Thursday 8 May 2014

अश्लील सामग्री वाली सभी वेबसाइट्स बंद करना संभव नहीं

 केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि देश में अश्लील सामग्री वाली सभी वेबसाइट्स बंद करना संभव नहीं है। ऐसा करने से बहुत नुकसान होगा क्योंकि जिस साहित्य में ऐसे शब्द होंगे वे भी इंटरनेट पर लोगों को उपलब्ध नहीं हो पाएंगे।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केवी विश्वनाथन ने कहा, इस तरह की सभी वेबसाइटों पर रोक लगाना भारी नुकसान का कारण होगा। इससे अच्छे साहित्य भी ब्लॉक हो जाएंगे और यह बड़े नुकसान का कारण होगा। ऐसी वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के लिए हर कंप्यूटर में एक सॉफ्टवेयर लगाना होगा। सभी कंप्यूटर निर्माताओं को इसके लिए निर्देश देना होगा।
शीर्ष अदालत इंदौर निवासी वकील कमलेश वासवानी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। वासवानी की दलील थी कि अश्लील वीडियो देखना अपराध नहीं लेकिन अश्लील साइट्स पर पाबंदी लगाना चाहिए क्योंकि महिलाओं, लड़कियों व बच्चों के खिलाफ जो अपराध होते हैं उनमें पोर्नोग्राफी की भूमिका उत्प्रेरक की होती है। ऐसे २० करोड़ से अधिक अश्लील वीडियो, क्लिपिंग बाजार में उपलब्ध हैं जो इंटरनेट से डाउनलोड या वीडियो सीडी में कॉपी किए जा सकते है। सेक्स से जुड़ी सामग्री जिन्हें बच्चे भी देखते हैं हिंसक, क्रूर, पथभ्रष्ट करने वाले हैं। ये देश की सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा बन गए हैं। कोर्ट ने गत वर्ष १८ नवंबर को दूरसंचार विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था कि देश में विशेष रूप से बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री वाली वेबसाइट्स पर किस तरह रोक लगाई जाए।
स्त्रोत : जागरण

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