Friday 5 April 2013


बघार या तडका लगाना यानी खाने को संस्कारित करना .
जिस तरह बिना संस्कार के इंसान जंगली होता है उसी तरह भोजन भी बिना संस्कार के शरीर में उथल पुथल कर देता है और वात-पित्त-कफ का संतुलन बिगाड़ कर बीमार कर देता है. विभिन्न मसालों से तडका लगाने से उनके गुण उस भोजन को संतुलित बना देते है. इसलिए भारतीय भोजन बनाने की पद्धति सबसे वैज्ञानिक और स्वास्थकर है.हमारे यहाँ परम्परा रही है की दोपहर के भोजन में अजवाइन और हिंग का तडका अवश्य लगता है, रात में नहीं.यह एक बहुत बड़ा विज्ञान है जिसे गृहिणियां संजोती आई है.किसी चाइनीज़ , इटेलियन या अंग्रेजी खाने में तडका या छौंक नहीं लगता .
ज़्यादातर तडके में हम राइ जीरे का तडका लगते है , पर इसमे मेथी दाने की पावडर , सौंफ , कलौंजी भी डाली जा सकती है. पंचफोरन में जीरा , राइ , कलौंजी , मेथी दाना और सौंफ होता है.मेथी दाना से वात का शमन होता है , इसलिए यह रात के भोजन के लिए उत्तम है. हिंग , अजवाइन से पित्त का शमन होता है , इसलिए यह दोपहर के भोजन के लिए उत्तम है.
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