Wednesday 30 October 2013

लिः स्टेचू ऑफ यूनिटी का निर्माण

अखंड भारत के शिल्पकार सरदार वल्लभभाई पटेल को भव्य स्मरणांजलिः स्टेचू ऑफ यूनिटी का निर्माण
• सरदार सरोवर बांध से ३.२२ किमी दूर साधु टापू पर होगा निर्माण
• १८२ मीटर की ऊंचाई के साथ बनेगी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा
• दर्शक गैलरी, म्यूजियम और प्रदर्शनी केन्द्र होंगे मुख्य आकर्षण
• किसानों के पास से खेती के पुराने औजार एकत्रित करने के अभियान का होगा शुभारंभ
• सरदार के जीवनकार्य की भव्य विरासत भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत साबित होगी
• वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में उभरेगा यह स्थान

राष्ट्र की आजादी और एकता के झंडाबरदार सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत की आजादी की जंग के लिए जनता का समर्थन प्राप्त करने और छोटे-बड़े रजवाड़ों को एकत्र कर अखंड भारत के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया है। भारत के इतिहास को उन्होंने नई दिशा प्रदान की। गुजरात के इस महान सपूत का नाम भावी पीढ़ियों के लिए हमेशा अविस्मरणीय और प्रेरणास्त्रोत बना रहे इसके लिए मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार सरोवर बांध के निकट ही सरदार पटेल की भव्य प्रतिमा के निर्माण का संकल्प किया है।

समग्र विश्व में अपनी तरह की बेजोड़ साबित होने वाली इस प्रतिमा का नाम योग्य एवं अत्यंत सार्थक हो, इस हेतु इसे “स्टेचू ऑफ यूनिटी” का नाम दिया गया। १८२ मीटर की ऊंचाई के साथ यह प्रतिमा विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। विश्वप्रसिद्ध अमेरिका की स्वतंत्रता की देवी की प्रतिमा “स्टेचू ऑफ लिबर्टी” के मुकाबले यह प्रतिमा तकरीबन दो गुनी ऊंची होगी।

श्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि, “इस प्रतिमा की ऊंचाई महज मीटर या फुट में ही नहीं बल्कि शैक्षणिक, ऐतिहासिक, राष्ट्रीय और आध्यात्मिक मूल्यों के सन्दर्भ में भी अधिक होगी। मेरा स्वप्न आने वाली सदियों के लिए इस स्थान को एक प्रेरणास्त्रोत के स्वरूप में विकसित करने का है।”

“स्टेचू ऑफ यूनिटी” भारत के लौह पुरुष को उनकी जयंती पर अत्यंत सार्थक स्मरणांजलि अर्पित करेगी।

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Tuesday 29 October 2013

डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया का एक जायज सवाल जिसका जवाब आज तक नहीं मिला है

‘’ आज से कुछ वर्ष पहले राष्ट्रिय
अल्पसंख्यक आयोग ने मुझसे सम्पर्क
किया और कहा कि हमें आपसे कुछ
चर्चा करनी है , मैंने कहा तुम
लोगों को तो अपने एक घंटे का भी समय
नहीं दूँगा क्योंकि तुम लोग सुधरने वाले
हो नहीं , इसकी बजाए अपना एक
घंटा अपने हिंदू भाइयों के साथ
बैठूँगा तो मेरी शक्ति बढ़ेगी , तो उस समय
के उनके आयोग के अध्यक्ष मेरे पास
आए और बोले अरे नहीं नहीं डॉक्टर साहब
मैं तो आपको प्यार करता हूँ ,ऐसा-
वैसा कुछ नहीं है ,आप प्लीज एक बार
जरूर आइए , तो उनके कहने पर मैं गया उनके
आयोग कि बैठक में ,लेकिन साथ में क्या लेकर
गया पता है ,अंग्रेजी में कुरान लेकर के
गया, उसका मोहम्मद पित्थल ने
अरबी भाषा से अंग्रेजी भाषा में अनुवाद
किया हुआ था ,मैं जब वहाँ गया तो वहाँ
बड़े-२ मुल्ला-मौलवी बैठे हुए थे , मैंने उनसे पूछा
कि ये अरबी कि कुरान को मोहम्मद पित्थल के
द्वारा अनुवादित करके अंग्रेजी कि कुरान
में बनाया गया है क्या इसे आप सही और
असली कुरान मानते हो ?? तो उन सब
मुल्ला-मौलवी ने उसे देखने के बाद
कहा हाँ ये बिलकुल सही और असली कुरान
ही है फिर मैंने उसके पन्ने पलट-2 कर उन
सबको दिखाया कि कैसे उसमें ये सब
मौजूद है कि जो हिंदू है वो काफिर
है ,उसका गला कैसे काट
देना चाहिए ,उसका कत्ल किस प्रकार से
किया जाना चाहिए वो सब उनको पढकर
सुना दिया ,बेचारे अब इससे पलट
भी नहीं सकते थे क्योंकि उनको पहले
ही अच्छे से दिखा दिया था और उन्होनें
भी माना था कि हाँ ये सही कुरान है
तो अब इसका जवाब उनके पास
था नहीं तो मुझसे बोले कि डॉक्टर साहब
आप चाहते क्या हो ??
मैंने कहा बुलाया आपने है आप बताओ
कि आप क्या चाहते हो ??
वे बोले हम तो भाईचारा चाहते हैं
तो मैंने कहा कि अगर आप प्रत्येक
मुसलमान परिवार में पैदा हुए छोटे-२
बच्चों को ये सिखाओगे कि क्योंकि ये हिंदू
हैं ,ये मूर्तियों कि पूजा करते हैं ,ये अल्लाह
को ना मानकर देवी-देवताओं को मानते हैं
और इसलिए ये काफिर हैं ,तुम्हारे दुश्मन
हैं और इसलिए इनकी हत्या कर
देनी चाहिए ,तो क्या इससे
भाईचारा बढ़ेगा ??
वे बोले कि फिर आप ही बताओ
क्या करना चाहिए मैंने कहा कि कुरान में से
इन पन्नों को फाड़ दो वे बोले यह तो अल्लाह
के द्वारा कही हुई बातें हैं ,इस कारण हम इनको
नहीं फाड़ सकते हैं और ना ही इसमें से एक भी शब्द
बदल सकते हैं तो मैंने उनसे पूछा कि जब तुम
अपने बच्चों को हमें मारने कि शिक्षा देना बंद
नहीं कर सकते हो तो मुझे सिर्फ एक
कारण बता दो ऐ मुसलमानों कि मुझे जान
से मारने वालों को मैं जिन्दा क्यों रहने दूँ ??
इस सवाल पर सबको सांप सूंघ गया और
किसी से जवाब देते नहीं बना और आजतक
भी इसका जवाब नहीं मिला है ‘

Sunday 27 October 2013

RTI Questions...SHOCKING!!!

RTI Questions...SHOCKING!!!  तीन साल में सोनिया की सरकारी ऐश का सुबूत, सोनिया गाँधी के उपर सरकार ने पिछले तीन साल में जीतनी रकम उनकी निजी बिदेश यात्राओ पर की है उतना खर्च तो प्रधानमंत्री ने भी नहीं किया है ..एक सुचना के अनुसार पिछले तीन साल में सरकार ने करीब एक हज़ार आठ सौ अस्सी करोड रूपये सोनिया के विदेश दौरे के उपर खर्च किये है ..कैग ने इस पर आपति भी जताई तो दो अधिकारियो का तबादला कर दिया गया . 
अब इस पर एक पत्रकार रमेश वर्मा ने सरकार से आर टी आई के तहत निम्न जानकारी मांगी है : सोनिया के उपर पिछले तीन साल में कुल कितने रूपये सरकार ने उनकी विदेश यात्रा के लिए खर्च की है ? क्या ये यात्राये सरकारी थी ? अगर सरकारी थी तो फिर उन यात्राओ से इस देश को क्या फायदा हुआ ? भारत के संबिधान में सोनिया की हैसियत एक सांसद की है तो फिर उनको प्रोटोकॉल में एक राष्ट्रअध्यछ का दर्जा कैसे मिला है ?
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 कांग्रेस सरकार और कांग्रेस पार्टी आज़ादी के बाद से सिर्फ एक परिवार यानी फर्जी और नकली गाँधी परिवार की ही बात करती है |

जैसे भारत की ७००० साल पुरातन संस्कृति में इस परिवार से पहले कोई हुआ ही नहीं. कभी सुना है किसी भाई ने इन नामो पर कोई सरकारी संस्था, छात्रवृत्ति, संस्था, योजना या परियोजना ?
चन्द्रगुप्त मौर्या, सम्राट अशोक, बिन्दुसार, पाणिनि, विक्रमादिया, महाराजा हर्षवर्धन, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, राणा सांगा, बिरसा मुंडा,श्री गुरुगोबिंद सिंह जी, श्री गुरुनानक देव जी, भगवान् बुद्ध, रजा दाहिर, कलहान, नामदेवजी, भगवान् महावीर, सरदार पटेल. मदनमोहन, श्री अब्दुल कलाम जी, अब्दुल हमीद, महाराजा रंजीतसिंह, जगद्गुरु शंकराचार्य, मोहम्मद कासिम नानोत्वी साहब, सरदार पटेल, वीर अब्दुल हमीद, भगत सिंह, असफाक उल्ला खां ,जमशेदजी टाटा, बाजीराव पेशवा , नाना साहेब, लक्ष्मी बाई, अहिल्याबाई होलकर, बेग़म हज़रत महल जी, विवेकानंद जी, श्रीला प्रभुपादजी, बाबा साहेब अम्बेडकर कितने हज़ार लोग है जिनका सम्मान नहीं हो सका 
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Saturday 26 October 2013

गठिया या संधिबात

पूरी पोस्ट नहीं पड़ सकते तो निचे दिए गए लिंक में जेक विडियो देखे:
http://www.youtube.com/watch?v=zfPzzNoWYyc

गठिया या संधिबात का सबसे अछि दावा है मेथी, हल्दी और सुखा हुआ अदरक माने सोंठ , इन तीनो को बराबर मात्रा में पिस कर, इनका पावडर बनाके एक चम्मच लेना गरम पानी के साथ सुभाह खाली पेट तो इससे घुटनों का दर्द ठीक होता है, कमर का दर्द ठीक होता है, देड़ दो महिना ले सकता है । 

और एक अछि दावा है , एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पियो तो बीस बीस साल पुराना गठिया का दर्द इससे ठीक हो जाता है । और येही पत्ते को पिस के गरम पानी में डाल के पियो तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दावा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है ; जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है ।

बुखार की और एक अछि दावा है अपने घर में तुलसी पत्ता ; दस पन्दरा तुलसी पत्ता तोड़ो, तिन चार काली मिर्च ले लो पत्थर में पिस के एक ग्लास गरम पानी में मिलके पी लो .. इससे भी बुखार ठीक होता है ।

बुखार की एक और दावा है नीम की गिलोय, अमृता भी कहते है, उडूनची भी कहते है, इसको थोडासा चाकू से काट लो , पत्थर में कुचल के पानी में उबाल लो फिर वो पानी पी लेना तो ख़राब से ख़राब बुखार ठीक हो जाता है तिन दिन में । कभी कभी बुखार जब बहुत जादा हो जाते है तब खून में सेत रक्त कनिकाएं , प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाते है तब उसमे सबसे जादा काम आती है ये गिलोय ।

must click !
http://www.youtube.com/watch?v=zfPzzNoWYyc

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पुलिस की ही हात में डंडा क्यों

पुलिस है डंडा लेके घुमती है। आप किसी पुलिस ऑफिसर्स से पूछिए के डंडा क्यों है तुम्हारे हात में या किसी कांस्टेबल से पूछिए के तुम ये डंडा ठक ठक करके घूमते हो ... क्यों डंडा है तुम्हारे हात में ? किसी और अधिकारी के हात में आपने डंडा देखा है ? पुलिस की ही हात में डंडा क्यों? बड़ा ऑफिसर है तो छोटा रूल लेके चलेगा और छोटा अधिकारी है तो लम्बा सा डंडा लेके चलेगा। क्यों ?? कोई भेड़ बखरीओं को चराने जाना है क्या ? गाँव का कोई लकडहारा भेड़ बखरीओं को चराने जाता है तो डंडा लेके जाता है, तो भाई डंडे से भैंस को हांकता है बखरी को हांकता है तो ठीक है लेकिन तुम पुलिसवाले ये डंडा लेके क्यों ठक ठक करते हो ?

पुलिस मैन्युअल में ये लिखा हुआ है के हर पुलिस ऑफिसर को डंडा लेना ही पड़ेगा। 1860 का कानून है Indian Police Act , उस कानून में ये लिखा हुआ है के पुलिस जो है वो अंग्रेजो का है और डंडा जिस पर चलेगा वो भारतीय लोग है, तो अंग्रेजो की पुलिस के हर एक व्यक्ति के हात में डंडा होना चाहिए ताकि वो भारतीय लोगों को जब चाहे तब पिट सके। तो Indian Police Act के हिसाब से हर अंग्रेज पुलिस ऑफिसर को एक अधिकार दिया गया है जिसको अंग्रेजी में कहते है Right to Offence और भारतवासी जिसकी पिटाई हो रही है उसको कोई अधिकार नही है Right to Defense आपको अपने Defense करने का कोई अधिकार नही है। अगर पुलिस ऑफिसर ने डंडा चलाया और आपने उसका डंडा पकड़ लिया तो केस आपके ऊपर बनेगा नाकि ऑफिसर के ऊपर के आपने एक पुलिस ऑफिसर को उसकी ड्यूटी करने से रोका।

यह कानून 1860 का बनाया हुआ आज भी चल रहा है और पुरे देश में लाबू है, उसमे कहीं कोई बदलाव नही हुआ है।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें: �
http://www.youtube.com/watch?v=lCQPy6AL5uk

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मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करें – 

हजारों सालोंसे हमारे यहाँ मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता आया है। अभी कुछ सालो पहले तक गाँव की शादियों में तो मिट्टी के बर्तन ही उपयोग में आते थे। घरों में दाल पकाने, ढूध गरम करने, दही ज़माने, चावल बनाने और आचार रखने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता रहा है। मिट्टी के बर्तन में जो भोजन पकता है उसमे सुक्ष्म पोषक तत्वों (Micronutrients) की कमी नही होती जबकि प्रेशर कुकर व अन्य बर्तनों में पकाने से सुक्ष्म पोषक तत्वों कम हो जाते हैं जिससे हमारे भोजन की पौष्टिकता कम हो जाती है। खाना धीरे धीरे पकाना चाहिए तभी वह पौष्टिक और स्वादिष्ट पकेगा और उसके सुक्ष्म पौषक तत्वों सुरक्षित रहेंगे।

हमारे शारीर को प्रतिदिन 18 प्रकार के सुक्ष्म पौषक तत्त्व चाहिये जो मिट्टी से ही आते है। जैसे आयरन, केल्शियम, फास्फोरस, मैगनेसियम, सल्फ़र, पोटासियम, कॉपर - आदि। मिट्टी के इन्ही गुणों और पवित्रता के कारण हमारे यहाँ पूरी के मंदिरों (उड़ीसा) के अलावा कई मंदिरों में आज भी मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद बनता है। अधिक जानकारी के लिए पूरी के मंदिर की रसोई देखे।

अपने आसपास के कुम्हारों से मिट्टी के बर्तन लें व उन्हें बनाने के लिए प्रेरित करें।
यहाँ क्लिक करें: http://www.youtube.com/watch?v=Q2IsL_xpuGY

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गणेशशंकर विद्यार्थी का जन्म 26 अक्टूबर 1890 में अपने ननिहाल प्रयाग में हुआ था। इनके पिताजी का नाम श्री जयनारायण था। पिता एक स्कूल में अध्यापक के पद पर नियुक्त थे और उर्दू तथा फारसी ख़ूब जानते थे। गणेशशंकर विद्यार्थी की शिक्षा-दीक्षा मुंगावली ग्वालियर में हुई थी। पिता के समान ही इन्होंने भी उर्दू-फ़ारसी का अध्ययन किया।

गणेशशंकर विद्यार्थी अपनी आर्थिक कठिनाइयों के कारण अधिक नहीं पढ सके परंतु अपनी मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने पत्रकारिता के गुणों को खुद में भली प्रकार से सहेज लिया था। शुरु में गणेश शंकर जी को सफलता के अनुसार ही एक नौकरी भी मिली थी, लेकिन उनकी अंग्रेज अधिकारियों से नहीं पटी, जिस कारण उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी।
इसके बाद कानपुर में गणेश जी ने करेंसी ऑफ़िस में नौकरी की, किन्तु यहाँ भी अंग्रेज़ अधिकारियों से इनकी नहीं पटी। अत: यह नौकरी छोड़कर अध्यापक हो गए। आचार्य महावीरप्रसाद दिवेदी इनकी योग्यता से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने विद्यार्थी जी को अपनी पत्रिका सरस्वती के लिये उन्हें कार्य पर रख लिया। 

एक ही वर्ष के बाद \'अभ्युदय\' नामक पत्र में चले गये और फिर कुछ दिनों तक वहीं पर रहे। इसके बाद सन 1907 से 1912 तक का इनका जीवन अत्यन्त संकटापन्न रहा। इन्होंने कुछ दिनों तक \'प्रभा\' का भी सम्पादन किया था। 1913 अक्टूबर मास में \'प्रताप\' के सम्पादक हुए। इन्होंने अपने पत्र में किसानों की आवाज़ बुलन्द की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं पर विद्यार्थी जी के विचार बड़े ही निर्भीक होते थे। सरदार भगत सिंह को \'प्रताप\' से विद्यार्थी जी ने ही जोड़ा था। विद्यार्थी जी राम प्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा प्रताप में छापी, क्रान्तिकारियों के विचार व लेख प्रताप में निरन्तर छपते रहते।

25 मार्च सन 1931 में कानपुर के हिन्दू-मुस्लिम दंगे में निस्सहायों को बचाते हुए गणेश शंकर विध्यार्थी जी की हत्या हो गयी ,उनका शव सरकारी चिकित्सालय में फूली हुई स्थिति में मिली व अश्रुपूर्ण नेत्रों से उनका दाहसंस्कार कानपुर के राष्ट्रवादी युवाओं के द्वारा किया गया ।

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प्लास्टिक सर्जरी (Plastic Surgery) जो आज की सर्जरी की दुनिया मे आधुनिकतम विद्या है इसका अविष्कार भारत मे हुअ है| सर्जरी का अविष्कार तो हुआ हि है प्लास्टिक सर्जरी का अविष्कार भी यहाँ हि हुआ है| प्लास्टिक सर्जरी मे कहीं की प्रचा को काट के कहीं लगा देना और उसको इस तरह से लगा देना की पता हि न चले यह विद्या सबसे पहले दुनिया को भारत ने दी है|

1780 मे दक्षिण भारत के कर्णाटक राज्य के एक बड़े भू भाग का राजा था हयदर अली| 1780-84 के बीच मे अंग्रेजों ने हयदर अली के ऊपर कई बार हमले किये और एक हमले का जिक्र एक अंग्रेज की डायरी मे से मिला है| एक अंग्रेज का नाम था कोर्नेल कूट उसने हयदर अली पर हमला किया पर युद्ध मे अंग्रेज परास्त हो गए और हयदर अली ने कोर्नेल कूट की नाक काट दी|

कोर्नेल कूट अपनी डायरी मे लिखता है के “मैं पराजित हो गया, सैनिको ने मुझे बन्दी बना लिया, फिर मुझे हयदर अली के पास ले गए और उन्होंने मेरा नाक काट दिया|” फिर कोर्नेल कूट लिखता है के “मुझे घोडा दे दिया भागने के लिए नाक काट के हात मे दे दिया और कहा के भाग जाओ तो मैं घोड़े पे बैठ के भागा| भागते भागते मैं बेलगाँव मे आ गया, बेलगाँव मे एक वैद्य ने मुझे देखा और पूछा मेरी नाक कहाँ कट गयी? तो मैं झूट बोला के किसीने पत्थर मार दिया, तो वैद्य ने बोला के यह पत्थर मारी हुई नाक नही है यह तलवार से काटी हुई नाक है, मैं वैद्य हूँ मैं जानता हूँ| तो मैंने वैद्य से सच बोला के मेरी नाक काटी गयी है| वैद्य ने पूछा किसने काटी? मैंने बोला तुम्हारी राजा ने काटी| वैद्य ने पूछा क्यों काटी तो मैंने बोला के उनपर हमला किया इसलिए काटी|फिर वैद्य बोला के तुम यह काटी हुई नाक लेके क्या करोगे? इंग्लैंड जाओगे? तो मैंने बोला इच्छा तो नही है फिर भी जाना हि पड़ेगा|”

यह सब सुनके वो दयालु वैद्य कहता है के मैं तुम्हारी नाक जोड़ सकता हूँ, कोर्नेल कूट को पहले विस्वास नही हुआ, फिर बोला ठेक है जोड़ दो तो वैद्य बोला तुम मेरे घर चलो| फिर वैद्य ने कोर्नेल को ले गया और उसका ऑपरेशन किया और इस ऑपरेशन का तिस पन्ने मे वर्णन है| ऑपरेशन सफलता पूर्वक संपन्न हो गया नाक उसकी जुड़ गयी, वैद्य जी ने उसको एक लेप दे दिया बनाके और कहा की यह लेप ले जाओ और रोज सुबह शाम लगाते रहना| वो लेप लेके चला गया और 15-17 दिन के बाद बिलकुल नाक उसकी जुड़ गयी और वो जहाज मे बैठ कर लन्दन चला गया|

फिर तिन महीने बाद ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे खड़ा हो कोर्नेल कूट भाषण दे रहा है और सबसे पहला सवाल पूछता है सबसे के आपको लगता है के मेरी नाक कटी हुई है? तो सब अंग्रेज हैरान होक कहते है अरे नही नही तुम्हारी नाक तो कटी हुई बिलकुल नही दिखती| फिर वो कहानी सुना रहा है ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे के मैंने हयदर अली पे हमला किया था मैं उसमे हार गया उसने मेरी नाक काटी फिर भारत के एक वैद्य ने मेरी नाक जोड़ी और भारत की वैद्यों के पास इतनी बड़ी हुनर है इतना बड़ा ज्ञान है की वो काटी हुई नाक को जोड़ सकते है|

फिर उस वैद्य जी की खोंज खबर ब्रिटिश पार्लियामेन्ट मे ली गयी, फिर अंग्रेजो का एक दल आया और बेलगाँव की उस वैद्य को मिला, तो उस वैद्य ने अंग्रेजो को बताया के यह काम तो भारत के लगभग हर गाँव मे होता है; मैं एकला नहीं हूँ ऐसा करने वाले हजारो लाखों लोग है| तो अंग्रेजों को हैरानी हुई के कोन सिखाता है आपको ? तो वैद्य जी कहने लगे के हमारे इसके गुरुकुल चलते है और गुरुकुलों मे सिखाया जाता है|

फिर अंग्रेजो ने उस गुरुकुलों मे गए उहाँ उन्होंने एडमिशन लिया, विद्यार्थी के रूप मे भारती हुए और सिखा, फिर सिखने के बाद इंग्लॅण्ड मे जाके उन्होंने प्लास्टिक सर्जरी शुरू की| और जिन जिन अंग्रेजों ने भारत से प्लास्टिक सर्जरी सीखी है उनकी डायरियां हैं| एक अंग्रेज अपने डायरी मे लिखता है के ‘जब मैंने पहली बार प्लास्टिक सर्जरी सीखी, जिस गुरु से सीखी वो भारत का विशेष आदमी था और वो नाइ था जाती का| मने जाती का नाइ, जाती का चर्मकार या कोई और हमारे यहाँ ज्ञान और हुनर के बड़े पंडित थे| नाइ है, चर्मकार है इस आधार पर किसी गुरुकुल मे उनका प्रवेश वर्जित नही था, जाती के आधार पर हमारे गुरुकुलों मे प्रवेश नही हुआ है, और जाती के आधार पर हमारे यहाँ शिक्षा की भी व्यवस्था नही था| वर्ण व्यवस्था के आधार पर हमारे यहाँ सबकुछ चलता रहा| तो नाइ भी सर्जन है चर्मकार भी सर्जन है| और वो अंग्रेज लिखता है के चर्मकार जादा अच्चा सर्जन इसलिए हो सकता है की उसको चमड़ा सिलना सबसे अच्छे तरीके से आता है|

एक अंग्रेज लिख रहा है के ‘मैंने जिस गुरु से सर्जरी सीखी वो जात का नाइ था और सिखाने के बाद उन्होंने मुझसे एक ऑपरेशन करवाया और उस ऑपरेशन की वर्णन है| 1792 की बात है एक मराठा सैनिक की दोनों हात युद्ध मे

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पूर्वी लदाख का क्षेत्र जहाँ पर चीनी सेना घुसपैठ कर रही थी वो क्षेत्र प्राकृतिक संसाधन जैसे खनिज और रेडियोधर्मी ईंधन जैसे उरेनियम और थोरियम से समृद्ध है | सामरिक विशेषज्ञों का केहना है के इस क्षेत्र में चीन की रुचि के पीछे के कारणों में से यह एक हो सकता है | 6 साल पूर्व इस क्षेत्र मे रेडियोधर्मी ईंधन का अविष्कार हुआ जिसमे उरेनियम का रिज़र्व बहुत नवीन है पर थोरियम की गुणवत्ता बहुत उत्तम है, प्रयोगशाला के अनुसार थोरियम की उपलब्धता 5.36% है जबकि देश के दुसरे क्षेत्र मे सिर्फ 0.1% है | 10000-15000 वर्गकिलोमीटर मे फैला हुआ श्योक घाटी का क्षेत्र भूतापीय बोरेक्स और सल्फर से समृद्ध है, इसलिए यहाँ जमीन से थर्मल निर्वहन बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है | इस क्षेत्र मे जमीन के निचे पारा, लोहा, निकल और कोयला भी हो सकता है |

लद्दाख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के द्वारा नियंत्रित है तो विशेष कानूनों के जरिये खनन और अन्वेषण कार्य नियंत्रित होता है , जिसके लिए राज्य से लाइसेंस की आवश्यकता होती है |

दक्षिण - पूर्व लद्दाख के हानले मे भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान है जिसमे विश्व के सबसे ऊंचे वेधशाला है जो एक रणनीतिक परिसंपत्ति है |

पूर्वी लद्दाख पश्मीना फाइबर में भी समृद्ध है जो जम्मू और कश्मीर के सरकार को सालाना 30-40 करोड़ रूपए राजस्य देता है |

अधिक जानकारी के लिए यहाँ देखे : http://www.sunday-guardian.com/news/area-under-chinese-control-rich-in-thorium
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मानव शरीर के कई रहस्य अभी भी अनसुलझे हैं। 
अपना शरीर होते हुए भी हम इसके बारे में बहुत कुछ नहीं जानते.
आईए इसके कुछ रोचक तथ्यों का जायजा लेते हैं।

# हमारा दिमाग अभी भी वैज्ञानिकों के लिए एक अबूझ पहेली है.

# दस वाट के बल्ब की ऊर्जा के बराबर शक्ति प्रदान करने वाले हमारे दिमाग से भेजे गए संदेशों की गति 170 मील प्रति घंटे होती है.

# अक्सर सुबह को काम के लिएज्यादा उपयुक्त समझा जाता है पर दिमाग रात को ज्यादा एक्टिव होता है.

# हमारी कलाई से कोहनी की लम्बाई हमारे पैर के बराबर होती है.

# यदि दोनों हाथों को फैलाया जाए तो यह शरीर की लम्बाई के बराबर की लम्बाई होगी.

# चौबीस घंटों में हमारा दिल करीब एक लाख बार धड़कता है. जो पूरे जीवन में करीब तीस करोड़ का आंकड़ा पार करते हुए 400 मिलियन लीटर खून पंप कर शरीर को गतिमान बनाए रखता है.

# जन्म के समय हमारे शरीर में 300 हड्डियां होती हैं जो समय के साथ जुड़ कर 206 रह जाती हैं.

# हमारे सर में ही 22 हड्डियां होती हैं।

# औसतन हम दिन भर में 23000 बार सांस लेकर करीब0.6 ग्राम कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन करते हैं।

# औसतन हर आदमी करीब एक मिनट तक सांस रोक सकता है. जबकि इसका कीर्तीमान 21 मिनट 29 सेकेण्ड का है.

# हम एक दिन में करीब 5000शब्द बोल लेते हैं।

# यदि शरीर में एक प्रतिशत पानी की कमी होती है तो हम प्यास महसूस करने लगते हैं।

# आश्चर्य की बात है की आँखें खुली रख कर छींका नहीं जा सकता.

# विश्वास करेंगे कि किसी को जम्हाई लेते देख 55 प्रतिशत लोगों को पांच मिनट में जम्हाई आ जाती है.

# कोई भी इंसान बिना खाए एक महीना रह सकता है पर बिना पानी पिए एक सप्ताह निकालना भी मुश्किल हो जाता है.

# पेट में बनने वाला एसिड इतना तेज होता है की वह रेजर ब्लेड को भी गला सकता है। इसीलिए पेट के अन्दर का अस्तर हर तीसरे-चौथे दिन बदल जाता है.

# हम अपने पूरे जीवन काल में करीब 75000 लीटर पानी पी जाते हैं।

# आम इंसान के सर पर करीब एक लाख बाल होते हैं। चेहरे के बाल शरीर के अन्य हिस्सों के बालों से ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं।

# पुरुषों तथा महिलाओं के 70 से 90 बाल रोज झड जाते हैं।

# पुरुष दिन भर में करीब 15000 बार आँखें झपकाते हैं जबकि महिलाएं इसकी दुगनी बार।

# अभी तक खोजे गए 118 पदार्थों में से 24 हमारे शरीर में भी पाए जाते हैं।

# हमारे मुंह में रोज करीब एक लीटर लार का निर्माण होता है और पूरे जीवन काल में दस हजार गैलन का।

# सुनने के मामले में हम कई जीव-जन्तुओं से पीछे हैं

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चार हाथ चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमान...

चार हाथ चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमान...!
ता ऊपर सुल्तान है, अब न चूक चौहान..
पृथ्वीराज का राजकवि चन्द बरदाई पृथ्वीराज से मिलने के लिए काबुल पहुंचा। वहां पर कैद खाने में पृथ्वीराज की दयनीय हालत देखकर चंद्रवरदाई के हृदय को गहरा आघात लगा और उसने गौरी से बदला लेने की योजना बनाई। चंद्रवरदाई ने गौरी को बताया कि हमारे राजा एक प्रतापी सम्राट हैं और इन्हें शब्दभेदी बाण (आवाज की दिशा में लक्ष्य को भेदनाद्ध चलाने में पारंगत हैं, यदि आप चाहें तो इनके शब्दभेदी बाण से लोहे के सात तवे बेधने का प्रदर्शन आप स्वयं भी देख सकते हैं। इस पर गौरी तैयार हो गया और उसके राज्य में सभी प्रमुख ओहदेदारों को इस कार्यक्रम को देखने हेतु आमंत्रित किया। पृथ्वीराज और चंद्रवरदाई ने पहले ही इस पूरे कार्यक्रम की गुप्त मंत्रणा कर ली थी कि उन्हें क्या करना है। निश्चित तिथि को दरबार लगा और गौरी एक ऊंचे स्थान पर अपने मंत्रियों के साथ बैठ गया। चंद्रवरदाई के निर्देशानुसार लोहे के सात बड़े-बड़े तवे निश्चित दिशा और दूरी पर लगवाए गए। चूँकि पृथ्वीराज की आँखे निकाल दी गई थी और वे अंधे थे, अतः उनको कैद एवं बेड़ियों से आजाद कर बैठने के निश्चित स्थान पर लाया गया और उनके हाथों में धनुष बाण थमाया गया। इसके बाद चंद्रवरदाई ने पृथ्वीराज के वीर गाथाओं का गुणगान करते हुए बिरूदावली गाई तथा गौरी के बैठने के स्थान को इस प्रकार चिन्हित कर पृथ्वीराज को अवगत करवाया:-
‘‘चार बांस, चैबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, चूके मत चौहान।।’’

अर्थात् चार बांस, चैबीस गज और आठ अंगुल जितनी दूरी के ऊपर सुल्तान बैठा है, इसलिए चौहान चूकना नहीं, अपने लक्ष्य को हासिल करो।
इस संदेश से पृथ्वीराज को गौरी की वास्तविक स्थिति का आंकलन हो गया। तब चंद्रवरदाई ने गौरी से कहा कि पृथ्वीराज आपके बंदी हैं, इसलिए आप इन्हें आदेश दें, तब ही यह आपकी आज्ञा प्राप्त कर अपने शब्द भेदी बाण का प्रदर्शन करेंगे। इस पर ज्यों ही गौरी ने पृथ्वीराज को प्रदर्शन की आज्ञा का आदेश दिया, पृथ्वीराज को गौरी की दिशा मालूम हो गई और उन्होंने तुरन्त बिना एक पल की भी देरी किये अपने एक ही बाण से गौरी को मार गिराया। गौरी उपर्युक्त कथित ऊंचाई से नीचे गिरा और उसके प्राण पंखेरू उड़ गए। चारों और भगदड़ और हा-हाकार मच गया, इस बीच पृथ्वीराज और चंद्रवरदाई ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार एक-दूसरे को कटार मार कर अपने प्राण त्याग दिये। आज भी पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई की समाधी काबुल में विद्यमान हैं। इस प्रकार भारत के अन्तिम हिन्दू प्रतापी सम्राट का 1192 में अन्त हो गया और हिन्दुस्तान में मुस्लिम साम्राज्य की नींव पड़ी।

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वीर हक़ीक़त राय...
इस 12 वर्षीय वीर बालक ने धर्म परिवर्तन के बदले अपना सिर कटवाना पसन्द किया और शहीद हो गया| आज इस वीर का नाम वर्तमान पीढी के मानसिक पटल से मिट चुका है और दिल्ली स्थित हिन्दू महासभा भवन में इस शहीद की मूक प्रतिमा उपेक्षित सी खडी है।
हकीकतराय का जन्म सियालकोट में 1724 को हुआ था। उस समय वह ऐक मात्र हिन्दू बालक मुस्लमान बालकों के साथ पढता था। उस की प्रगति से सहपाठी ईर्षालु थे और अकेला जान कर उसे बराबर चिडाते रहते थे। ऐक दिन मुस्लिम बालकों ने देवी दुर्गा के बारे में असभ्य अपशब्द कहे जिस पर हकीकतराय ने आपत्ति व्यक्त की। मुस्लिम बच्चों ने अपशब्दों को दोहरा दोहरा कर हकीकतराय को भडकाया और उस ने भी प्रतिक्रिया वश मुहमम्द की पुत्री फातिमा के बारे में वही शब्द दोहरा दिये।
मुस्लिम लडकों ने मौलवी को रिपोर्ट कर दी और मौलवी ने हकीकतराय को पैगंम्बर की शान में गुस्ताखी करने के अपराध में कैद करवा दिया। हकीकतराय के मातापिता ने ऐक के बाद ऐक लाहौर के स्थानीय शासक तक गुहार लगाई। उसे जिन्दा रहने के लिये मुस्लमान बन जाने का विकल्प दिया गया जो उस वीर बालक ने अस्वीकार कर दिया। उस ने अपने माता-पिता और दस वर्षिया पत्नी के सामने सिर कटवाना सम्मान जनक समझा। अतः 20 जनवरी 1735 को जल्लाद ने हकीकत राय का सिर काट कर धड से अलग कर दिया।
उपरोक्त ऐतिहासिक वृतान्त इस्लामी क्रूरता और नृशंस्ता के केवल अंशमात्र उदाहरण हैं। किन्तु हिन्दू समाज की कृतघन्ता है कि वह अपने वीरों को भूल चुका हैं जिन्हों ने बलिदान दिये थे। 
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Friday 25 October 2013

Believe it, or not.


(US Admin)
Believe it, or not.
A Taliban suicide bomber stopped and searched by police was found with a metal shield around his penis. Asked about the purpose of this protection, his response was: he wanted to keep his penis intact after the explosion, not to have sexual problems once he found his 72 virgins in heaven.
 — with Yg Musa.
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इसे हम ग्लोबलाइजेशन कहते है क्योकि #भारत बहुत बड़ा है -

• यदि आप “दक्षिण कोरिया” की सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो, आपको 12 वर्ष के लिये सश्रम कारागार में डाल दिया जायेगा.... !!

• अगर आप “ईरान” की सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो आपको अनिश्चितकाल तकहिरासत में ले लिया जायेगा....!!

• अगर आप “अफ़गानिस्तान” की सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो आपको देखते ही गोली मार दी जायेगी जायेगी....!!

• यदि आप"चीनी"सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो, आपका अपहरण कर लिया जायेगा और आप फिर कभी नहीं मिलोगे.... !!

• यदि आप"क्यूबा"की सीमा अवैध रूप से पार करते है तो... आपको एक राजनीतिक षडयंत्र के जुर्म में जेल में डाल दिया जायेगा....!!

• यदि आप"ब्रिटिश"बॉर् डर अवैध रूप से पार करते हैं तो, आपको गिरफ्तार किया जायेगा, मुकदमा चलेगा, जेल भेजा जायेगा और अपने सजा पूरी करने के बाद निर्वासित....!!

और

• यदि आप मुस्लिम है और यदि आप"भारतीय"सीमा अवैध रूप से पार कर गए थे, तो मिलता है :

एक राशन कार्ड, एक पासपोर्ट, एक ड्राइवर का लाइसेंस, मतदाता पहचान कार्ड,
क्रेडिट कार्ड सरकार रियायती किराए पर आवास, ऋण एक घर,खरीदने के लिए, मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल, नई दिल्ली में एक लाबीस्ट, एक टेलीविजन चैनल, और विशेषज्ञ मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह के साथ धर्मनिरपेक्षता की डफली बजाने का अधिकार.

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 जेट एयरवेज के असली मालिक कौन? 
बहुत से लोग ये सोचते है की जेट एयरवेज का मालिक नरेश गोयल है।
लेकिन सच कुछ और ही है जिसे हमसे छुपाया जा रहा है.
साल 2001 से ही इस बात की संभावनाएं जताई जा रही है की जेट एयरवेज में दाऊद इब्राहिम और सोनिया गाँधी के पैसे लगे हुए है.
जेट एयरवेज पर काले धन को सफ़ेद करने का भी शक है.
ये मामला UPA की सरकार में दबाया गया लेकिन अब ये मामला फिर गरमा रहा है जबसे जेट एयरवेज और एतिहाद एयरवेज की डील होनी है. ये डील 2058 करोड़ की है.

क्यूंकि जो सवाल 2001 में उठा था वही सवाल अब फिर उठा है >
*** जेट एयरवेज के असली मालिक कौन है? ***

गौरतलब है की कुछ ही दिन पहले कांग्रेस के नेता राजीव शुक्ल पर आरोप लगा था की 2004 में वो दाऊद इब्राहीम से मिले. लेकिन उस मामले को भी दबाया गया.

जेट एयरवेज 1992 में बनी थी लेकिन तब से आजतक ये साफ़ नहीं हो पाया है की नरेश गोयल के पास इतने रुपये कहा से आये. नरेश गोयल जर्मनी के नागरिक है.
1993 बम ब्लास्ट के बाद कांग्रेस के ही बड़े मंत्री ने दाऊद को देश के बाहर भगाया था.

तो पुरे घटनाक्रम पर नजर डाले -

> 1992 में नरेश गोयल जेट एयरवेज को भारत में लाते है लेकिन शुरुआती रकम $10,000,000 कहा से लाये ये किसी को नहीं पता
> 1993 में दाऊद भारत से फरार
> 2001 में इस कंपनी में दाऊद के पैसे लगे होने की बात सामने आती है.
> 2004 में राजीव शुक्ला दाऊद से पाकिस्तान में मिलते है
> 2013 में दुबई की एयरलाइन एतिहाद एयरवेज जेट एयरवेज के 24% शेयर्स खरीदेगी
> लेकिन 2058 करोड़ की ये डील सवालो के घेरे में आ गयी है.

2G घोटाले के सामने आने के बाद सरकार को 2G आवंटन रद्द करना पड़ा था जिसमे दुबई की कंपनी Etisalat को भारी नुकसान हुआ।
Etisalat नहीं बता पाया की उसमे लगा धन कहा से आया। जाहिर सी बात है की ये अंडरवर्ल्ड का कला पैसा है।
बस हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए कांग्रेस की सरकार Jet Airways और Etihaad Airways की डील कराने जा रही है जिसके तहत एतिहाद खरीदेगा जेट की 24% शेयर्स।
Links -

1) About Jet Airways - http://bharatian.wordpress.com/2011/01/26/government-of-india-could-not-trace-the-owner-of-jet-airways/

2) Rajiv-Dawood meeting - http://www.deccanchronicle.com/130604/news-current-affairs/article/did-rajeev-shukla-meet-dawood-ibrahim-when-he-was-pakistan

3) Jet-Etihad deal - http://www.hindustantimes.com/business-news/SectorsAviation/Govt-divided-over-Jet-Etihad-deal-

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Thursday 24 October 2013

गुर्दों में पथरी



 गुर्दों में पथरी होने का प्रारंभ में रोगी को कुछ पता नहीं चलता है, लेकिन जब वृक्कों से निकलकर पथरी मूत्रनली में पहुंच जाती है तो तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। पथरी के कारण तीव्र शूल से रोगी तड़प उठता है।

उत्पत्ति :
भोजन में कैल्शियम, फोस्फोरस और ऑक्जालिकल अम्ल की मात्रा अधिक होती है तो पथरी का निर्माण होने लगता है। उक्त तत्त्वों के सूक्ष्म कण मूत्र के साथ निकल नहीं पाते और वृक्कों में एकत्र होकर पथरी की उत्पत्ति करते हैं। सूक्ष्म कणों से मिलकर बनी पथरी वृक्कों में तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। कैल्शियम, फोस्फेट, कोर्बोलिक युक्त खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से पथरी का अधिक निर्माण होता है।

लक्षण :
पथरी के कारण मूत्र का अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है। मूत्र रुक-रुक कर आता है और पथरी के अधिक विकसित होने पर मूत्र पूरी तरह रुक जाता है। पथरी होने पर मूत्र के साथ रक्त भी निकल आता है। रोगी को हर समय ऐसा अनुभव होता है कि अभी मूत्र आ रहा है। मूत्र त्याग की इच्छा बनी रहती है। पथरी के कारण रोगी के हाथ-पांवों में शोध के लक्षण दिखाई देते हैं। मूत्र करते समय पीड़ा होती है। कभी-कभी पीड़ा बहुत बढ़ जाती है तो रोगी पीड़ा से तड़प उठता है। रोगी कमर के दर्द से भी परेशान रहता है।

क्या खाएं?
* वृक्कों में पथरी पर नारियल का अधिक सेवन करें।
* करेले के 10 ग्राम रस में मिसरी मिलाकर पिएं।
* पालक का 100 ग्राम रस गाजर के रस के साथ पी सकते हैं।
* लाजवंती की जड़ को जल में उबालकर कवाथ बनाकर पीने से पथरी का निष्कासन हो जाता है।
* इलायची, खरबूजे के बीजों की गिरी और मिसरी सबको कूट-पीसकर जल में मिलाकर पीने से पथरी नष्ट होती है।
* आंवले का 5 ग्राम चूर्ण मूली के टुकड़ों पर डालकर खाने से वृक्कों की पथरी नष्ट होती है।
* शलजम की सब्जी का कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करें।
* गाजर का रस पीने से पथरी खत्म होती है।
* बथुआ, चौलाई, पालक, करमकल्ला या सहिजन की सब्जी खाने से बहुत लाभ होता है।
* वृक्कों की पथरी होने पर प्रतिदिन खीरा, प्याज व चुकंदर का नीबू के रस से बना सलाद खाएं।
* गन्ने का रस पीने से पथरी नष्ट होती है।
* मूली के 25 ग्राम बीजों को जल में उबालकर, क्वाथ बनाएं। इस क्वाथ को छानकर पिएं।
* चुकंदर का सूप बनाकर पीने से पथरी रोग में लाभ होता है।
* मूली का रस सेवन करने से पथरी नष्ट होती है।
* जामुन, सेब और खरबूजे खाने से पथरी के रोगी को बहुत लाभ होता है।
नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन करने से पहले चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।

क्या न खाएं?
* वृक्कों में पथरी होने पर चावलों का सेवन न करें।
* उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
* गरिष्ठ व वातकारक खाद्य व सब्जियों का सेवन न करें।
* चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
* चइनीज व फास्ट फूड वृक्कों की विकृति में बहुत हानि पहंुचाते हैं।
* मूत्र के वेग को अधिक समय तक न रोकें।
* अधिक शारीरिक श्रम और भारी वजन उठाने के काम न करें.

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सोमरस और शराब में बहुत बड़ा अंतर है 

सबसे जादा चाय कोफ़ी से भी पहले बियर, वाइन , हुइस्कि ..शराब एक ऐसा आहार है जो आपके शारीर को जरुरत से जादा गरम कर देता है । और शारीर में जरुरत से जादा गर्मी आने के कारन ही मनुष्य वो सब करता जो सामान्य स्थिति में उससे वो करने की अपेक्षा नही की जा सकती । तो आपकी शारीर को बहुत जादा गरम करे ऐसी शराब अगर है तो ये प्रकृति के अनुकूल नही है, और जो आपके प्रकृति के अनुकूल नही है वो आपकी संस्कृति के भी अनुकूल नही है । क्योंकि आपके प्रकृति के संस्कार ही संस्कृति को निर्धारित करेंगे न, तो आपके संस्कृति के अनुकूल नही है तो शराब न पिये । राजीव भाई ने कुछ परिक्षण किये - जब भी एक साधारण स्वस्थ व्यक्ति को कोई भी शराब पिलाई जाये तो तुरंत उसका Blood Pressure बढना सुरु हो जाता है । अगर इसको आयुर्वेद की भाषा में कहा जाये तो तुरन्त उसका पित्त बढना सुरु हो जाती है , पित्त माने आग लगना सुरु होती है शारीर में । अब हमारा शारीर तो समशीतोष्ण है , जब आग लगेगी शारीर में तो शारीर की साडी प्रतिरक्षा प्रणाली इस आग को शांत करने में लगेगी, और परिरक्ष प्रणाली को काम करने के लिए रक्त इंधन के रूप में चाहिये ; तो आप का रक्त शरीरी का सरे अंगो से भाग कर उहाँ आयेगा जहां आपकी आग को शांत करने का काम चलेगा , माने पेट की तरफ सारा रक्त आ जायेगा । इसका माने रक्त जहां जाना चाहिए उहाँ नही होगा, ब्रेन को चाहिए उहाँ नही है, हार्ट को चाहिए उहाँ नही है, किडनी को चाहिए उहाँ नही है, लीवर को चाहिए उहाँ नही है .. वो सब आ गया पेट में , और ये रहेगा दो से पांच घंटे तक मने दो से पांच घंटे तक आपके शारीर के बाकि ओर्गन्स रक्त की कमी से तड़पेंगे और उनमे खराबी आना सुरु हो जायेंगे । इसलिए शराब पिने वालो के अन्दर के सारे अंग ख़राब होते है और उनको मृत्यु की डर सबसे जादा होते है । इसलिए भारत की प्रकृति और संस्कृति में शराब का स्थान नही है ।


लोग कहते है के, लेकिन सोमरस तो था !! सोमरस और शराब में बहुत बड़ा अंतर है - सोमरस और शराब में अंतर उतना ही है जितना डालडा और गाय के घी में है । सोमरस जो है आयुर्वेद का एक औषधीय रूप है जो आपके शारीर के शांत पित्त को बढाने का काम करता है, माने भूख जादा ठीक से लगे इसके लिये सोमरस पिया जाता है भारत में । शराब और सोमरस में जमीन असमान का अंतर है - शराब क्या करती है जो पित्त आपके शारीर में शांत है उसको भड़का देती है, एक सुलगना होता है एक भड़कना होता है । आग कहीं धीरे धीरे सुलग रहा है तो खतरे की सम्भावना बहुत कम हैं और आग भड़क के लग गयी है तो अस पड़ोसके बिल्डिंग ऐ जल जाएगी । तो शराब जो है वो पित्त को भड़काती है और सोमरस पित्त को सुलगाती है । तो सुलगा हुआ पित्त ये तो हमे चाहिये पर भड़का हुआ नही चाहिये , मने सरब नही चाहिये .. अगर चाहिये तो सोमरस चाहिये । अगर कोई सोमरस पिता है तो उसे जिन्दगी में कभी भी पित्त का रोग नही होगा । सोमरस बहुत ही संतुलित है जैसे नीबू की सरवत और शराब नीबू का रस ।
भारतीय संस्कृति का हिस्सा नही है शराब । और इतनी शराब जो लोग पिने लगे है वो यूरोप की नक़ल से आये, दुर्भाग्य से 450 साल तक हम भारतवासी यूरोपियन की सांगत में फंस गये या तो उनके गुलाम हो गये, तो उनकी नक़ल कर कर के हमने ये सुरु कर दिया ।
अधिक जानकारी के लिए निचे दिए गए लिंक पे click करे:
http://www.youtube.com/watch?v=cV2s70aF6c4 
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बैटरी सबसे पहले भारत मे बनी | बैटरी बनाने की जो विधि है जो आधुनिक विज्ञानं ने भी स्वीकार कर रखी है वो महर्षि अगस्त द्वारा दी गयी विधि है | महर्षि अगस्त ने सबसे पहले बैटरी बनाई थी और उसका विस्तार से वर्णन है अगस्त संहिता मे | पूरा बैटरी बनाने की विधि या तकनीक उन्होंने दिया है और कई लोगोने बनाके भी देखा है, और ये तकनीक हजारो वर्ष पहले की है | 

माने जो सभ्यता बैटरी बनाना जानते हो वो विद्युत् के बारे मे भी जानते होंगे क्योंकि बैटरी येही करता है, कर्रेंट के फ्लो के लिए हि हम उसका उपयोग करते है| ये अलग बात है के वो डायरेक्ट कर्रेंट है और आज की दुनिया मे हम जो उपयोग करते है वो अल्टरनेटिव करेंट है; लेकिन डायरेक्ट कर्रेंट का सबसे पहले जानकारी दुनिया को हुई तो वो भारत मे महर्षि अगस्त को हि है |

अगस्त्य संहिता में एक सूत्र हैः

संस्थाप्य मृण्मये पात्रे ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌।
छादयेच्छिखिग्रीवेन चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥

अर्थात् एक मिट्टी का बर्तन लें, उसमें अच्छी प्रकार से साफ किया गया ताम्रपत्र और शिखिग्रीवा (मोर के गर्दन जैसा पदार्थ अर्थात् कॉपरसल्फेट) डालें। फिर उस बर्तन को लकड़ी के गीले बुरादे से भर दें। उसके बाद लकड़ी के गीले बुरादे के ऊपर पारा से आच्छादित दस्त लोष्ट (mercury-amalgamated zinc sheet) रखे। इस प्रकार दोनों के संयोग से अर्थात् तारों के द्वारा जोड़ने पर मित्रावरुणशक्ति की उत्पत्ति होगी।

यहाँ पर उल्लेखनीय है कि यह प्रयोग करके भी देखा गया है जिसके परिणामस्वरूप 1.138 वोल्ट तथा 23 mA धारा वाली विद्युत उत्पन्न हुई। स्वदेशी विज्ञान संशोधन संस्था (नागपुर) के द्वारा उसके चौथे वार्षिक सभा में ७ अगस्त, १९९० को इस प्रयोग का प्रदर्शन भी विद्वानों तथा सर्वसाधारण के समक्ष किया गया।
अगस्त्य संहिता में आगे लिखा हैः

अनेन जलभंगोस्ति प्राणो दानेषु वायुषु।
एवं शतानां कुंभानांसंयोगकार्यकृत्स्मृत:॥

अर्थात सौ कुम्भों (अर्थात् उपरोक्त प्रकार से बने तथा श्रृंखला में जोड़े ग! सौ सेलों) की शक्ति का पानी में प्रयोग करने पर पानी अपना रूप बदल कर प्राण वायु (ऑक्सीजन) और उदान वायु (हाइड्रोजन) में परिवर्तित हो जाएगा।

फिर लिखा गया हैः

वायुबन्धकवस्त्रेण निबद्धो यानमस्तके उदान स्वलघुत्वे बिभर्त्याकाशयानकम्‌।

अर्थात् उदान वायु (हाइड्रोजन) को बन्धक वस्त्र (air tight cloth) द्वारा निबद्ध किया जाए तो वह विमान विद्या (aerodynamics) के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।

स्पष्ट है कि यह आज के विद्युत बैटरी का सूत्र (Formula for Electric battery) ही है। साथ ही यह प्राचीन भारत में विमान विद्या होने की भी पुष्टि करता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारे प्राचीन ग्रन्थों में बहुत सारे वैज्ञानिक प्रयोगों के वर्णन हैं, आवश्यकता है तो उन पर शोध करने की। किन्तु विडम्बना यह है कि हमारी शिक्षा ने हमारे प्राचीन ग्रन्थों पर हमारे विश्वास को ही समाप्त कर दिया है।

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

http://www.youtube.com/watch?v=w_FKQn3HDno

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पेट की वीमारी का इलाज :

राजीव भाई कहते है अगर आपकी पेट ख़राब है दस्त हो गया है , बार बार आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो इसकी सबसे अछि दावा है जीरा | अध चम्मच जीरा चबाके खा लो पीछे से गुनगुना पानी पी लो तो दस्त एकदम बंध हो जाते है एक ही खुराख में |

अगर बहुत जादा दस्त हो ... हर दो मिनिट में आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो आधा कप कच्चा दूध ले लो बिना गरम किया हुआ और उसमे निम्बू डालके जल्दी से पी लो | दूध फटने से पहले पीना है और बस एक ही खुराक लेना है बस इतने में ही खतरनाक दस्त ठीक हो जाते है |

और एक अछि दावा है ये जो बेल पत्र के पेड़ पर जो फल होते है उसका गुदा चबाके खा लो पीछे से थोडा पानी पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है | बेल का पाउडर मिलता है बाज़ार में उसका एक चम्मच गुनगुना पानी के साथ पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है |

पेट अगर आपका साफ़ नही रहता कब्जियत रहती है तो इसकी सबसे अछि दावा है अजवाईन | इसको गुड में मिलाके चबाके खाओ और पीछे से गरम पानी पी लो तो पेट तुरंत साफ़ होता है , रात को खा के सो जाओ सुबह उठते ही पेट साफ होगा |

और एक अछि दावा है पेट साफ करने की वो है त्रिफला चूर्ण , रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण ले लो पानी के साथ पेट साफ हो जायेगा |

पेट जुडी दो तिन ख़राब बिमारिय है जैसे बवासीर, पाईल्स, हेमोरोइड्स, फिसचुला, फिसर .. ये सब बिमारिओ में अछि दावा है मुली का रस | एक कप मुली का रस पियो खाना खाने के बाद दोपहर को या सबेरे पर शाम को मत पीना तो हर तरेह का बवासीर ठीक हो जाता है , भगंदर ठीक होता है फिसचुला, फिसर ठीक होता है .. अनार का रस पियो तो भी ठीक हो जाता है |

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:
http://www.youtube.com/watch?v=PHuYbNe2lBw

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Wednesday 23 October 2013

१८ संत / महात्माओ / मठाधीशो की लिस्ट बनी है

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार १८ संत / महात्माओ / मठाधीशो की लिस्ट बनी है , जिन्हें अगले लोकसभा चुनाव तक नेस्तोनाबूत करना है | 
इल्लुमितानी (ईसाई संघठन ) जिसमे विश्व की ३०० ईसाई कम्पनियों का चंदा जाता है और जिसका उद्देश्य है ईसाई धर्म को विश्व में फैलाना है जो की सरकारों को अस्थिर करके हि सम्भव है के टारगेट में इस बार भारत है , लीबिया आदि के बाद |
जो लोग सोच रहे हैं की हमारे गुरु आदि अच्छे और साधू बुरे , या हमे क्या पड़ी है आसाराम बापू से , रामदेव से , रवि शंकर से हमारे तो संत/...गुरु कोई और हैं | अब भी समय है एक होकर सामने आये वरना देखते जाइये अभी किस किस के नाम आने वाले हैं हिटलिस्ट में |
इल्लुमितानी की एक सदस्य हमारे देश की एक बड़ी पार्टी की महिला भी हैं जो की हर बार जब भी कोई षड्यंत्र होता है तो इल्लुमितानी के अध्यक्ष पोप को ब्रीफिंग करने और मार्गदर्शन लेने विदेश जाति हैं | चाहे रामदेव जी का राम लीला ग्राउंड वाला केस हो या , आसाराम जी बापू के खिलाफ चल रहा वर्तमान षड्यंत्र |
जिन हिन्दुओ को साधू / संतो से कुछ मतलब नही , और सेकुलर गान करना है वो तैयार हो जाओ ईसाई बनने के लिए अगर यही हाल रहा तो | इतना ध्यान रखना यही हिंदू थे जो सोमनाथ मंदिर , तक्षशिला आदि को नही बचा पाए और बाद में खुद को कोसते रहे | यदि समय रहते नही चेते तो भयंकर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे |
जो लोग संत आदि के प्रचार आदि में भागीदारी दे रहे हैं चाहे राम देव जी , आसाराम बापू, रवि शंकर , मोरारी बापू , शंकराचार्य , कबींर पंथी आदि आदि सभी एकजुट होकर दुश्मन को मुह तोड़ जवाब दो |
कुप्रचार को सुप्रचार से काटो |आपस में मन खट्टा करके बंटे हुए हिंदू समाज को और खायी में न झोके 
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।। रोचक जानकारी ।।
छिपकली का दिल 1 मिनट में 1000 बार
धड़कता है.
अगर एक बिच्छू पर थोड़ी सी मात्रा में
भी शराब डाल दी जाए तो यह पागल
हो जाएगा और खुद को डंक मार लेगा.
एक औसतन ईन्सान दिन में 10 बार
हसता है.
1.’TYPEWRITER’ सबसे लंम्बा शब्द है
जो कि keyboard पर एक ही लाइन पर
टाइप होता है
.’Uncopyrightab le’ एकलौता 15
अक्षरो वाला शब्द है जिसमे कोई
भी अक्षर दुबारा नही आता.
एक समुद्री केकडे का दिल उसके सिर में
होता है.
फेसबुक के 43 प्रतिशत users पुरुष है
वहीं 57 फीसदी महिलाएं।
.100 की उम्र के पार पहुँचने वालो में से 5
में से 4 औरते होती हैं
यदि कोई व्यक्ति हर वेबसाइट को मात्र
एक मिनट तक ब्राउज़ करे तो उसे
सारी वेबसाइटें खंगालने में 31000 वर्ष
लगेंगे. यदि कोई व्यक्ति सारे वेबपन्ने
पढना चाहे तो उसे ऐसा करने में करीब
6,00,00,000 दशक लग जायेगे.
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सूर्यनमस्कार

सूर्य नमस्कार का सरल अर्थ है 'सूर्य को प्रणाम। वैदिक युग के प्रबुद्ध ऋषियों द्वारा सूर्य नमस्कार की परम्परा हमें प्राप्त हुर्इ है। सूर्य आध्यातिमक चेतना का प्रतीक है। प्राचीन काल में दैनिक सूर्योपासना का विधान नित्य-कर्म के रूप में था। योग में सूर्य का प्रतिनिधित्व पिंगला अथवा सूर्य नाड़ी द्वारा होता है। सूर्य नाड़ी प्राण-वाहिका है, जो जीवनी-शä कि वहन करती है।
गतिशील आसनों का यह समूह हठयोग का पारम्परिक अंग नहीं माना जाता है, क्योंकि कालान्तर में मौलिक आसनों की श्रृंखला में इन्हें समिमलित किया गया था। यह शरीर के सभी जोड़ों एवं मांसपेशियों को ढीला करने तथा उनमें खिंचाव लाने और आंतरिक अंगों की मालिश करने का एक प्रभावी ढंग है। इसकी बहुमुखी गुणवत्ता और उपयोगिता ने एक स्वस्थ, ओजस्वी और सक्रिय जीवन के लिए तथा साथ-ही आध्यातिमक जागरण और चेतना के विकास के लिए एक अत्यन्त उपयोगी पद्धति के रूप में इसे स्थापित किया है।
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