Friday 6 December 2013

यह कोई काल्पनिक किस्सा या कहानी नहीं


एक नदी के बीचों-बीच एक मंदिर था, उस मंदिर पर भगवा झंडा लहराता था, लेकिन अब वो झंडा बहुत ही पुराना, मेला और फटा-खुचा सा हो चुका था इसलिए उसे बदलने का वक्त आ चुका था, परन्तु उस नदी के बीचों-बीच स्तिथ उस मंदिर को घेरे हुए थे..
सैकड़ों मगरमच्छ, उस मंदिर के चारो ओर मौजूद मगरमच्छों के कारण गाँव में किसी कि भी हिम्मत नहीं हो रही थी नदी में उतरकर उस भगवा ध्वज को बदलकर उसके स्थान पर नया भगवा ध्वज लहराने कि, खुद को मर्द कहने वाले गाँव के सभी लोग चुपचाप उस नदी के किनारे पर खड़े थे लेकिन नदी में उतरने को कोई तैयार नहीं था आखिर अपने प्राण सभी को प्यारे थे, उसी समय एक 12 साल का बच्चा वहाँ आया, उसके मन में शुरू से ही भगवा के प्रति अपार श्रद्धा थी, जैसे ही उसे सारी बात का पता चला तो उसी समय बिना कुछ सोचे और बिना अपने प्राणों कि परवाह किये वो 12 साल का बच्चा भगवा झंडा लेकर नदी में कूद पड़ा, मात्र 12 साल का वो बालक उन मगरमच्छों से लड़ता हुआ नदी के बीचों-बीच स्तिथ उस मंदिर तक पहुंचा और उस बालक ने ध्वज को बदल डाला, सारा गाँव उस बालक कि जय-जयकार के नारों से गूँज उठा..

यह कोई काल्पनिक किस्सा या कहानी नहीं बल्कि आज से 50 साल पहले गुजरात के वडनगर में घटी एक सत्य घटना है और क्या आप बता सकते हैं कि वो 12 साल का बच्चा कौन था??
इस बेख़ौफ़ बालक का नाम था नरेंद्र दामोदर दास मोदी जिन्हें कि आज आप और हम गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री के रूप में जानते हैं..

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