Thursday 17 October 2013

72 सालों से भूखा प्यासा

अहमदाबाद। पिछले 72 सालों से भूखा प्यासा रहने का दावा करने वाले प्रहलाद जानी पर डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की स्टडी पूरी हो गई है। 15 दिन की इस स्टडी में डीआरडीओ के वैज्ञानिक और डॉक्टरों को आखिर मानना पड़ा की प्रहलाद जानी ने 15 दिनों तक कुछ नहीं खाया-पिया। स्टडी के 15 दिन पहले और 15 दिन बाद की जांच ने सबको हैरत में डाल दिया है। 
72 साल से भूखा-प्यासा रहने का दावा करने वाले प्रहलाद जानी विज्ञान के लिए अजब पहेली हैं। प्रहलाद जानी के दावों में कितनी सच्चाई है ये जानने के लिए रक्षा विभाग के डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की एक टीम ने शुरू किया 15 दिन का ऑपरेशन भूख। सीसीटीवी की नजरें 24 घंटे प्रहलाद जानी पर लगी रहीं। यहां तक कि नहाने और ब्रश करने के लिए भी पानी पहले से ही नापतौल कर दिया जाता। हर आधे से एक घंटे में प्रहलाद जानी को फिजीशियन, कार्डियोलॉजिस्ट, गेस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट,एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, डायबिटोलॉजिस्ट, यूरो सर्जन, आंख के डॉक्टर और जेनेटिक के जानकार डॉक्टरों की टीम के जरिये चेक किया जाता रहा और उनकी रिपोर्ट तैयार की जाती रही। 15 दिन लगातार मॉनिटिरिंग के बाद वैज्ञानिक हैरान हैं। प्रहलाद अपने दावे में अभी तक खरे उतरे हैं।
वैज्ञानिक इसे करिश्मा कहने से फिलहाल बच रहे हैं पर इतना जरूर मानते हैं कि प्रहलाद जानी आम इंसान से अलग हैं।
72 सालों से बिना कुछ खाए-पिए प्रहलाद जानी के जिंदा रहने का राज खुलता है तो चिकित्सा विज्ञान में चमत्कार हो जायेगा। प्रहलाद जानी ने अपने ऊपर किए गए इस परीक्षण के लिये एक शर्त ये रखी थी कि डॉक्टर, उनके शरीर में किसी भी तरह की चीज इंजेक्ट नहीं करेंगे। हालांकि प्रहलाद जानी का कहना है कि जब वो 12 साल के थे तब तीन बच्चों ने उनके मुंह में उंगली रख दी थी जिसके बाद से ही उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया और कई सालों तक हिमालय के जंगलों में तप किया।
प्रहलाद जानी पर रिसर्च के दौरान डॉक्टरों को ये बात माननी पड़ी कि इनके शरीर में कुछ तो ऐसा होता है, जो कि बिना खाए-पिए इन्हें ताकत देता है। रक्षा विभाग के डॉक्टर और वैज्ञानिकों ने जो रिर्सच किया है उसका नतीजा 3 महीने के अंदर आ जाएगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि बिना कुछ खाए-पिए जिंदा रहने की वजह रिसर्ज के नतीजों से साफ हो जाएगी।

72 साल से प्रह्लाद जानी ने हवा के अलावा कुछ नहीं लिया। सबसे पहले इस सच्चाई की पड़ताल के लिए गुजरात के डॉक्टर सामने आए। इन डॉक्टरों ने प्रहलाद भाई की पोल खोलने के लिए उन पर रिसर्च करने की ठानी। कई दिनों के लिए उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया। उन पर सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी गई। क्या निकला था डॉक्टरों की पहली रिसर्च का नतीजा बताते हैं।
75 साल से ज्यादा के प्रह्लादभाई को कमरे में बंद कर दिया गया। तीन सौ डॉक्टरों की टीम बाहर से टीवी पर सब कुछ देखती रही। भूख पर ही नहीं इस शख्स ने जैसे उम्र पर भी जीत हासिल कर ली है। वक्त बीतता रहा, दिन गुजरते रहे। प्रह्लादभाई अब भी पूरी तरह ठीक हैं न कोई दिक्कत, न परेशानी। बाहर से डॉक्टर देखते रहे लेकिन प्रह्लादभाई पर कोई फर्क नहीं पड़ा। ऑपरेशन भूख सिर्फ सात दिन का था लेकिन इसे और बढ़ा दिया गया। डॉक्टरों की आशंका बढ़ती रही आखिरकार दसवां दिन आया। प्रह्लादभाई वैसे ही मजबूत बंद कमरे में आराम करते रहे। भूख का कोई असर नहीं। डॉक्टरों ने खुद मान ली हार। ये चमत्कार था...डॉक्टरों को चुनौती थी और आखिरकार विज्ञान ने ही मानी हार।
प्रह्लादभाई को ऑपरेशन भूख के पहले दिन भी अस्पताल ले जाकर पूरी जांच की गई थी। पहले दिन भी वो पूरी तरह से स्वस्थ थे। जब 10 दिन बाद ऑपरेशन भूख खत्म हुआ तब भी उन्हें कोई परेशानी नहीं थी।
सीसीटीवी कैमरे के जरिए तीन सौ डॉक्टरों की टीम 10 दिन तक प्रह्लादभाई पर नजर रख चुकी थी। इस दौरान उन्होंने न कुछ खाया,न पिया। भूख का कोई नामो-निशान नहीं। डॉक्टरों को समझ नहीं आया कि ऐसा कैसे हो सकता है। मेडिकल साइंस इसकी इजाजत नहीं देती लेकिन ऑपरेशन भूख के नतीजे उनके सामने थे। दुनिया में अब तक की ये पहली घटना थी। भारती की एक चलती-फिरती पहेली ने डॉक्टरों को भी हैरत में डाल दिया था।

आईबीएन 7 के पास है रिपोर्ट
मालूम हो कि आईबीएन 7 के पास डॉक्टरों की वो रिपोर्ट है जिससे साफ होता है कि प्रह्लादभाई की सेहत पर भूख से कोई असर नहीं पड़ा। 10 दिन की पड़ताल के बाद तीन सौ डॉक्टरों की टीम ने रिपोर्ट दी कि-
1. 10 दिन तक प्रह्लादभाई ने कुछ नहीं खाया, यहां तक की पानी भी नहीं पीया
2. 10 दिन बाद भी उनके शरीर के सभी अंग पहले की तरह काम कर रहे हैं
3. दिल की धड़कनों में कोई खास बदलाव नहीं आया
4. पेट की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में भी कुछ गड़बड़ी नहीं
5. दिमाग के एमआरआई में भी कुछ खास नहीं निकला
6. सीने का एक्स-रे भी सामान्य रहा
7. 10 दिन भूखे रहने पर कोई असर नहीं
डॉक्टरों की जांच पड़ताल में प्रह्लादभाई के खून में मौजूद हीमोग्लोबीन पर खास ध्यान दिया गया। हम आपको बता दें कि शरीर को तमाम हिस्सों को ऑक्सीजन पहुंचाने का काम खून में मौजूद हीमोग्लोबीन के ही जिम्मे होता है। डॉक्टरों की इस खास टीम ने जो रिपोर्ट दी है उसके मुताबिक
ऑपरेशन भूख शुरू करने के पहले दिन प्रह्लादभाई की हीमोग्लोबीन था-10.8
तीसरे दिन--11.3
पांचवे दिन--11.5
सातवें दिन--12.3
और
नवें दिन--12.9
यानि डॉक्टरों ने एक दिन छोड़कर प्रह्लादभाई के खून में हीमोग्लोबीन का स्तर जांचा। साफ है कि 10 दिन की भूख के बावजूद हीमोग्लोबीन के स्तर में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। प्रह्लादभाई पर माथापच्ची कर रहे तीन सौ डॉक्टरों ने उनके आगे हार मान ली। डॉक्टरों ने इस केस की जांच किसी और बड़ी रिसर्च टीम से भी कराने का समर्थन किया। वहीं उन्होंने राय दी कि अगर वाकई में प्रह्लादभाई के शरीर में कुछ ऐसा खास है जिससे उन्हें भूख नहीं लगती और उनके शरीर को खाने की जरूरत नहीं महसूस होती तो वो उसे खोजना बेहद जरूरी होगा। अगर इसके पीछे प्रह्लादभाई के शरीर में मौजूद कोई खास जीन काम कर रहा है तो उसे जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से खोजना होगा। अगर ऐसा हो गया तो-
1.दुनियाभर में भुखमरी की समस्या से निपटा जा सकता है
2. इंसान के बीमार शरीर को स्वस्थ किया जा सकता है
3. बुढ़ापे को रोकने में मदद मिल सकती है
4. बर्फीले पहाड़ों पर रह रहे सैनिकों को मदद मिलेगी
5. अंतरिक्ष यात्रा पर गए लोगों को खाने का सामान साथ नहीं ले जाना पड़ेगा
कुल मिलाकर विज्ञान और आध्यात्म के बीच फंसी ये पहेली सुलझने के बजाय और उलझती जा रही है। प्रह्लादभाई के मुताबिक दूसरे देशों के कई डॉक्टर भी उन्हें अपने यहां बुलाकर रिसर्च करना चाहते हैं लेकिन वो अपना देश छोड़कर बाहर नहीं जाना चाहते।
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