Wednesday 25 July 2012


ये हाल है आसाम का!डेढ लाख से ज्यादा हिंदूओं को जबरन हटाया गया. कैम्प में रहने पर मज़बूर हिंदूओ की दुर्दशा पर रोने के लिये ना केन्द्र सरकार और ना आसाम सरकार के पास फुरसत है.विदेशी फण्ड के लिये रोने वाली पेशेवर रूदालियों का भी अता पता नही है.बिके हुये चैनलो को तो खैर ये नज़र आयेगा ही नही.पता नही क्यों बार बार गुज़रात पर दहाड मार मार कर रोने वाले कांग्रेसी और कथित धर्मनिरपेक्ष नेता कंहा छिप गये हैं?क्या कश्मीर की तरह इसे भी भारत का हिस्सा नही मान रहे हैं वे देश के ठेकेदार?क्या सिर्फ गुजरात के ही लिये रोयेंगे वे लोग?क्या ये साम्प्रदायिक हिंसा नही है?सबसे दुःख की बात तो ये है कि हरामज़ादे बांगलादेशी घुसपैठिये हमारे देशवासियों पर हमला कर रहे हैं.थू है इस देश की कथित धर्मनिरपेक्ष नीति पर और उसी का दम भरने वाले नेताओं पर.

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