Tuesday 26 November 2013

तरल डीज़ल की जगह उसे गर्म कर डीज़ल की वाष्प

मित्रों अब मै एक ऐसे यंत्र के बारे में बताने जा रहा हूँ ..भारत में यदि यह तकनीक इस्तेमाल करे तो बाहर से तेल नहीं मांगना पड़ेगा ...१९८० में एक आविष्कार अमेरिका के पेटेंट आफिस में आया था ..उसके बाद उस व्यक्ति की हत्या कर दी गयी और उस अविष्कार को दबा दिया गया ..उसका सारांश ये है ...डीज़ल इंजन में तरल डीज़ल जलाया जाता है ..उसमे थोडा स बदलाव कर के तरल डीज़ल की जगह उसे गर्म कर डीज़ल की वाष्प (भाप) को भेज कर जलया गया ..डीज़ल को गर्म कर के भाप बनने पर उसक आयतन १५० गुण बढ़ जाता है ..और उस एक लीटर तरल डीज़ल से उत्पन्न भाप से इंजिन लगभग 150-200 की मी /लीटर चल सकता है ..इसी तकनीक क उपयोग मिटटी के तेल के चूल्हों में भी किया जाता है ...एक और तकनीक से डीज़ल को गर्म कर के कैटलिस्ट के द्वारा "PYROLYSIS" या "CRACKING" नामक प्रक्रिया से मीथेन प्रोपेन ब्यूटेन गैस में विभक्त किया जाता है इस प्रक्रिया से एक लीटर डीज़ल से ३०० किलोमीटर तक माइलेज आएगी ..इस तरह के कई यंत्रो का आविष्कार हो चुका है कई देशो में ...लेकिन एक अंतर्राष्ट्रीय चाल के तहत उन्हें दबा दिया जाता है ..यदि इस तरह के यंत्र बाजार में आगये तो विश्व में अमेरिका यूरोप आदि देशो का कच्चे तेल पर से नियंत्रण समाप्त हो जाएगा ..वे ऐसा नहीं होने देंगे ये "सारे विश्व के सरकारों और तेल कंपनियों का देशद्रोह नहीं बल्कि विश्वद्रोह और प्रुथ्विद्रोह है" ..विश्व के ऐसे अनेक पेटेंट आफिसों में ऐसे आविष्कार भरे पड़े है .. उदहारण के लिए इसे देखियेhttp://www.youtube.com/watch?v=QMQqnaWUA98&feature=related

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