Monday 29 April 2013

नाना पाटेकर ने मुम्बई में बढती "वृद्धाश्रम संस्कृति"

नाना पाटेकर ने मुम्बई में बढती "वृद्धाश्रम संस्कृति" पर गहरा दुख जताते हुए कहा है कि, मुम्बई को अपना निवास स्थान कहने में अब उन्हें शर्म महसूस होने लगी है, मुम्बई अब रहने की नहीं, सिर्फ काम करने की जगह है. 

ठाणे जिले के बाहरी उपनगर में एक वृद्धाश्रम का उदघाटन करते समय नाना ने अपने दिल की यह व्यथा व्यक्त की. इस मौके पर नाना पाटेकर ने आगे कहा कि फिल्मों में काम करने की वजह से हमारे चारों तरफ एक विशिष्ट घेरा बना दिया जाता है, जो कि उचित नहीं है. हम लोग कतई बड़े या महान नहीं है, क्योंकि हम लोग तो पैसा लेकर फिल्मों में काम करते हैं. वास्तव में महान तो आप लोग हैं, जो पैसा खर्च करके हमारी फ़िल्में देखते हो. जो फ़िल्मी कलाकार खुद को विशिष्ट या VIP दर्शाता है मुझे उससे घृणा होने लगती है. अभिनय, पुस्तकें पढ़ने से या कोचिंग लेने से नहीं आता... अभिनय करने के लिए "मनुष्य" और आम आदमी को पढ़ना आना चाहिए...

उल्लेखनीय है कि हाल ही में नाना पाटेकर फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोगों के निशाने पर उस समय आ गए थे, जब उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं तब तक संजय दत्त के साथ फिल्मों में काम नहीं 
करूँगा जब तक वह अपनी पूरी सजा नहीं भुगत लेते... संजय को माफी की अर्जी लगाने का कोई अधिकार नहीं है..." 

जिसे हिन्दी में "जमीन से जुड़ा इंसान" या अंग्रेजी में "Down to Earth" कहते हैं, यदि वास्तव में आपको ऐसा इंसान देखना हो, तो वह हैं नाना पाटेकर. 

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