Monday 25 November 2013

एक AAP कार्यकर्ता का दर्द

एक AAP कार्यकर्ता का दर्द
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साथियो.. अन्ना के हिसाब मांगने और मीड़िया के षड़यंत्रो के
कारण अब मामला जरा टाइट हो गया है, इसलिए अन्ना के नाम पर
चंदा ऐठने मे बड़ी रूकावट आ गई है, जिस कारण हम कार्यकर्ताओं
की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है...
अरविँद सर भी हमारी सैलरी टाइम पर देने के बजाए आजकल
सारा चंदा फर्जी सर्वे कराने और रोडी रघुराम,राजपाल यादव जैसे
नमूनो से प्रचार कराने पर लुटा रहे हैँ, हमने कितनी बार कहा कि सुधर
जाओ, लुख्खागिरि त्यागो, पर ये काहे को सुनेँ...
इधर साला कंगाली छाई हुई है, पोस्टर भी अपने पैसे से बनवाना पड़
रहा है,चिपकाने के लिए गोंद तक खुद खरीदनी पड़ती है, नुक्कड़
नौटंकी के बाद चाट पकौड़ी का खर्चा अलग....
उधर ये चरस-कोकिन खीँच रहे हैँ...इधर गुटखा खरीदने के लिए भी कर्ज
लेना पड़ रहा है, ये साला आंदोलन भी अजीब निवाला है, न
खाया जा रहा है न
उगला, समझ मे नहीँ आ रहा है करेँ तो करे क्या ?
ये कांग्रैसी अहमद पटेल भी कंजूस और खड़ूस निकला साला, कनाटप्लेस
मे एक रूपये किराये पर मकान क्या दे दिया, ऐसेअकड़ने लगा है जैसे
मौलाना बुखारी यही हो, गुस्सा आया,
हमनेभी कह दिया "साले तुम्हारे बाप के नौकर नहीँ हैँ, तुम्हारे
विपक्षियों का वोट काट रहे हैँ, इसीलिए पैसा देते हो, कोई
एहसान नहीँ करते, "
एक तो साला ये किस जन्म का पाप था कि ये घटिया सा चुनाव
चिन्ह "झाडू" मिला...
कल गर्लफ्रेन्ड के घर के सामने झाड़ू लगाना पड़ गया, इज्जत के पकौड़े
लगवा दिए हैँ साला इस क्रांति ने... जिँदगी झंड हो गई है.....
काम धंधा छोड़ के आए थे.. मंत्री बनने... साले संतरी बन गए...
जिस गंदी गली मेँ कुत्ते तक नहीँ घुसते, वहाँ वहाँ झाड़ू लिए घुस रहे हैँ
पैन्चो... साले क्रांतिकारी ना हुए जमादार हो गए,
ऊपर से इनकी फोटो अलग से लो, वो भी एकदम सही एंगल से, इसके
बाद पैन्चो फेसबुक पर अपलोड भी करो ।
कभी कभी तो मन करता है अरविँद के मुँह पर ही कह दूँ , "अबेबीटेक्स
की औलाद खुजेले, साले घंटा भी नहीँ मिलेगा तुम्हेँ इलेक्शन मेँ, खुद
की जिद के लिए हमारी जवानी की बलि ना
चढ़ाओ पैन्चो..... हमारे काम धंधे के तो पकौड़े लगवा ही दिए हैँ
तुमने....
खुद साले भर-भर डोनेशन अंटी कर लो और हम दिन भर
साला गला फाड़ फाड़ के क्रांति का झंडा बुलंद करते रहेँ और पुलिस
के डंडे खाते रहे ?
हमे सैलरी क्रांति लाने की मिलती है डंड़े खाने की नही...
अबे जब क्रांति लानी थी तो थी तो साला खुद पुलिस के डंडे
खाओ, ये आंदोलन की जिद के लिए
हमारी जवानी की बलि तो ना चढ़ाओ पैन्चो

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