Wednesday 7 May 2014

हजारों हिन्दुओं की लाशें चील कौवो और कुत्ते खा गए




कांग्रेस ने केदारनाथ मे मारे गय हजारोँ तीर्थयात्रियों के शवों को चील कौवो और कुत्तों के खाने के लिए छोर दिया था। टीवी चैनलों पर कांग्रेस के नेताओं ने सरासर झूठ कहा था कि उन शवो के "डी एन ए" सैंपल लेने के बाद दाह संस्कार कर दिया गया था। इस वीडियो को देखे कि कांग्रेस ने क्या किया था हिन्दु श्रदालुओ के शवों के साथ!

जब इंडिया टी वी के पत्रकार पैदल चल कर केदारनाथ पहुँच सकते हैं, तो प्रशासन के लोग क्यों नहीं जा सकते थे? देश भर से राहत सामग्री के भण्डार पहुचाये गए थे। लेकिन ये कांग्रेसी जानबूझ कर पीड़ितों तक नहीं पहुँचने दे रहे थे। जब लोग पानी मे डूब डूब कर अपनी जान दे रहे थे तो उस समय उनको बचाने के बजाये सोनिआ गाँधी सेना का राहतकार्य को रुकवाकर वहा का हवाईं निरीक्छन कर रही थी। एक तरफ़ लोग भूख से अपना दम तोर रहे थे और दुसरि तरफ़ राहत सामग्री खुले में फैंक कर बर्बाद की जा रही थी।
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1989 में कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में राजीव गाँधी ने घोषणा की थी कि “ अगर मिजोरम में कांग्रेस सत्ता में आई तो यहाँ बाईबल के आधार पर शिक्षाए दी जायेगी (?)
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1947 से ही बंगलादेशीयो का भारत में घुसपेठ करना बेरोकटोक जारी है आज इन की संख्या देश में 5 करोड़ नही बल्कि उस से भी बहुत ज्यादा है --
सन् 1947 में जिन्नाह ने कहा था कि, पाकिस्तान तो मिल गया है, असम को भी हम लेकर रहेंगे।
जिन्नाह जानता था कि, जिन लोगों के हाथों में भारत की बागडोर आयी है वो पुरी तरह निकम्मे और नाकारा हैं..
आजादी के बाद से ही योजनानुसार घुसपैंठ का सिलसिला शुरू हो गया था। वोट बैक की राजनीति ने इसे और अधिक प्रोत्साहित किया।
आज भारत में पाँच करोड़ से ज्यादा बंगलादेशी हैं। उनके पास पहचान पत्र के साथ साथ राशनकार्ड भी है।
नवम्बर 92 में जमाते इस्लामी की पत्रिका में एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसके अनुसार भारत के नौ जिले मुस्लिम बहुल थे। 2012 तक आते आतें यह संख्या सौ को पार कर गई है।
आबादी का यह फैलाव भारतीय मुसलमानों के कारण से इतना नहीं है जितना बांग्लादेशी घुसपैठियो की वजह से है ..
सन् 1955 में असम की जनयसख्या मात्रा 33 लाख थी लेकिन 1971 की जनगणना में एक करोड़ पचास लाख से अधिक हो गयी। यह वृद्धि देश की वृद्धि दर से कई गुना अधिक थी।
अकेले बंगाल में ही 56 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहॉ बांग्लादेशी चुनाव तय करते हैं। बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर कई आंदोलन भी हुए पर विदेशी धन से व विदेशी रंडूऔ की मीडिया से सभी को कुचल दिया गया ।
आज ज़रूरत जागने की है, भारत के हिन्दू को..... क्योंकि ये उसके अधिकार पर, उसकी रोटी पर सीधा हमला है....
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मुसलमानो ने जब मुस्लिम बच्चों को ही सुला दिया मौत की नींद
सिरिया हो या पाकिस्तान .. पहले मुसलमान जिस जगह पर रहते हैं वहाँ दूसरे धर्म के लोगों को मार डालते हैं .. फिर जब कोई नही मिलता तो अपने ही लोगो को तू "झूठा मुसलमान" और मैं "सच्चा मुसलमान" कह कर
काटते हैं ..
सिरिया से अच्छा और क्या उदाहरण होगा जहाँ हाल में एक गैस हमले में मुसलमानो ने छोटे छोटे बच्चों तक की हत्या कर डाली .. और वो भी एक दो नही हज़ारों ...में शायद लाखों में .. अब तक लाखों लोगों की हत्या ये लोग आपस मे ही कर चुके हैं .. लड़ाई की वजह क्या है ?
ये लोग बोलते हैं हिंदुओं को कि तुम सब में जाती प्रथा है .. जो ग़लत है लेकिन सीरिया मे लाखों लोगों की हत्या इनकी खुद की जाती प्रथा की वजह से है .. देश में शिया और सुन्नी है..
सुन्नी की संख्या ज़्यादा है पर वहाँ का राजा शिया समुदाय से बना हुआ एक आदमी है जो सुन्नी को बर्दाश्त नही हो रहा क्यूँ की सुन्नी जाति के लोगों का कहना है की जब हमारी जनसंख्या ज़्यादा है तो शिया का कोई आदमी प्रधानमंत्री कैसे बन बन सकता है ?
बस यही है लाखों लोगों के मरने की वजह जो अभी भी चालू ही है.. तस्वीर देखिए कैसे बच्चों को भी मार डाला इन लोगों ने इस्लाम की वजह से ..बच्चे भी कैसे मार रहे हैं .. बहुत दर्दनाक है .. ऑक्सफर्ड रिसर्च ग्रुप की एक रिपोर्ट से इस बात का पता चला है।
रिपोर्ट के हिसाब से इन्होने एक साल के बच्चे को भी निशाना बना कर मार डाला ....
17 साल से कम के 25000 के आस पास बच्चों और किशोरों की मौत हुई, जिनमें से 389 तो स्नाइपर (rifle) की गोलियों का शिकार बने।
बच्चों को जिनमें नवजात भी थे, यातनाएं दी गईं।
बच्चे ऐसे समय में बम हमलों का शिकार हुए जब वह स्कूल में थे या खाने की कतार में खड़े थे।
कुछ ही समय पहले सरकार ने भी इन मुसलमानो पर रसायनिक हमले कर दिए .. जिस में सेना ने टॉक्सिक गैस का इस्तेमाल किया है। जो जहाँ थे वही दम घुटने की वजह तड़प तड़प कर मरे... माँ और बाप बच्चों को बचाने का प्रयास करते रहे पर हवा में फैलने की वजह से कोई नही बचा .. पूरा का पूरा शहर एक बार में शमशान बन गया ..क्या औरत क्या पुरुष और क्या बच्चे .. इस्लाम की खूनी विचारधारा की वजह से सबको दर्दनाक मौत की सज़ा मिली .. आख़िर कोई भी मुसलमान इस पर कुछ क्यूँ नही बोलता .. ?
क्यूँ की दुनिया में ज़्यादा सुन्नी मुसलमान है और उनको
लगता है जो हो रहा है वो ठीक है..
जाति प्रथा में ऐसा खून ख़राबा किसी ने कहीं नही देखा होगा .. इसे
मोहब्बत का पैगाम कहा जाए या इस्लाम की दरिंदगी ?
सेक्युलर भाइयों जब अपनो को नही छोड़ ते तो तुम्हे क्या छोड़ेंगे .. ये तो बस अपनी जनसंख्या तुम से ज़्यादा होने के इंतेज़ार में बैठे हैं










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