Wednesday 25 July 2012

टॉक इन इंग्लिश .

टॉक इन इंग्लिश ...

स्कूल बस में बैठी वह मासूम सी शिक्षिका 'मोना' खिड़की के बाहर देख रही थी। दिन भर की थकान के बाद घर पहुँच कर अपने मासूम बच्चों से मिलकर उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाने की जल्दी थी उसे। अपने ही ख्यालों में डूबी हुयी वह खिड़की के बाहर देख रही थी। बस अपनी रफ़्तार से बढ़ी चली जा रही थी। बस के अन्दर अन्य शिक्षिकाओं और स्कूल के बच्चों की आवाजें गूँज रही थीं। बच्चे भी घर जाने की ख़ुशी में मस्त , दोस्तों के साथ निश्चिन्त होकर बातें कर रहे थे। कोई चुटकुला सुना रहा था तो कोई आपस में मिलकर खेल रहा था।

सहसा नेपथ्य में कोर्डीनेटर-मैडम की आवाज़ गूँज उठी- " टॉक इन इंग्लिश" और फिर नाज़ुक गालों पर चाटों की बरसात। सहम गए मासूम बच्चे। गुनाह कर दिया था हिंदी में बात करके....

मोना सोचने लगी, कहाँ जा रहा है ये देश । अपने ही देश में जन्मे बच्चे अपनी मातृ-भाषा में बात भी नहीं कर सकते। मैकाले की शिक्षा पद्धति ने किस कदर हमें गुलाम बना लिया है।

लाचारी में उसकी आँखों से दो- बूँद आँसू टपक पड़े...

बस आगे बढ़ी जा रही थी। बच्चे के सिसकने की आवाज़ आ रही थी। अगले स्टॉप पर कोर्डीनेटर-मैडम उतर गयीं। उनके जाने के बाद मोना ने उस बच्चे को अपनी गोद में बैठा लिया। उसकी सिसकियाँ थम गयीं थीं। मोना ने उसके आँसू पोछे और उससे हिंदी में एक गीत सुनाने को कहा।

च्चा गुनगुना उठा--- सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दोस्ताँ हमारा....Divya Srivastava

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