Friday 15 November 2013

"मी नथुराम बोलतोय"




मराठी में गांधी को लेकर प्रमुखता से तीन नाटक लिखे गए... पहला था "गांधी विरुद्ध गांधी", दूसरा था "गांधी और आंबेडकर" और तीसरा था "मी नथुराम बोलतोय". पहले नाटक में गांधी पिता-पुत्र का वैचारिक संघर्ष दिखाया गया था, जिसमें पुत्र गांधी अपने महात्मा(?) पिता को जमकर खरी-खोटी सुनाते हैं... इस नाटक का कहीं कोई विरोध नहीं हुआ... (कौन करता?)

दूसरे नाटक में आंबेडकर और गांधी के बीच मतभेदों को उजागर किया गया था, एक स्थान पर आंबेडकर कहते हैं "बंद करो ये तुम्हारे नौटंकी भरे अनशन-वनशन, इससे आजादी मिलने वाली नहीं है"... (ज़ाहिर है कि आंबेडकर का नाम जुड़ा होने से किसकी हिम्मत होती, नाटक का विरोध करने की.. यह भी आराम से मंचित हुआ)...

कांग्रेसियों को, सेकुलरों को, गांधीवादियों को, ब्राह्मण-विरोधियों को सारी तकलीफ तीसरे नाटक "मी नथुराम बोलतोय" से हुई, जबकि पूरे नाटक में गांधी के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं कहा गया था... लेकिन "विचारधारा" से घबराने वालों ने इस नाटक को बैन किया. दूसरों को "फासिस्ट" कहने वालों ने इस नाटक को मंचित नहीं होने दिया था. अपने आकाओं के इशारे पर सेंसर बोर्ड में बैठे "वैचारिक पंगुओं" ने नाटक को सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया. लेकिन अंततः जीत सत्य की ही हुई, सुप्रीम कोर्ट तक चली लड़ाई के बाद इस नाटक को हरी झंडी दी गई, और इस नाटक ने महाराष्ट्र में सुपरहिट होने का इतिहास रचा...
गांधी-गांधी जपने वाले कांग्रेसियों ने "नथुराम" नाटक को बैन किया, ब्राह्मणों को मारा, फिर सिखों को मारा, उसके बाद तस्लीमा नसरीन और सलमान रश्दी को भी बैन किया, इनके शासनकाल में पचास साल में ८००० दंगे हुए जिसमें सैकड़ों हिन्दू-मुसलमान मारे गए...

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कभी हमारी सीमाएं सिंध पार से ब्रह्मदेश तक थीं...
जनसंख्या असंतुलन के कारण सीमाए सिकुड़ती जा रही है, ७१२ सन मे मुहम्मद्बिन कासिम क़ा भारत पर हमला हुआ महाराजा दाहिर ने सफलता पुर्बक मुकबला किया कुछ कारणों से पराजय क़ा मुख देखना पड़ा जिसका परिणाम हम आज तक भुगतरहे है ४०० वर्ष मतान्तरण परिणाम १०७६ में अफगानिस्तान के रूप में एक मुस्लिम देश बना,
1947 में २४ प्रतिशत मुसलमानों ने ३० प्रतिशत जमीन और देश का उस वक्त का सारा नकद रुपया लिया और गांधी जैसे ने देकर पाकिस्तान बनाया ...
फिर भी भारत ९ प्रतिशत मुसलमान योजना बद्ध बढ गए जो आज १३.४ प्रतिशत हो गए है.

घुसपैठ---------
भारत में मुस्लिम जनसँख्या बृद्धि क़ा बहुतबड़ा कारण घुसपैठ है,
यह किसी काफ़िर देश में मुस्लिम संख्या बढ़ाने क़ा एक हथियार है आज पूरा यूरोप आब्रजन से परेशान है तो हमारा देश भी इस समस्या से अछूता नही है बंगलादेश से हो रही घुसपैठ राष्ट्र के लिए चुनौती बनकर खड़ा है, असम के एक पूर्ब राज्यपाल कि रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन ७ हज़ार घुसपैठिये भारत में प्रबेश करते है इस कारण सीमावर्ती जिले तेजी से मुस्लिम बहुल हो जा रहे है ...
पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI तथा बंगलादेश की सरकार संयुक्त रूप से 'ग्रेटर बंगलादेश' नमक योजना पर लम्बे समय से काम कर रहे है परिणाम स्वरुप बंगलादेश की सीमा से लगे हुए असं के ११, प.बंगाल के ९, बिहार के ६ तथा झारखण्ड के ३ जिले मुस्लिम बहुल हो गये है, प.बंगाल के ३८००० गावो में से ८०० गाव पूर्णतय हिन्दू बिहीन हो गाये है ये घुसपैठिये स्थानीय मुसलमानों से मिलकर हिन्दू को भगाने में सहयोग करते है, प.बंगाल के १० लोकसभा सीट यानि ७० बिधानसभा क्षेत्रो की स्थित मुसलमान निर्णायक बन गया है, २४ परगना में मुसलमानों की संख्या ५४ प्रतिशात, नदिया ४८ प्रतिशत, मुर्शिदाबाद ५२, मालदा ५४, प. दीनापुर के इस्लामी तहसील में ६० प्रतिशत हो गयी है ... कमोवेश यही स्थित बिहार की भी है.
अल्जीरिया के राष्ट्रपति बोमेरियां ने एकबार कहा था कि 'हमारी औरतो के गर्भ ही हमें विजय दिलायेगे' इसी स्प्द्धंत पर आज का मुसलमान काम कर रहा है, बंगलादेश से आने वाले घुसपैठिये अधिकाधिक बच्चे पैदा करना और अवादी बढ़ाना, बंगलादेश से हो रही इस अबैध आब्रजन से केवल बंगाल, असम व बिहार ही नहीं पुर्बोत्तर और दुसरे राज्य भी त्रिपुरा, मानिपुर भी पीड़ित है, असम में पहली बार जनगणना १८७१ में हुई उस समय वह कि हिन्दू आबादी ९४.५% थी तथा मुस्लिम आबादीमात्र ५ % थी असम में २००१ की जनगणना केअनुसार हिन्दू आबादी घटकर मात्र६४.४०% तथा मुस्लिम आबादी बढकर ३३% हो गयी है.
चिकेन नेक--------सिलिगुड़ि गलियारा जो पुर्बोत्तर को शेष भारत को जोड़ता है यह भू भाग सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्यों की इसी के साथ बंगलादेश की ४२४ की.मी., नेपाल की १४९ कि.मी. तथा भूटान की २०२ किमि.सीमा जुडती है इस घुसपैठ के कारन इस गलियारे के बिभिन्न इलाके में मुस्लिमसंख्या तेजी से बढ़ी है, मस्जिद, मदरसों की बढ़ सी आ गयी है, गृह मंत्रालय आज से दस वर्ष पूर्व की प्रकाशित रिपोर्ट केअनुसार बंग्लादेश से सटे भारतीय इलाको में १३१४ मस्जिदे व मदरसे संचालित किये जा रहे है, जिसके लिए दुनिया भर के इस्लामिक देशो से आर्थिक सहायत आती है.

राष्ट्रीय नेताओ की घुसपैठ सम्बन्धी स्वीकारोक्ति---
१- जनरल यस.के. सिन्हा [पूर्व राज्यपालअसम ] ---राष्ट्रपति को पत्र लिख कर एक रिपोर्ट में कहा की घुसपैठ के कारन असमिया लोग अल्पमत हो गए है .

२- अजय सिंह [पूर्व राज्यपाल असम ]-----हरदिन असम में बंगला देश की सीमासे सात हज़ार लोग घुसपैठ करते है.

३- १९९७ के तत्कालीन गृहमंत्री इन्द्रजीत गुप्ता ६ मई को दिए गये एक बयान में कहा की भारत में एक करोड बंगलादेशी है.

४- असम के मुख्यमंत्री हितेस्वर सैकिया ने १९९२ में स्वीकार किया था की असम में ३० लाख घुसपैठिया है.

५- पूर्व गृहमंत्री p .m .शयीद ने भी बंगला देशी घुसपैठ की बात स्वीकार किया था.


भारत की राजनीति परप्रभाव------------
आज असम, बंगाल, बिहार व झारखण्ड के सीमावर्ती क्षेत्रो में अबैध घुस आये बंगलादेशियो ने मतदाता सूचि में अपना नाम दर्ज करा लिया है प.बंगाल की ७० और पुर्बोत्तर की 80 सीटों को ये प्रभावित करते है, असम के १२६ में से ४६सीटो पर ये निर्णायक भूमिका में है.घुसपैठ केकारन असम की ८२ लाख हेक्टेयरभूमि इनके कब्जे में है. ये गोमांस की तस्करी,अबैध हथियार , जाली नोटों का ब्यापार, मादक व नशीले पदार्थो की तस्करी, देहब्यापार, सिक्को की तस्करी कर भारत को कमजोर कर रहे है.
सिर्फ चिकन नेक पट्टी पर बिगत कुछ वर्षो में १८०० मदर से खुले है,
१९९१ में बंगला देश के एक अख़बार द मार्निंग ढाका ने एक रिपोर्ट में छपा की बाग्लादेश से एक करोड लोग लापता हो गए है. यानि १९८१ से १९९१ तक एक करोड लोग भारत घुस गए.
बंगाल की मुस्लिम आबादी-----------[२००१ की जनगणना ]
१- मुर्शिदाबाद ---- 63%,
२- मालदा-- 49.७०%,
३-- द. व u. दीनापुर -- 38.४%,
४-- द. चौबीस परगना ---- ३३.२%,
५--u.चौबीस परगना -- २४.२% तथा
६-- नदिया में 25.४१% हो गयी है.

असम में मुस्लिम आबादी [२००१जनगणना]
१- धुबटी ----------७४.३%,
२-ग्वालपाड़ा------५३.६%,
३-हेलाकड़ी -----५७.६%,
४- करीमगंज------५२.३% ,
५--- कघर---- ३६%,
६--नवगाव ----- ५१%,
७-- मलिगव---- ४७.६%,
८- बर्पेथा-----५५.४१%,
९ -दरांग-----३५.६७%.-----

२००१ की जनगणना के अनुसार प.बंगाल की मुस्लिम संख्या २८% थी व असम में३१% हो चुकी है, बर्तमान में एक अनुमान के अनुसार भारत में ३.५ करोड बंगलादेशी घुसपैठिये है, २००० में एक रिपोर्ट के अनुसार केवल दिल्ली में १३ लाख बंगलादेशी है. तीब्र मुस्लिम जनसँख्या बृद्धि परिणाम स्वरुप इस्लाम के आगमन से आज तक भारत की सीमा लगातार सिकुड़ती जा रही है. १३७८ में---- इरान भारत से अलग हुआ १७६१ में ----अफगानिस्तान १९४७ में ----पाकिस्तान १९४७ में --- आधा कश्मीर १९५२ में----- आजाद कश्मीर ---

मो. अली जिन्ना ने कहा था भारत के बिभाजन का बिज तो उसी दिन पैड गया था जिस दिन यहाँ पहला हिन्दू मुसलमान बना था .मदरसों व मस्जिदों की बढती तादात---- सीमा प्रबंधन पर केंद्रीय गृह मंत्रालय कार्यदल कि एक रिपोर्ट भारत बंगलादेश तथा नेपाल भारत की सीमा पर हो रहे जनसँख्या असंतुलन पर चिंता जताई गयी थी कहा गया था की हाल में बिहार व बंगालमें मस्जिद व मदरसों की संख्या अप्रत्यासित रूप से बढ़ी है, देश में २००४ में पंजीकृत १००० मदरसे थे... जब कि मस्जिदों में एक लाख से अधिक मदरसे चल रहे थे, २००२ में तत्कालीन गृहमंत्री विद्यासागर राव ने कहा था मस्जिदों में चल रहे मदरसों पर नज़र रखी जाये तथा इन मदरसों को पंजीकृत करने में सावधानी बर्ती जाय उनके द्वरा कराये अध्ययन के अनुसार देश के १२ सीमांत प्रदेशो में ११४५३ मदरसे आईएसआई के जरिये चलाये जा रहे है .

इस रिपोर्ट को पढने और समझने के बाद अब यदि हाथ पर हाथ रखकर किसी चमत्कार का इन्तजार कर रहर हो तो.... तुम एक निहायत नालायक कायर और देशद्रोही इंसान हो... 

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कोर्ट की मुहर से गायब ‘सत्यमेव जयते’
न्याय के मंदिर का सबसे चर्चित शब्द है ‘सत्यमेव जयते’।
भारतीय संविधान में यह व्यवस्था दी गई है कि सरकारी मुहर एवं अदालती
फैसले के लिए प्रयुक्त होने वाली मुहर में अशोक स्तंभ का चतुमरुख सिंह 
प्रतीक चिह्न् के रूप में प्रयोग किया जाएगा और इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा जाना अनिवार्य है।
लेकिन, ‘सत्यमेव जयते’ की पंक्ति दिल्ली हाईकोर्ट के अदालती फैसलों की मुहर
से गायब हो चुकी है। पिछले कुछ समय से अदालती फैसलों पर लगाई जाने
वाली मुहर में प्रतीक चिह्न् तो है, लेकिन ‘सत्यमेव जयते’ नहीं। यह खुलासा
बुधवार को एक सामाजिक कार्यकर्ता ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रामना व न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ के समक्ष किया।
इस खुलासे को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें लिखित वक्तव्य पेश
करने को कहा है। इस मामले की सुनवाई 12 फरवरी को होगी।
हाईकोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता उल्हास पीआर ने सरकारी कार्यालयों में
राष्ट्रीय ध्वज एवं प्रतीक चिह्नें के अपमान को लेकर जनहित याचिका दायर की है।

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