Friday 14 March 2014

विद्यार्थीयोंपर कुसंस्कार करनेवाली एन.सी.ई.आर.टी. !

आषाढ कृष्ण १०, कलियुग वर्ष ५११५
 
एन.सी.ई.आर.टी. (राष्ट्रीय शिक्षा संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्था) की पाठ्यपुस्तकोंमें निधर्मी, हिंदूद्रोही तथा धर्मांधोंके पक्षमें लिखे हुए पाठ पढाए जाते हैं । पाश्चात्त्योंके कुसंस्कार अंकित करनेवाला, कांग्रेसी शासनकर्ताओंकी चापलूसी करनेवाला, केवल अर्थहीन लेखन किया जाता है । अत: पाश्चात्त्य विचारोंसे प्रभावित, धर्मांधोंके इतिहासको श्रेष्ठ समझनेवाली शिक्षा लेकर भविष्य बनाने चली भारतकी युवा पीढी अपनी मिट्टीसे, संस्कारोंसे पूर्णतः अलग तथा राष्ट्र एवं धर्म द्वेषी होकर बाहर निकलती हैं । उसे हिंदू देवता, धर्म, संस्कृति, इतिहास इनके संदर्भमें अनुचित जानकारी देकर उन विषयोमें तिरस्कार उत्पन्न हो, ऐसी व्यवस्था यह पाठ्यक्रम सिद्ध करनेवाली चौकडीद्वारा तथा उन्हें मनोनीत करनेवाले निधर्मी कांग्रेसी प्रशासनद्वारा की गई है । इन पाठ्यपुस्तकोंमें ऊपर निर्देशित सूत्र किस प्रकार आए हैं, इसके कुछ उदाहरण आगे दे रहे हैं ।
१. एन.सी.ई.आर.टी.की पुस्तकोंमें विद्यार्थिनी सौंदर्यप्रसाधनोंका उपयोग करें, ऐसी सूचना दी गई है !
२. पाठ्यपुस्तकोंमें सिगरेटका निर्देश ! : शासन धूम्रपान करनेके विषयमें बंदीके कठोर नियम बनाती है; विंâतु पाठ्यपुस्तकमें गोपाल जेबसे सिगरेटकी डिबिया निकालकर उसमेंसे सिगारेट सुलगाता है, ऐसा पढाया जाता है । (पालको, आपके बच्चोंपर ऐसे कुसंस्कार करनेवाली पाठ्यपुस्तक मंडलसे यदि आपने उत्तर नहीं मांगा, तो कल आपके बच्चे आपके सामने धूम्रपान करेंगे, यह ध्यानमें रखें ! - संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. हिंदूद्वेषी चित्रकार हुसेनके चित्रोंकी प्रशंसा : कक्षा ११ वींकी हिंदीके आरोहमें पृष्ठ क्रमांक १२६ पर विद्यार्थियोंको चित्रकार हुसेन द्वारा बनाए गए चित्र प्राप्त करने हेतु ‘इंटरनेट’ अथवा ‘आर्ट गैलरी’ से संपर्वâ करनेकी शिक्षा दी गई है । हुसेन प्रसिद्धि हेतु हिंदू देवताओंके नग्न चित्र बनाते थे, यह बात सारी दुनिया जानती है । (धर्मांध एवं ईसाईयोंकी धर्मभावनाओंको ठेस पहुंचानेवाले चित्र किसी एक स्थानपर देखने हेतु मिलेंगे, क्या मंडल  पाठ्यक्रममें ऐसे लेख समाविष्ट करनेका साहस करेगा ? हिंदुओंके संवेदनशील न होनेके कारण धर्मद्रोही ऐसे कृत्य करनेका साहस  करते हैं ! - संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. कक्षा छठींके इतिहासकी पुस्तकमें पृष्ठ क्रमांक ४० तथा ४१ पर हमारे पूर्वज गायका मांस खाते थे, ऐसा निर्देश किया गया है ।
५. ११ कक्षाके प्राचीन भारत पुस्तकमें पृष्ठ क्रमांक ७० पर आर्योंने इस देशपर आक्रमण किया तथा वे देशके रहिवासी बने, ऐसा निर्देश है । ( यह है एन.सी.ई.आर.टी. का इतिहासद्रोही स्वरूप ! ऐसा ही निर्देश अमेरिका स्थित शिक्षा मंडल द्वारा ऐसा ही निर्देश देनेपर, कैलिफोर्नियाके जागृत हिंदुओंने अमेरिकाके प्रशासनके विरोधमें आंदोलन छेडा था । वहांके हिंदू विद्यााqर्थयोंने यह घटना न्यायालयमें प्रस्तुत की । इस आंदोलनको  `हिंदू अमेरिकन फोरम’  अमेरिकाके इस धर्माभिमानी संगठनद्वारा पूरी सहायता की गई । हाल ही में न्यायालयद्वारा प्रस्तुत विधान अमेरिकाके इतिहासकी पुस्तकसे निरस्त करनेका आदेश दिया गया है । अमेरिकाके धर्माभिमानी हिंदूजैसे भारतीय हिंदू जिस दिन जागृत होंगे, वह सुदिन ! - संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
६. कहते हैं रामायण एवं महाभारत काल्पनिक गाथा ! : इसी पुस्तकमें पृष्ठ १६ पर रामायण एवं महाभारत काल्पनिक गाथा हैं, ऐसा निर्देश है । ( यह है एन.सी.ई.आर.टी.का  धर्मद्रोही स्वरूप ! हिंदुओ, खुदाई तथा विज्ञानद्वारा राम, कृष्ण आदिके प्रमाण नहीं मिलते, ऐसा समझना, इसे अधूरा विज्ञान कहें या उस विज्ञानके आधारपर रामायण, महाभारतका आqस्तत्व नहीं है, राम, कृष्ण काल्पनिक हैं, ऐसा समझनेवाले ओछी बुद्धिके बुद्धिवादी एन.सी.ई.आर.टी. के संशोधक उत्तरदायी हैं ? - संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

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