Thursday 6 February 2014

ट्रान्सफर न हो इसके लिए

सभि सरकारी अधिकारी एक बात से बहुत परीशान रहते है वो है ट्रान्सफर (Transfer), की कहीं ट्रान्सफर न हो जाये हमारा, एक हि चिंता उनको जिन्दगी भर रहती है के कहीं ट्रान्सफर न हो जाये | राजीव भाई कहते है उनके पिताजी भी बड़े सरकारी अधिकारी रहे वो भी हमेशा एक हि चीज के हमेशा चिंता करते थे वो है ट्रान्सफर, बाकि उन्हें कोई चिंता नही थी देश भाड़ मे जाये चूले मे जाये नरक मेजाये लेकिन भाई ट्रान्सफर नही होना चाहिए | और उनके पिताजी हमेशा जो हायर ऑफिसर्स थे उनको खुश करने मे लगे रहते थे के यह कहीं ट्रान्सफर न करादे मेरा | तो उनको सबसे बड़ा डर लगता था ट्रान्सफर का | एकबार जब राजीव भाई ने अपने पिताजी से पूछा के आपको ट्रान्सफर से इतना क्यों डर लगता है तो वे कहने लगे के “हर तिन साल मे ट्रान्सफर का नियम है, तो अगर CR ठीक नही रहे ऑफिसर्स बराबर नही हो तो कर देगा ट्रान्सफर, तो कहीं भी जाना पड़ेगा | हो सकता है अगरतला जाना पड़े, सिक्किम जाना पड़े, हो सकता मद्रास जाना पड़े और मैं नही जाना चाहता, अपने परिवार से दूर नही होना चाहता |”

तो ट्रान्सफर न हो इसके लिए वे सब घोटाले करने को तैयार है बस ट्रान्सफर नही होना चाहिए | रिश्वत देनी है रिश्वत भी देंगे, चापलूसी करनी है तो किसी की चापलूसी भी करेंगे, उसके घर मे जाके कुछ काम भी करना पड़ा तो कर के आएंगे हायर ऑफिसर का लेकिन ट्रान्सफर नही होना चाहिए |

तो राजीव भाई ने एकबार यह समझने की कौसिश किया के हर अधिकारी ट्रान्सफर से डरता है तो इसका इतिहास क्या है ? तो उनको पता चला के अंग्रेजो ने एक कानून बनाया 1860 मे जिसको हम कहते है Indian Civil Services Act . इसी करूँ के आधार पर डिस्ट्रिक्ट मजिष्ट्रेट या कमिश्नर जैसे लोगों की नियुक्ति होती है और उसके आधार पर परीक्षा होती है | तो वो कानून जब 1860 मे बना था तो उसके तिन साल पहले 1857 मे भारत मे ग़दर हो गया था विद्रोह हो गया था | अब हुअ क्या था 1857 के विद्रोह मे अंग्रेजो को सबसे जादा परिशानी उन हिन्दुस्तानियों से हुई थी जो अंग्रेजों की सरकार मे नौकरी करते थे | सबसे जादा परीशान उन्होंने हि किया था अंग्रेजों को |

आप एक नाम जानते है मंगल पण्डे, वो कौन था ? वो एक हिन्दुस्तानी था जो फौज मे नौकरी करता था | तो मंगल पण्डे कोई एकला नही था ऐसे सैकड़ो सैकड़ो लोग थे जिन्होंने अंग्रेजो को परीशान कर दिया था | मंगल पण्डे ने क्या किया था ? एक अपने से बड़े पुलिस ऑफिसर को गोली मार दी | और प्रश्न क्या था ? वो गाय की चर्बी के कार्तुज का मामला था, मंगल पण्डे को एकदिन पता चला के उसे कार्तुज मुह से खोलना पड़ेगा उसमे गाय की चर्बी है जो उनके धर्म के विरुद्ध है ज अंग्रेज अधिकारी मुझे इसके लिए मजबूर करेगा उसको में मार दूंगा, तो उन्होंने मार दिया एकदिन | जब उन्होंने मार दिया तो आग की तरह यह बात फ़ैल गयी, और जब अंग्रेजो ने मंगल पण्डे का कोर्ट मार्शल किया तो तत्काल पुरे देश मे एक लहर फ़ैल गयी और जहाँ भी अंग्रेजो की सरकार ने काम करने वाले सरकारी कर्मचारी जो हिन्दुस्तानी थे उन्होंने बगावत कर दिया | वो बगावत इतनी भयंकर थी की अंग्रेजों को उसे कण्ट्रोल करने के लिए आर्मी बुलानी पड़ी इंग्लैंड से, स्पेशल आर्मी आई | और उस आर्य ने किसी तरह से भयंकर नरसंहार करके लोगों को मारा पिटा, यातनाये दिया तब जाकर उन्होंने उसको कण्ट्रोल किया |

जैसे हि बगावत कण्ट्रोल हुआ तो ब्रिटिश पारलियामेंट पर चर्चा शुरू हुई इस बात पर के भविष्य मे ऐसी घटना और न हो उसके लिए कुछ करो | तो टीम भेजी गयी इंग्लैंड से, वो टीम हिन्दुस्तान मे आई उसने दौरा किया, दौरा करने के बाद उसने रिपोर्ट बनाई और उसमे उन्होंने कहा के हमे कुछ ऐसे नियम बनाने चाहिए के भारत का कोई भी व्यक्ति अंग्रेजो की सरकार मे जब नौकरी करे तो बगावत न करें हमारे खिलाफ | तो इसके लिए कमिटी बनाई गयी तो कमिटी ने कुछ Recommendations दिए | जैसे उन्होंने एक मे कहा के भारत मे कोई भी कर्मचारी जो भारतीय है और अंग्रेजो की नौकरी कर रहा है उसको किसी ऐसे स्थान पर पोस्टिंग नही करनी चाहिये जो उसका अपना स्थान हो | दूसरा नियम इसमें यह बनाया गया के जिस कर्मचारी को आप पोस्टिंग दे रहे वो लगातार एक हि स्थान पर जादा समय नही रहना चाहिए, नहीं तो वो उहाँ के लोगों से दोस्ती कर लेगा और अंग्रेजो के खिलाफ बगावत कर देगा | तो उन्होंने समय तैय कर लिया के देखो छय महिना ट्रान्सफर का आना जाना और सेटल होना, दो ढाई साल काम का तो उन्होंने तिन साल का पीरियड तैय किया के एक सरकारी कर्मचारी को तिन साल से जादा पोस्टिंग एक स्थान पर नही मिलनी चाहिए | फिर ऐसे ढेर सारे नियम उन्होंने बना दिए उसके आधार पर देश मे सर्विस रूल्स (Service Rules) बने और वोलागु हुए |

वोही सर्विस रूल्स (Service Rules) जो 1860 मे बने थे वो आज भी चल रहे है .... के आप तिन साल से जादा एक जगह मे नही रहेंगे और अपने गाँव मे आपको पोस्टिंग कभी भी नही मिलेगा | यह जो अधिकारी ट्रान्सफर लेके दूसरी जगा जाते है जिस जगा का उनको भाषा नही पता, भूगोल नही पता, इतिहास नही पता, संस्कृति नही पता वो कहते है के एक साल तो उनको समझने मे लगता है | फिर वो एक साल काम करते है और तीसरे साल तैयारी करते है की अब ट्रान्सफर होने वाला है | अब अंग्रेजो ने यह कानून बनाया के उनके खिलाफ कोई बगावत न हो जाये पर वोही कानून क्यों आज़ादी के 65 साल बाद भी चला रहे है ? अब हमें किस बगावत का डर है ? क्यों हर तिन साल मे ट्रान्सफर होना चाहिए और क्यों यह हमको पोस्टिंग उसि जगह नही मिलना चाहिए जो हमारा गाँव है ? 

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