Sunday 1 September 2013

. सेकुलरता का नगाड़ा बजाते हुए....... लोगों को बहकाने के लिये रानी कर्णवती और दिल्ली के बादशाह हुमायूँ को राखी भेजने का किस्सा ........नमक मिर्च लगाकर सुनायेंगे.......

लेकिन ... क्या आप जानते हैं कि ..... उस कहानी का सच क्या है....?????

दरअसल.... ये कलंक कथा है ..... एक धार्मिक हिन्दू महारानी के राखी पर अटूट विश्वास ..... और, उसके साथ मुस्लिमजनित विश्वासघात करता ..... तैमूरलंग के वंशज हुमायूँ का ....

आएँ .... आज उस कलंक गाथा की वास्तविकता से आपको परिचय करवाता हूँ....

हुआ कुछ यूँ था कि......... मालवा और गुजरात में राज्य कर रहा बहादुरशाह........ दिल्ली के मुग़ल बादशाह हुमायूँ का जानी दुश्मन था.... क्योंकि., बहादुरशाह ने हुमायूँ के जानी दुश्मनों को अपने राज्य में शरण दे रखी थी...... जिनमे प्रमुख था ..... इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खाँ..... हुमायूँ की सौतेली बहन मासूमा सुल्तान के पति मोहम्मद जमाँ मिर्जा और हुमायूँ के खून का प्यासा बाबर का ही अपना सगा बहनोई मीर मोहम्मद मेंहदी ख्वाजा.... ( याद रखें कि मुस्लिमों में ये बहुत आम है )

इधर बहादुरशाह ने हुमायूँ से दुश्मनी के कारण ...हुमायूँ के सारे के सारे दुश्मनों को अपने पास बैठा रखे थे...

इस तरह ..... बहादुरशाह.......हुमायूँ का नम्बर एक का दुश्मन बन गया था....... क्योंकि, बहादुरशाह से ..... हुमायूँ की जान और राज-पाट के जाने का खतरा था...... इसलिये, हुमायूँ ...बहादुरशाह को किसी भी हालत में समाप्त करना चाहता था.... और, वो इसके लिए उचित मौके की तलाश में था.

सौभाग्य से .....इसी बीच उसे मौका मिल गया....!

क्योंकि .... जब बहादुरशाह ने चित्तौड़ पर हमला किया और चित्तौड़ के किले को घेर लिया. .. तो, धर्मपरायण रानी कर्णवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर... उसे राखी भाई बना लिया और उस से सहायता करने की गुहार लगाई.

इस मौके को पाते ही....हुमायूँ ने.... जो पहले से बहादुरशाह के लिये घात लगाये था......मौके का फायदा उठाने की गरज से ... ये सोचा कि .... कि बहादुरशाह राजपूतों से उलझा है.... और, ऐसे में उस पर .....अचानक हमला कर दो और दुश्मन को खत्म कर दो.

और.... इसी इरादे से हुमायूँ दिल्ली से पूरे लाव-लश्कर के साथ चला............ न कि कर्णवती की रक्षा के लिये.

यही कारण था कि..... हुमायूँ दिल्ली से चल तो दिया......लेकिन, रानी कर्णवती की राखी की लाज बचाने के स्थान पर वह रास्ते में डेरा ड़ालकर बैठ गया और .... बहादुरशाह के कमजोर होने का इंतज़ार करता रहा ....!

इधर ....चित्तौड़ की रानी ने उस हुमायूँ को ....सन्देश पर सन्देश भेजा......... लेकिन, हुमायूँ अपनी जगह से टस से मस नही हुआ... और, दूर में ही बैठा मौजमस्ती मनाता रहा क्योंकि अपनी बहन से ही शारीरिक सम्बन्ध बनाने वाला......हुमायूँ क्या जाने राखी.... अथवा , अपनी बहन की अस्मिता को ...????

उसे तो सिर्फ मतलब था ...... अपने दुश्मन बहादुरशाह से. ......

इधर......बहादुरशाह ने रानी कर्णवती के चित्तौड़ किले को जीतकर..........उसे जी भर कर लूटा.....!

इस तरह..... रानी कर्णवती की राखी की लाज .........मुसलमान घुड़सवारों की टापों के नीचे कुचल गयी......

इसके बाद ..... जब बहादुरशाह .... चित्तौड़ को लूट कर जब जाने लगा तो...... हुमायूँ ने लूट का माल हड़पने तथा, कमजोर हो चुके बहादुरशाह का खत्म करने के लिए उसका गुजरात तक पीछा किया.

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इस तरह की एक दूसरी राखी........... भोपाल की रानी कमलावती ने........ दोस्त मोहम्मद को बाँधी थी कि .....वह उसकी राखी की लाज रखे और उसके पति के हत्यारे बाड़ी बरेली के राजा का वध करे.

और, दोस्त मोहम्मद ने बाड़ी बरेली के राजा का कत्ल कर भी दिया... जिसके बदले में रानी ने .....अपने इस राखी भाई को जागीर और बहुत सा धन दिया.

परन्तु..... धन और जागीर पाने के बाद और शक्तिशाली हो गये....... दोस्त मोहम्मद ने...... भोपाल की रानी और अपनी राखी बहन कमलावती का सफ़ाया कर ......पूरे भोपाल राज्य को ही हड़प लिया.

यही हकीकत है ..... इन ऐतिहासिक हिन्दु-मुस्लिम राखी भाई-बहनों की.....

जागो हिन्दू ... और, अपनी आँखें खोलो....

नहीं तो सब के सब .... बारी-बारी इसी तरह बेमौत मारे जाओगे....

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चालबाज लोगों द्वारा अक्सर अपनी गलती और कमियों को छुपाने के लिए .... दूसरों पर दोषारोपण करना बहुत ही पुराना खेल है...!

और, दुर्भाग्य से मुस्लिमों , सेकुलरों और ईसाईयों द्वारा सदियों से यही खेल..... हमारे हिन्दू सनातन धर्म के लिए खेला जा रहा है...... और, वैज्ञानिकता आधारित हिन्दू सनातन धर्म को अवैज्ञानिक, पाखंडी और अन्धविशवासी बताया जाता रहा है...... और, भोले-भाले लोगों को बरगला कर उनका धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है......!

लेकिन..... एक बहुत ही पुरानी कहावत है कि...... बादल रूपी झूठ भले ही सूर्य की सच्चाई को कुछ समय के लिए ढक ले..... लेकिन, अंततः ..... सूर्य की सच्चाई उजागर होकर ही रहती है......!

उसी तरह..... आज का यह लेख...... हिन्दू सनातन धर्म को अवैज्ञानिक , पाखंडी , और अन्धविश्वासी बताने वालों के मुंह पर एक जोरदार तमाचा है .... और, उनके लिए एक खुली चुनौती है कि..... वे इस लेख और सनातन धर्म के सिद्धांत को गलत साबित कर के दिखाए.....

हकीकत तो यह है कि..... हमारा हिन्दू सनातन धर्म एक पूर्णतः वैज्ञानिक एवं अति उत्कृष्ट धर्म है..... और, हमारे ऋषि-मुनियों ने लाखों वर्ष पहले ही...... उन चीजों की गणना की विधि विकसित कर ली थी...... जिसके लिए लिए आज भी पश्चिम के लोग जद्दोजदत ही कर रहे हैं....!

आकाश और खगोल विज्ञान हमेशा से ही मनुष्य को आश्चर्य चकित करता रहा है...... और, पश्चिम के वैज्ञानिक एवं नासा जैसे संस्थान आज भी ..... खगोल विज्ञान की पहेलियों को सुलझाने में लगे हैं......

परन्तु.... हिन्दू सनातन धर्म के धर्मग्रन्थ ........बिना आधुनिक विज्ञान अथवा किसी कंप्यूटर का सहारा लिए ही..... पूर्ण सटीकता से यह बता सकने में सक्षम हैं कि........ कब ओर कैसे पूर्णिमा....अमावस्या... सूर्यग्रहण..... चंद्रग्रहण आदि घटनाये घटित होंगी.

इस बार अगस्त में ......... 21-8-2013 को पूर्णिमा है........

परन्तु..... आयें और समझें कि...... बिना किसी कंप्यूटर अथवा आधुनिक विज्ञान के ........ सिर्फ हिन्दू खगोलीय विज्ञान के सहारे हम यह कैसे जान पाते हैं.........???

दरअसल..... हिन्दू धर्म के सूक्ष्म खगोलीय विज्ञान एवं हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ब्रह्माण्ड 360 डिग्री गोल है.......... और........ आश्चर्यजनक रूप से आधुनिक विज्ञान भी यही मानता है

अब..... इन 360 डिग्री के ब्रह्माण्ड को ऋषिओं ने.......... 12 राशियों में बांटा है .........
और, वे बारह राशियाँ क्रमश : इस प्रकार हैं .................मेष....वृष.......मिथुन......कर्क.....सिंह .....कन्या........तुला ......वृश्चिक.....धनु......मकर......कुंभ......एवं .....मीन

साथ ही.........प्रत्येक राशी ३० डिग्री की होती है.............

इस प्रकार........12x30 =360 ....... पूर्ण हो जाता है....!

आगे............ पूरी सटीकता के लिए....... इन रशिओं को भी...... 27 नक्षत्रों में बांटा गया है ...........और, एक नक्षत्र का मान 13 . 33 डिग्री है ....... इस प्रकार........ 13 . 33 x 27 = 360 डिग्री.

अब हम देखतें हैं........ यह विज्ञान कितनी सटीकता से काम करता है.........

यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि...... सभी ग्रह ईश्वर द्वारा पूर्व निर्धारित गति द्वारा इन रशिओं और नक्षत्रों में विचरण करते हैं........... और, इसका ज्ञान भी दुनिया में सबसे पहले हम हिन्दुओं को ही
हुआ था.

आज 13-8-2012 रात के 10 .05 PM (जब मैं यह लेख लिख रहा हूँ) बजे को सूर्य सिंह राशि में 17 डिग्री और 24 मिनट पर स्थित है ........और , चंद्रमा तुला राशि में 17 डिग्री और 17 .50 मिनट पर स्थित है.......

इस प्रकार इनमे तीन राशियों की अर्थात 90 डिग्री की दूरी है .........और, यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि .........जब चंद्रमा सूर्य से 90 डिग्री दूर होता है ....तो , सूर्य की आधी रोशनी ग्रहण करता है |

जिस वजह से आज चाँद आधा दिखाई देगा.

अब हिन्दू शास्त्रों के अनुसार सूर्य प्रतिदिन एक राशि में 1 डिग्री ही आगे बढता है .......और, 30 दिनों में राशि को पार कर जाता है ........इसलिए, इस के ठीक एक हफ्ते अर्थात 21.08 .2013 को अपनी गति के अनुसार सूर्य 7 डिग्री आगे चला जायेगा .....और., कुम्भ राशि में 14 डिग्री 33 मिनट पर पहुच जायेगा .|

ज्ञातव्य है कि.....चंद्रमा की गति प्रतिदिन एक राशि में 13 डिग्री है .......और , एक हफ्ते बाद लगभग 90 डिग्री .......अर्थात, तीन राशि आगे जाकर कुम्भ राशि में 13 डिग्री 36 मिनट पर पहुँच जायेगा और सूर्य ओर चद्रमा की दूरी 180 डिग्री हो जाएगी जिस वजह से चंद्रमा सूर्य की पूरी रौशनी ग्रहण करेगा ओर पूरा गोल चमकता हुआ दिखाई देगा...!

इस प्रकार हिन्दू बिना आधुनिक विज्ञान की मदद के भी हजारों साल के बाद की किसी भी ऐसी खगोलीय घटना को जान सकते हैं.......!

अब मैं ईश्वर में विश्वास ना करने वाले नास्तिकों ....... और, मुस्लिमों तथा सेकुलरों को चुनौती देता हूँ कि..... अगर ईश्वर की सत्ता नहीं है .... तथा , हमारा हिन्दू सनातन धर्म वैज्ञानिक नहीं है तो.....तो हजारों साल पहले बिना किसी यंत्र या यान के ही भारत के ऋषि-मुनियों को इतना सटीक खगोलीय ज्ञान किसने प्रदान किया......??????

जागो हिन्दुओ.... और, पहचानो अपने आपको.....

हम हिन्दू दुनिया के सभी सम्प्रदायों के बाप ही नहीं ...... अपितु , उनके गुरु भी हैं....!

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