराव की स्थिति पैदा होने लगी !! नव धर्मो के पैदा होते ही प्राचीन प्राकृतिक धर्मों के साथ संगर्ष होने लगा और धर्म के नाम करोड़ों हत्याएं होने लगी ,,कही जगह आर्थिक शोसनखोरी की शरुआत हुयी !! ,,,,दोस्तों ,,,अगर जगत में शांति स्थापना करनी है तो जगत की प्रजा को अपने प्राचीन धर्मों में वपिश आना ही पड़ेगा !! अपने मूल धर्म में वापिश आकर प्रकृति को प्यार करना चाहिए ,,,,यही आंदोलन चलना चाहिए विश्व राजनेताओं को !! श्री मोदीजी को हमारी विनंती है की "प्राचीन मूल धर्म में वापशी" का कार्य एक आंदोलन-यज्ञ की तरह किया जाये ताकि विकास के साथ स्थायी शांति भी बनी रहे !! 
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इराक की जिहाद का नया हैवान ISIS ' सुन्नी आतंकी संगठन ' का चीफ एक जमाने में इराक की एक मस्जिद में मौलवी रह चुका ' ‪#‎अबू_बकर_अल_बगदादी‬ ' अमेरिका द्वारा ' 60 करोड़ ' का घोषित इनामी है ,
ये एक ऐसा हैवान है कि आप विश्वास नहीं करेंगे की जब यह जिहाद के लिए कोई हत्याकांड करवाता है तो इसकी ख्वाहिश रहती है कि हत्यारे आतंकियों के साथ वीडियोग्राफी टीम उसका वीडियो बना कर उसको सारी दुनियाँ में प्रचारित करे निःश्रंस हत्याकांड के वीडियो बनाने का विशेष ध्यान रखा जाता है जिससे जिहाद का खौफ़ सारी दुनियाँ में फैले ,
इस दुर्दांत शैतान का मानना है कि अन्य धर्मो की बात तो बहुत दूर की है पहले तो ' शिया ' ही मुस्लिम नहीं होते और इस सारे संसार से गैर मुस्लिम का नामोनिशान मिटाना ही सारे जिहादियों का मुख्य मजहबी उद्देश्य है ......!!
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