Tuesday 21 May 2013

कुरान पढ़ा तो इनका मन वितृष्णा से भर गया और उसे उठा कर फ़ेंक दिया..
हिंदुत्व की ओर उन्मुख हुई तो भगवन कृष्ण दिखाई पड़े.. खुद ही देखिये कितना सुन्दर पद कहा गया है ..
सुनों दिल जानी मेरे दिल की कहानी तुम,दस्त ही बिकानी बदनामी भी सहूँगी मैं|
देवपूजा ठानी, मैं नमाज हूँ भुलानी, तजे कलमा कुरान सांडे गुनानी गहूंगी मैं|
नन्द के कुमार कुर्बान तेरी सूरत पै,हौं तो मुगलानी हिन्दुआनि ह्वैं रहूंगी मैं||
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मुगल काल में जिस समय देश में
भक्ति आन्दोलन चला , एक से बढ़कर एक
महान् सन्तों ने अपनें भक्ति की धारा से
पूरे देश को भक्तिमय बना दिया उससे
मुसलमान भी अछूते नहीं रहे । लोगों नें
धर्म पर तर्क भी दिये । । उस समय के
लोग आज के मुसलमानों जैसे जिद्दी किस्म
के जाहिल लोग नहीं थे ।
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बहुत से मुसलमान सन्तों ज्ञानियों नें
कुरान को जंगलियों की किताब कहकर
नकार दिया और प्रभू श्री राम ,
श्री कृष्ण सहित अन्य भगवान के सम्मान्
में अपनी कालजयी रचनाओं से भक्ति-रस
की वाटिका में बहुतेरे सुन्दर पुष्प लगाये।
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बहुत बड़ी संख्या में मुसलमानों नें
अपनी कुरान पढ़ी और समझ गये कि , इस
रास्ते से केवल नर्क जाया जा सकता है ,
यह कुरान केवल बैर और नफरत फैलानें
वाली किसी दस्यु गिरोह की किताब है
जिसे धार्मिक ग्रन्थ कहना ही महान्
पाप होगा ।
परिणाम स्वरुप , समझदार मुसलमानों नें
इस्लाम को उसी प्रकार त्याग दिया ,
जैसे पेट के मल को त्यागा जाता है ।
कुरान और इस्लाम को फेंकते ही वे ईश्वर
भक्ति की ओर प्रवृत्त हुए , और उन्होनें
भगवान की भक्ति में एक से बढ़कर एक
रचनाएँ लिखी ।+++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
सबसे पहले मैं औरंगजेब
की बेटी जैबुन्निसा बेगम और
उसकी भतीजी ताज बेगम का जिक्र
करुँगा , जिन्होंनें महसूस किया कि ,
इसी इस्लाम और कुरान के कारण औरंगजेब
हिन्दुओं के साथ अत्याचार करता है ।
कुरान को फेंककर इन दोनों नें कृष्ण-
भक्ति की दीक्षा ली । ताज़ बेगम के
कृष्णभक्ति के पदों ने तो मुस्लिम समाज
को सोचनें पर विवश कर दिया जिसके
कारण मुगलिया सल्तनत में हलचल मच
गई ताज़ बेगम जिस तरह से
कृष्णभक्ति के पद गाती थी , उससे कट्टर
मुसलमानों को बहुत कष्ट होता था ,
क्योंकि कुरान में काल्पनिक अल्ला और
जाहिल रसूल के
अलावा किसी की पूजा करनें पर परम्
काल्पनिक जहन्नुम नसीब होगा ।
औरंगजेब की भतीजी ताज बेगम का एक
प्रसिद्ध पद है-
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छैल जो छबीला, सब रंग में रंगीला
बड़ा चित्त का अड़ीला, कहूं देवतों से
न्यारा है।
माल गले सोहै, नाक-मोती सेत जो है
कान,
कुण्डल मन मोहै, लाल मुकुट सिर
धारा है।
दुष्टजनमारे, सब संत जो उबारे
ताज,
चित्त में निहारे प्रन, प्रीति करन
वारा है।
नन्दजू का प्यारा, जिन कंस
को पछारा,
वह वृन्दावन वारा, कृष्ण साहेब
हमारा है।।
सुनो दिल जानी, मेरे दिल
की कहानी तुम,
दस्त ही बिकानी,
बदनामी भी सहूंगी मैं।
देवपूजा ठानी मैं, नमाज हूं भुलानी,
तजे कलमा-कुरान साड़े
गुननि गहूंगी मैं।।
नन्द के कुमार, कुरबान तेरी सुरत पै,
हूं तो मुगलानी, हिंदुआनी बन
रहूंगी मैं।।
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कितनी खूबसूरत रचना है कृष्ण
भक्ति की , ताज बेगम तुम्हें ईश्वर स्वर्ग
में सर्वोपरि स्थान दे । इस्लाम में
तो औरतो को जन्नत नसीब
ही नहीं होना क्योंकि वे जहन्नुम के
लायक हैं । एक हदीस के अनुसार औरतें
चुगल-खोर होती हैं और वे मस्जिद में
जानें लायक नहीं हैं
क्योंकि हो सकता है कि वे मस्जिद में
होनें वाली किसी बात का राज खोल
दें , क्योंकि कोई बात उनके पेट में
पचती नहीं है ।
एक बात और स्पष्ट कर देता हूँ । वास्तव
में कुरान , अल्ला और रसूल पर बात
करना ही बेवकूफी है , लेकिन फिर भी हम
तमाम सनातन हिन्दू इस पर जीवन
का कीमती समय जाया कर रहें है
क्योंकि , हमारा यह फर्ज बनता है
कि अपनें साथ या समाज के
लोगों को यदि कोई बेवकूफ बना रहा है
या ठग रहा है तो इसे सावधान
किया जाये ।

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