Friday 31 January 2014

* हद है मानसिक गुलामी की *

* हद है मानसिक गुलामी की *

दुःख की बात है की जिस देश में हमें रोज सुबह शाम ताज़े टमाटर मिलते हैं, जिनकी हम सुलभता से चटनी बना सकते है। वहाँ हम महीनों पुराना 'सॉस' खाते है और कोई पूछे तो कहते है "इट्स डिफरेंट"।
ताज़े टमाटर हम लें तो 15 से 20 रू॰ किलो एवं 3-3 महीने पुराना 'विदेशी सॉस' ले 150 से 200 रु॰ किलो जिसमें प्रिज़र्वेटीव मिले हो जो हानिकारक होते है, तो यह है डिफरेंस अर्थात मूर्खता की पराकाष्ठा जो है वह हमने लाँघ ली है।

Nestle(Maggi), Brook Bond (Kissan), H. J. Heinz, Delmonte, Brown & Polson, Wake Peeled आदि विदेशी कंपनियां जो भारत में सिर्फ चटनी बेचकर करोड़ों कमा रही हैं और हम देश को लुटवाकर 'भारत माता की जय' बोल रहे हैं। 

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