Monday 8 October 2012

जब उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया -




मित्रों मेरे यहाँ जब मैं गांधीनगर में आया तो उससे पहले मैं दिल्ली में रहता था ,कई वर्षों से गुजरात आया नहीं था ,अचानक गुजरात का कार्य मेरे जिम्मे आ गया ,और मुझे याद है जब मुझे मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया गया तो उस समय अटल जी ने मेरे पास फोन किया मुझे ये बताने के लिए, उन्होंने पूछा कि भई कहाँ हो ,मैंने कहा कि मैं शमशान में हूँ, ये सुनकर वे हंस पड़े और बोले कि यार तुम श्मशान में हो ,मैं तुमसे अब क्या बात करूँ ,मैंने कहा नहीं अटल जी आपने मुझे फोन किया है तो कोई काम होगा आप बताइए ,अटल जी बोले अच्छा ये बताओ कि कितनी बजे लौटोगे और ये तुम शमशान में क्यों हो, मैंने बताया कि ये जो माधवराव सिंधिया जी का निधन हुआ है एक्सीडेंट होने के कारण उसमें उनके साथ एक पत्रकार भी था गोपाल नाम का ,उसकी भी उनके साथ ही मृत्यु हुई है ,तो मैं गोपाल के क्रियाकर्म में आया हूँ क्योंकि माधवराव जी के क्रियाकर्म में तो सब जायेंगे लेकिन गोपाल के क्रियाकर्म में कौन जाएगा,उसके क्रियाकर्म में भी तो कोई होना चाहिए , मैं उस गोपाल के क्रियाकर्म में था कोई और राजनेता नहीं था बस दो-चार उसके पत्रकार मित्र थे ,

तो उसके बाद रात को मैं अटल जी से मिलने गया वहाँ जाकर पता चला कि मुझे ये गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला हुआ है और कुछ दिनों बाद मुझे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेनी है, तो ये जानने के बाद मैंने दिल्ली से गुजरात में फोन मिलाया अपनी पार्टी के दफ्तर में , मैंने कहा भई ये तुम मुझे बुला तो रहे हो लेकिन मैं रहूँगा कहाँ क्योंकि मेरे पास तो घर नहीं है, तो उन्होंने कहा कि आप चिंता मत कीजिये हम सर्किट हॉउस में आपको एक कमरा बुक करवा देंगे , तो मैंने उनसे कहा कि देखो भैया आप कमरा जरूर बुक करवाइए लेकिन एक बात का ध्यान रहे ,मैं कोई MLA या अभी सरकार का हिस्सा नहीं हूँ इसलिए अगर उस कमरे के किराए का पूरा पैसा राज्य कि सरकार लेती है तो ही कमरा बुक करवाइयेगा, वो अलग बात है कि गुजरात में सरकार मेरी ही पार्टी कि थी लेकिन फिर भी मैंने पूरा चार्ज देकर वो कमरा बुक करवाया और वहीं से जिंदगी कि शुरुआत एक नए मोड़ पे हुई दोस्तों

खैर कुछ दिनों सर्किट हाउस के उस कमरे में रहा, फिर उसके बाद शपथ-समारोह हुआ ,मुख्यमंत्री बना और फिर उसके कारण एक quarter दे दिया गया रहने के लिए लेकिन जब मैं वहाँ सर्किट हाउस के कमरे में था और अभी मेरा मुख्यमंत्री बनना बाकी था तो ढेरों लोग मुझे मिलने आते थे ,सब कहते थे मोदी जी अब आप आये हो ,चुनाव सिर पे है ,कैसे जीतोगे , कुछ भी करो या ना करो लेकिन बस एक काम जरूर कर दो, कम से कम गाँव में शाम को खाना खाते समय तो बिजली मिले बस इतना कर दो , मित्रों आपको जानके आश्चर्य होगा कि उस समय मेरे गुजरात में शाम को भोजन के समय भी बिजली उपलब्ध नहीं होती थी ,अँधेरा रहता था और लोग मुझे यही कहते थे कि साहब बस इतना कर दो , मित्रों मैं भी गाँव से हूँ और एक गरीब परिवार से हूँ तो मुझे मालुम था कि जब परीक्षा के दिन होते हैं और रात को बिजली चली जाती है तो एक विद्यार्थी को कितनी पीड़ा होती है ,उस पीड़ा को मैंने भुगता हुआ था , तो मैंने तय किया कि मैं कुछ करूँगा और मैं उस पर सोचने लगा लेकिन करीब एक साल तक मैं इस बारे में कुछ कर नहीं पाया क्योंकि उसी साल चुनाव हुए और मैं दौबारा चुनकर आया,

जब मैं दौबारा चुना गया तो मैंने अपने अफसरों को बुलाया और कहा कि हमें जनता को 24 घंटे बिजली देनी है , उन सारे अफसरों ने और मेरी पूरी सरकार ने मना कर दिया कि गुजरात में 24 घंटे देने के लिए बिजली है ही नहीं और ये सम्भव ही नहीं है , छह महीने तक फाइलें घुमती रही मैं चीखता रहा कि अरे भई कुछ करो लेकिन कुछ नहीं हुआ

आखिर में मैंने फैसला किया कि अब इस काम को मैं अपने हाथ में लूँगा और मैंने एक ज्योतिग्राम योजना बनाई जिसके जरिये मैंने केवल 1000 दिन के अंदर-२ गुजरात में 24 घंटे 3-Phased Uninterrupted Power Supply उपलब्ध करवाई , मित्रों ये मात्र 1000 दिन में 24 घंटे बिजली देना कैसे सम्भव हुआ ,ये बातें मैं आपको सिर्फ इसलिए बता रहा हूँ कि आपको विश्वास हो जाए कि देश को बदला जा सकता है , वो ही मुलाजिम ,वो ही बिजली कम्पनियां ,वो ही फाइलें ,वो ही दफ्तर ,वो ही सरकारी अफसर सब कुछ वही लेकिन फिर भी स्तिथियाँ बदली जा सकी , और कोई ऐसा नहीं था कि मोदी से पहले बिजली के बटन बंद कर रखे थे और मोदी के कहने से वे बटन चालू कर दिए , इस ज्योतिग्राम योजना को जमीन पर उतारने के लिए मुझे 1000 दिन में बिजली के 23 लाख नए खम्बे डालने पड़े , Can You Imagine केवल 1000 दिनों में बिजली के 23 लाख नए खम्बे डालना......क्या लगता है

मैंने महाराष्ट्र से पूरा माल उठवा लिया ,मध्य-प्रदेश से उठवा लिया ,राजस्थान से उठवा लिया, उस समय देश में इनका जितना भी जहां भी manufacturing होता था सारा का सारा मैं खरीद कर गुजरात में ले आता था, इन्हीं 1000 दिनों में मैंने बिजली के 53,000 नए Transformers लगवाए गुजरात में , मित्रों आपके महाराष्ट्र के गाँव में अगर कोई Transformer जल जाता होगा तो 3-4 महीनों तक उसे बदला या ठीक नहीं किया जाता होगा, मेरे यहाँ भी यही होता था ,किसान रोता था ,वो बिजली कम्पनियों के दफ्तर में जाकर आरती उतारता था और साथ में प्रसाद भी चढा देता था लेकिन उसके बाद भी 45 दिनों तक Transformer change नहीं होता था ,उसकी फसल बर्बाद हो जाती थी ,उसके सपने चूर-२ हो जाते थे लेकिन परिस्तिथि बदलती नहीं थी मित्रों , ऐसी व्यवस्था के भीतर भी सिर्फ 1000 दिन में मैंने 56,000 नए Transformers लगवाकर दिखाए और इन्हीं 1000 दिनों में 75000 Kms कि बिजली कि तारें बिछवाई ,अब आप सोचिये मित्रों वही मुलाजिम, वही बिजली कम्पनियां ,वही फाइलें ,वही दफ्तर ,वही सरकारी अफसर लेकिन इस सबके बावजूद जब मैं कर सकता हूँ तो आप भी कर सकते हैं दोस्तों ,आप भी कर सकते हैं बस करने का नेक और मजबूत इरादा चाहिए साथियों ''

- नरेंद्र मोदी

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