Thursday 26 July 2012

असम में चल रहे सामूहिक नरसंहार के ५ दिनों में एक मात्र टाईम्स नाऊ के संपादक अर्नब गोस्वामी ने स्वीकार किया है की यह बंगलादेशी मुसलमानों द्वारा की जा रही अवैध घुसपेठ का परिणाम है | और इस मुहीम में स्थानिक राजनेताओं का बड़ा हाथ है | सामान्यतः वोट देनेवाली जनसँख्या में ७-८ % वृद्धि होती है वहां इन जिलों में २५ % से ज्यादा वोटर जुड़े है , वोह कहाँ से आये ? असम में रह चुके सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने किये खुलासे काफी चौंकानेवाले है | वहीँ स्थानिक पत्रकार के कहना है की बंगलादेश के साथ की जानेवाली वार्ताओं में अवैध घुसपेठ को कभी मुद्दा ही नहीं बनाया गया | कृपया यह वीडियो अवश्य देखें और फेलाएं | वीडियो में चोर की दाढ़ी में तिनका साफ़ देखा जा सकता है |

Wednesday 25 July 2012

माओवादी आवरण में चर्च?स्रोत: Panchjanya - Weekly तारीख: 4/28/2012 3:38:58 PM


माओवादी आवरण में चर्च?

माओवाद की प्रयोग भूमि चीन ने माओवाद और उसके जन्मदाता माओत्से तुंग को न जाने कब का दफना दिया है। वहां अब माओ का जन्मदिन पहले की तरह धूमधाम से मनाना बंद कर दिया गया है। चीन के वर्तमान शासक माओवाद से अपने पूर्ण संबंध विच्छेद की घोषणा खुलेआम कर चुके हैं। पड़ोसी देश नेपाल में माओवाद के आवरण में सक्रिय भारतविरोधी सैनिक संगठन को चीन ने अपना समर्थन देना सार्वजनिक तौर पर ठुकरा दिया। पर, भारत में माओवाद का खूनी झंडा छत्तीसगढ़, उड़ीसा और झारखंड नामक तीन जनजातीयबहुल राज्यों में दिन ब दिन ताकतवर होता जा रहा है। गरीब परिवारों से जीविकोपार्जन की खोज में शामिल हुए पुलिस जनों की हत्या कर वे सर्वहारा क्रांति का दावा कर रहे हैं। विडम्बना यह कि महानगरीय सुविधाओं का भरपूर उपभोग करने वाले समृद्ध और अभिजात्य परिवारों के अंग्रेजीदां लोग इन खूनी हत्यारों की वकालत करके समतामूलक क्रांति का सपना देख रहे हैं।
सिर्फ नाम का माओवादी
यदि चीन ने माओवाद को दफना दिया है तो भारत के पश्चिम बंगाल के नक्सलवादी क्षेत्र से खूनी क्रांति की जो लहर उठी थी, वह भी पानी के बुलबुलों की तरह विलीन हो चुकी है। उस लहर के जन्मदाता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने उस क्रांति की असफलता को न जाने कब का स्वीकार कर लिया, पर नक्सलवाद का मुहावरा अभी भी हमारे मीडिया की जुबान पर चढ़ा हुआ है। उक्त तीनों राज्यों में पुलिस बलों पर होने वाले हमलों, जिला अधिकारियों के अपहरण की घटनाओं को मीडिया माओवादी या नक्सलवादी गतिविधियों के नाम से प्रचारित करता है। राज्य सरकारों की ओर से कोई कड़ा कदम उठते ही शहरी बुद्धिजीवी या मानवाधिकारवादी सरकारी दमन की निंदा करने और अन्याय व शोषण के विरुद्ध संघर्ष कर रहे सशस्त्र आतंकवादियों की वकालत करने के लिए दौड़ पड़ते हैं। पर यह नहीं बताते कि अपने बच्चों का पेट पालने के लिए पुलिस बल में भर्ती होने वाले गरीब वर्ग के सिपाहियों की हत्या से समतामूलक समाज का निर्माण कैसे संभव है? कैसे अपहरण और रक्तपात की घटनाओं से वैकल्पिक समाज की रचना खड़ी हो सकती है? इससे भी बड़ा प्रश्न यह है कि इस माओवादी क्रांति का उपकरण इन तीनों राज्यों के दुर्गम व जनजातीय क्षेत्रों व उसमें रहने वाले लोगों को ही क्यों बनाया जा रहा है?
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक समाचार श्रृंखला (8 अप्रैल, 2012 से) के अनुसार छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ क्षेत्र में नारायणपुर के इकोनार नामक ग्राम में माओवादियों के एक अड्डे पर हेलीकाप्टरों को गिराने और राकेट लांचर बनाने की जानकारी देने वाला साहित्य मिला। 5 अप्रैल को सीमा सुरक्षा बल का एक हेलीकाप्टर 'ध्रुव' झारखंड में दो घायल सैनिकों को लेकर लातेहर से रांची जा रहा था, कि नीचे से उस पर दो गोलियां चलायी गयीं। वह हेलीकाप्टर क्षतिग्रस्त हो गया। देरी से पहुंचने के कारण घायल सैनिकों में से एक सत्य प्रकाश जायसवाल को रांची के अपोलो अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। संजय पासवान नामक दूसरे सैनिक का वहां अभी इलाज चल रहा है। इसके पहले भी 6 सितम्बर, 2010 को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में सारडा वन्य क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल के एक हेलीकाप्टर पर गोलियां चलायीं गयीं। 19 अक्तूबर, 2011 को रांची के नजदीक एक 'ध्रुव' हेलीकाप्टर रहस्यमय परिस्थितियों में जमीन पर आ गिरा। इस घटना में दो चालक और एक तकनीकी सहायक मारे गये। इस दुर्घटना की जांच रपट को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, किंतु माओवादी संगठन के क्षेत्रीय कमांडर कुंदर पहान ने इस घटना का श्रेय अपने दल को दिया है।
अलगाववादियों-माओवादियों की साठगांठ
झारखंड के ही चाईबासा में सीआरपीएफ के अभियानों के उपनिरीक्षक भानु प्रताप सिंह ने बताया, 'विभिन्न माओवादी विरोधी अभियानों के तहत हमने कई बार छापा मारा और सबूत पाए कि मारे गये लड़ाके पूर्वोत्तर के आतंकवादी संगठनों के थे। इससे साफ संकेत मिलता है कि पूर्वोत्तर के सशस्त्र उग्रवादियों और झारखंड के माओवादी संगठनों के बीच साठगांठ हैं।' अर्द्धसैनिक बल के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें सूचना मिली है कि मणिपुर की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का एक गुट झारखंड में सक्रिय माओवादी गिरोहों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए यहां आया हुआ है।' यह सर्वज्ञात है कि पूर्वोत्तर भारत में सशस्त्र संघर्ष का मुख्य स्रोत चर्चप्रेरित नागा दल हैं। 'यीशु के लिए वृहत्तर नागालैंड' की स्थापना उनका अंतिम लक्ष्य है। भारत की स्वतंत्रता के समय से ही चर्च ने पूर्वोत्तर भारत में चर्च नियंत्रित पृथक ईसाई राज्य बनाने का सपना बुना। उसी ने अपने अकूत विदेशी साधनों के बल पर पूर्वोत्तर भारत में अनेक सशस्त्र गुटों को खड़ा किया है। झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के जनजातीय क्षेत्र भी लम्बे समय से चर्च की मतान्तरण गतिविधियों का केन्द्र रहे हैं।
संघ परिवार चर्च की इस मतान्तरण नीति का विरोध करता है इसलिए चर्च संघ परिवार को अपना सहज शत्रु मान बैठा है। इस क्षेत्र में  कार्यरत वनवासी कल्याण आश्रम की एकांतिक साधना के फलस्वरूप राष्ट्रभक्त, सांस्कृतिक जनजातीय नेतृत्व उभरा है, जो चर्च के लिए भारी चिंता का कारण बन गया है। राजनीतिक धरातल पर भाजपा के उभार को उसने अपने लिए खतरे की घंटी मान लिया है। इसके प्रतिकार के लिए उसने दक्षिण अमरीका के कैथोलिक चर्च द्वारा आविष्कृत 'लिबरेशन थियोलॉजी' नामक सशस्त्र संघर्ष की रणनीति भारत में प्रारंभ की है। इस रणनीति के अन्तर्गत एक ओर तो चर्च भोली-भाली जनजातियों को आधुनिक शस्त्रों का प्रशिक्षण देकर सशस्त्र संघर्ष के रास्ते पर धकेल रहा है, दूसरी ओर भाजपा शासित राज्यों में चर्चों पर सुनियोजित हमलों का झूठा प्रचार करके स्वयं को आक्रामक हिन्दुत्व के निरीह शिकार के रूप में प्रदर्शित करता है। इसके साथ ही अल्पसंख्यकवाद के नाम पर मुस्लिम कट्टरवाद के साथ गठबंधन कर रहा है। यह आश्चर्य की बात नहीं तो और क्या है कि जब पूरे विश्व में ईसाई जगत इस्लामी जिहाद और पृथकतावाद से जूझ रहा है तब भारत में मुल्ला- पादरी गठबंधन का दृश्य देखने को मिल रहा है।
चर्च का षड्यंत्र?
चर्च ने हिन्दुत्व विरोधी हिंसक गतिविधियों के लिए माओवाद का आवरण धारण कर लिया है। यह सत्य 2007 में 81 वर्षीय स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की उनके आश्रम में घुसकर सुनियोजित हत्या से उजागर हो गया। हत्या के तुरंत बाद एक माओवादी संगठन ने जोर-शोर से इसका श्रेय लेने की घोषणा कर दी। स्वामी लक्ष्मणानंद का पूरा जीवन जनजातियों की सेवा के लिए समर्पित था। किसी भी सच्चे माओवादी गुट का उनसे विरोध का कोई कारण नहीं था। जनजातियों में स्वामी जी की लोकप्रियता को चर्च अपने मतान्तरण कार्यक्रम में बड़ी बाधा मानता था, इसलिए वह उन्हें अपने रास्ते से हटाने पर तुला हुआ था। उनकी हत्या के अपराध पर पर्दा डालने के लिए चर्च ने एक नन के साथ बलात्कार की झूठी कहानी गढ़ी, जो न्यायालय में गलत प्रमाणित हुई। स्वामी लक्ष्मणानंद हत्याकांड के बाद यूरोपीय संघ ने कंधमाल क्षेत्र में जो विशेष रुचि दिखलाई, उससे भी स्पष्ट है कि उनकी हत्या में असली  माओवादियों का नहीं, चर्च के छद्म माओवादियों का ही हाथ था। यह भी साफ हुआ है कि कंधमाल क्षेत्र में मतान्तरित ईसाई कबीले एवं मतान्तरण को अस्वीकार करने वाले जनजातीय समूह में लम्बे समय से संघर्ष चल रहा था। स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या को चर्च अपनी विजय के रूप में देख रहा है। इसके फलस्वरूप बीजू जनता दल और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन का टूटना उसकी सबसे बड़ी कूटनीतिक सफलता है।
छत्तीसगढ़ में डा.विनायक सेन के समर्थन में यूरोप के दस नोबल पुरस्कार विजेताओं के संयुक्त वक्तव्य का आयोजन केवल चर्च ही कर सकता था, भारत के किताबी माओवादी यह कदापि नहीं कर पाते। विनायक सेन के मुकदमें की सुनवाई के समय यूरोपीय पर्यवेक्षक दल का भारत आगमन एवं न्यायालय में उपस्थित रहने का आग्रह भी विनायक सेन की गतिविधियों में चर्च की गहरी रुचि का प्रमाण है। इसी 14 मार्च को कंधमाल क्षेत्र में ही दो इटलीवासियों-क्लाउडियो कोलनगेलो और पाउलो बोसुस्को के अपहरण और रिहाई के पूरे घटनाक्रम का गहरा अध्ययन करने पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे बिना नहीं रहा जा सकता कि इन दोनों इतालवी नागरिकों की कंधमाल क्षेत्र में उपस्थिति संदेहास्पद है। क्लाउडियो को तो अपहरणकर्त्ताओं ने एक निरीह पर्यटक बताकर 24 मार्च को ही रिहा कर दिया। पर पाउलो बोसुस्को को अपने कब्जे में बनाये रखा। यह व्यक्ति पिछले 19 वर्ष से उड़ीसा में 'टूरिस्ट वीजा' पर रह रहा है और एक अनधिकृत टूरिस्ट एजेंसी चलाता है। उसके बारे में बताया गया है कि वह उड़ीसा के चप्पे-चप्पे के बारे में जानकारी रखता है और धाराप्रवाह उड़िया भाषा बोलता है। वह माओवादियों के संघर्ष को अन्याय और शोषण के विरुद्ध न्यायपूर्ण संघर्ष मानता है। उड़ीसा में चल रही माओवादी हिंसा के प्रति उसकी सहानुभूति के अनेक समाचार प्रकाश में आये हैं। तो क्या ये लोग वेटिकन और उड़ीसा के चर्च के बीच सम्पर्क का काम कर रहे हैं?
अपहरण की रणनीति
24 मार्च को क्लाउडियो की रिहाई के साथ ही सत्तारूढ़ बीजू जनता दल के एक युवा विधायक झीना हिकाका का अपहरण कर लिया गया। यद्यपि इस अपहरण के पीछे माओवादी गुटों की आपसी स्पर्धा बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि दो इतालवी नागरिकों का अपहरण उड़ीसा स्टेट आर्गनाईजिंग कमेटी के द्वारा किया गया, जबकि विधायक हिकाका का अपहरण आंध्र-उड़ीसा बॉर्डर स्पेशल जोनल कमेटी ने कराया। पहली कमेटी का प्रवक्ता सत्यसाची पांडा है जबकि दूसरी कमेटी का प्रवक्ता जगबंधु नामक व्यक्ति है। किंतु दोनों की कार्यशैली और रणनीति समान ही दिखायी दे रही है। सव्यसाची पांडा और जगबंधु दोनों ही सरकार के सामने अपनी शर्तें एक आडियो कैसेट के माध्यम से रखते हैं। वह आडियो कैसेट कुछ चुने हुए पत्रकारों को भेज दिया जाता है जो उसे प्रचारित करते हैं। दोनों ही गुट अपहरण का उपयोग अपने बंदी कार्यकर्त्ताओं की रिहाई के लिए करते हैं। वे सुरक्षा बलों की प्रतिरोधात्मक कार्रवाई को रुकवाना चाहते हैं। अपने सार्वजनिक संगठनों पर से सरकारी अंकुश को हटवाना चाहते हैं। सव्यसाची पांडा अपनी पत्नी शुभाश्री दास उर्फ मिली पांडा की रिहाई के लिए व्याकुल थे। शुभाश्री ने एक साक्षात्कार में बताया कि सव्यसाची से उनका प्रेम विवाह 1999 में सम्पन्न हुआ। उसके पांच साल बाद वे माओवादी आंदोलन का हिस्सा बने। सव्यसाची पर कई माओवादी महिलाकर्मियों के साथ बलात्कार के आरोप हैं। शुभाश्री ने इन आरोपों का खंडन नहीं किया। शुभाश्री अब जेल से रिहा कर दी गयी है। पाउलो को भी पिछले सप्ताह मुक्त कर दिया गया। किंतु विधायक हिकाका को माओवादियों की प्रजा अदालत के सामने पेश कर उन्हें विधायक पद से त्यागपत्र देने का निर्देश दिया गया, जिसे उस अदालत में मान लेने के बाद उन्हें भी गत 26 अप्रैल को छोड़ दिया गया। ऐसा क्यों? यदि माओवादी सचमुच जनजातियों का राजनीतिक सशक्तिकरण करना चाहते हैं तो उन्हें 37 वर्षीय हिकाका के विधायक बनने पर प्रसन्नता होनी चाहिए और उन्हें जनजातियों में अधिक सेवा कार्य करने की प्रेरणा देनी चाहिए। किंतु हिकाका पर विधायकी छोड़ने का दबाव डालने का अर्थ है कि जनजातियों में हिकाका की लोकप्रियता चर्च के मतान्तरण कार्यक्रम में बाधक बन रही है, इसलिए वे उसे मैदान छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले के प्रशासक (कलेक्टर) एलेक्स पाल मेनन का दिन- दहाड़े भरी सभा में से अपहरण अभी भी रहस्य से घिरा है। घटनास्थल पर ही उनके दो अंगरक्षकों की हत्या कर दी गयी। कहा जाता है कि मेनन बहुत साहसी और लोकप्रिय अधिकारी हैं। उनकी रिहाई के लिए जो शर्तें अपहरणकर्त्ताओं ने सरकार के सामने रखी हैं, वे उनकी रणनीति को स्पष्ट करती हैं। उन्होंने सुरक्षाबलों की माओवादी विरोधी कार्रवाई को तुरंत बंद करने, अबूझमाड़ क्षेत्र से सैनिक छावनी को हटाने और सेना को दी गयी जमीन को वापस लेने की मांग की है। इन मांगों के पीछे उनकी सामरिक रणनीति विद्यमान है। अग्निवेश आदि कई बिचौलिये उनके समर्थन में सक्रिय हो गये हैं। सरकार और माओवादियों ने अपने-अपने पक्ष से वार्ताकारों के नाम प्रस्तुत कर दिये हैं। इस वार्ता में से क्या निकलता है, यह अभी देखना बाकी है। कलेक्टर मेनन के नाम से प्रकट होता है कि वे ईसाई मतावलम्बी हैं? उनके अपहरण के पीछे चर्च की क्या रणनीति हो सकती है, इसकी तह तक पहुंचना भी आवश्यक ½èþ*n

ये हाल है आसाम का!डेढ लाख से ज्यादा हिंदूओं को जबरन हटाया गया. कैम्प में रहने पर मज़बूर हिंदूओ की दुर्दशा पर रोने के लिये ना केन्द्र सरकार और ना आसाम सरकार के पास फुरसत है.विदेशी फण्ड के लिये रोने वाली पेशेवर रूदालियों का भी अता पता नही है.बिके हुये चैनलो को तो खैर ये नज़र आयेगा ही नही.पता नही क्यों बार बार गुज़रात पर दहाड मार मार कर रोने वाले कांग्रेसी और कथित धर्मनिरपेक्ष नेता कंहा छिप गये हैं?क्या कश्मीर की तरह इसे भी भारत का हिस्सा नही मान रहे हैं वे देश के ठेकेदार?क्या सिर्फ गुजरात के ही लिये रोयेंगे वे लोग?क्या ये साम्प्रदायिक हिंसा नही है?सबसे दुःख की बात तो ये है कि हरामज़ादे बांगलादेशी घुसपैठिये हमारे देशवासियों पर हमला कर रहे हैं.थू है इस देश की कथित धर्मनिरपेक्ष नीति पर और उसी का दम भरने वाले नेताओं पर.

टॉक इन इंग्लिश .

टॉक इन इंग्लिश ...

स्कूल बस में बैठी वह मासूम सी शिक्षिका 'मोना' खिड़की के बाहर देख रही थी। दिन भर की थकान के बाद घर पहुँच कर अपने मासूम बच्चों से मिलकर उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाने की जल्दी थी उसे। अपने ही ख्यालों में डूबी हुयी वह खिड़की के बाहर देख रही थी। बस अपनी रफ़्तार से बढ़ी चली जा रही थी। बस के अन्दर अन्य शिक्षिकाओं और स्कूल के बच्चों की आवाजें गूँज रही थीं। बच्चे भी घर जाने की ख़ुशी में मस्त , दोस्तों के साथ निश्चिन्त होकर बातें कर रहे थे। कोई चुटकुला सुना रहा था तो कोई आपस में मिलकर खेल रहा था।

सहसा नेपथ्य में कोर्डीनेटर-मैडम की आवाज़ गूँज उठी- " टॉक इन इंग्लिश" और फिर नाज़ुक गालों पर चाटों की बरसात। सहम गए मासूम बच्चे। गुनाह कर दिया था हिंदी में बात करके....

मोना सोचने लगी, कहाँ जा रहा है ये देश । अपने ही देश में जन्मे बच्चे अपनी मातृ-भाषा में बात भी नहीं कर सकते। मैकाले की शिक्षा पद्धति ने किस कदर हमें गुलाम बना लिया है।

लाचारी में उसकी आँखों से दो- बूँद आँसू टपक पड़े...

बस आगे बढ़ी जा रही थी। बच्चे के सिसकने की आवाज़ आ रही थी। अगले स्टॉप पर कोर्डीनेटर-मैडम उतर गयीं। उनके जाने के बाद मोना ने उस बच्चे को अपनी गोद में बैठा लिया। उसकी सिसकियाँ थम गयीं थीं। मोना ने उसके आँसू पोछे और उससे हिंदी में एक गीत सुनाने को कहा।

च्चा गुनगुना उठा--- सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दोस्ताँ हमारा....Divya Srivastava

खबर आसाम से है


मेरा निवेदन है कि इस लेख को थोड़ा समय देकर पढे ।
आजादी के बाद कांग्रेस सरकार के प्रंधानमंत्री नेहरु की कश्मीर नीति की विफलता और मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण देश को कश्मीर समस्या का एक जख्म मिला , जो आज नासूर बन गया है , कश्मीर मे पाकिस्तानी झंडा फहराया जाता है , कहने को तो कश्मीर भारत का हिस्सा है लेकिन श्रीनगर के लाल चौक पर भारत सरकार की इतनी हिम्मत नही है कि वंहा तिंरगा फहरा सके । हजारो कश्मीर पडितो का कत्लेआम हुआ , स्थानीय निवासी अपने ही राज्य में आज भी शरणार्थी बने हुये है । पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते है लेकिन बहरी जम्मू कश्मीर और केन्द्र की काग्रेस सरकार को ये सुनाई नही देते ।
लेकिन उससे सबक ना लेते हुये कांग्रेस सरकार ने इस देश के लिये एक और ' कश्मीर तैयार कर दिया है , असम मे हालात खराब है , बाग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियो मे संगठित होकर स्थानीय निवासियो को कत्ले आम शुरु कर दिया है , अब तक मरने वालों की संख्या बढ़कर 32 (सरकारी आकड़े) हकिकत हजारो मे है ।
। हिंसा राज्य के 11 जिलों के करीब 500 गांवों में पहुंच गई है। वहीं, प्रदेश में अब तक 2लाख लोग घर छोड़कर भाग चुके हैं। 50 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों की शरण ले चुके हैं,
बोडो लोगों की रिहायश वाले राज्य के आठ जिलों में तनाव का माहौल है। हालात से निपटने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से अर्द्धसैनिक बलों की 50 और कंपनियां मांगी हैं।
आठ जिलो मे कर्फ़्यू लगा है देखते ही गो्ली मारने के आदेश जारी कर दिये है ।
पूरे हिंदुस्तान का संपर्क इस समय वहाँ से टूटा हुआ है.
कल रात राजधानी एक्सप्रेस पर हमला हुआ । करीब 37ट्रेन रद्द है और 30हजार यात्री असम मे भूखे प्यासे फंसे हुये है

इन हालातो के जिम्मेदार कौन ?
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जिम्मेदार है बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिये जिन्हे काग्रेस सरकार ने मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर चलते हुये राजनैतिक संरक्षण दिया ।

वर्षो से अवैध बांग्लादेशियों को इस देश मे शरण दी जाती रही है और एक अध्ययन और BBC की रिपोर्ट के अनुसार ,
अब तक 3करोड़ बाग्लादेशी अवैध रुप से भारत मे रहते है .
इन्हे कभी देश से नही निकाला गया क्योकि ये काग्रेसी वोटर है , खुद काग्रेसियो ने इनके फर्जी वोटर कार्ड बनवाये
इस विडियो को देखे की कैसे पकड़े गये बाग्लादेशियों ने फर्जी नागरिकता दस्तावेज बनवाये।
ये महिला कबूल कर रही है कि ये काग्रेसी वोटर है और बाग्लादेशी है
http://www.youtube.com/watch?v=yprBKTOgnkI

असम के सोनारिपारा मे पाकिस्तानी झंडा फहरा दिया दिया है
देखे विडियो
http://www.youtube.com/watch?v=0oI-PjQkXx4

कहां है इस देश का मीडिया ? सरकार ? वो सब राष्ट्रपति की ताजपोशी मे लगे है ।
इस का आम आदमी ऐसे ही मरता रहा है और आगे भी मरता रहेगा । आज असम मे कत्ले आम हो रहा है कल हमारी बारी है , आप सोते रहो… कर भी क्या सकते हो , इंसानी लाशो का तमाशा देखने के सिवा ।

जब रोम जल रहा तब नीरो बंसी बजा रहा था ..ये बात तो हुई पुरानी .. आज का आधुनिक नीरो भारत में है .नाम है मनमोहन सिंह ..पद प्रधानमंत्री भारत सरकार ... काबिलियत .. संसद के पिछले दरबाजे ( राज्यसभा ) से निर्वाचित जिसको भारत की जनता ने नहीं चुना ,,, उनको आसाम की एक राज्य सभा सीट के जरिये भारत पर खडाऊ शासन के लिये नियुक्ति मिली है ... फिलहाल मुद्दा ये है की प्रधानमंत्री जिस आसाम के पते से निवाचित हुए है और बही आसाम पिछले एक महीने से भीषण बाढ़ की चपेट में है ..आसाम के कई हिस्सो का संपर्क भारत से कट चुका है ,,,इसी वीच कोढ़ में खाज जैसी स्थिति तब पैदा हुई जब कांग्रेस के स्थायी वोट बैक ie बंगलादेश से आये मुस्लिम घुसपैठियों ने बड़ी संख्या में स्थानीय निबासियो का कत्लेआम करना शुरू कर दिया .. ये बही आसाम है जहा पर अक्सर सीमा पर भारतीय सुरक्षाबलों की मुस्लिम घुसपैठियों द्वारा घेर कर हत्याए की जा चूकी है .............सूचना मिली थी की राष्ट्रपति चुनाव की गतिविधियों में से कुछ घंटो का समय निकाल कर भारत के दोनों प्रधानमंत्रियों ने ( घोषित + अघोषित ) आसाम का हवाई सर्वेक्षण करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है ,,, आसाम के हालत इस समय इतने खराब है की उस पर विदेशी मीडिया भी चिंता प्रकट कर रहा है ,,लेकिन भारत के नीरो मनमोहन एंड कम्पनी की बात तो छोडिये खुद को लोकतंत्र का चौथा खंभा कहने का दम भरने बाला मीडिया भी सन्नाटा मारे है .........!!!
http://www.bbc.co.uk/news/world-asia-india-18964870
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मित्रो आसाम मे बांग्लादेशियो का हौसला इतना कैसे बढ गया कि वहाँ उन्होने नापाकिस्तान का झण्डा फहरा दिया???मैं बताता हुँ-कुछ साल पहले महज वोटो के लिये यूपीए -१ के एक मँत्री रामविलास पासवान का ये बयान आया-"बांग्लादेशीयो को भारत का नागरिक बनादिया जाये,उन्हे मत का अधिकार दिया जाये और उनकी सुरक्षा का इंतजाम किया जाये।अल्पसंख्यको के हितो का संरक्षण किया जाये।"जब भडुवे मँत्रीयो के ये बयान होंगे तो भारत मे इसी तरह कश्मीर पे कश्मीर बनते जायेंगे!!
इसीलिये जागो और देश बचाओ


आसाम में एक कमी रह गयी थी वो भी अब पूरी हो गयी हे ..................

बहुत बहुत बधाई हो इस देश के सेकुलर और धर्मनिरपेक्ष लोगो को , जो अब भी भाई- भाई का नारा देते है ,

जिहादी मुल्लो ने जिन बोडो हिन्दू आदिवासी इलाक को आतंक और मार काट से खाली करवाया था अब वंहा पाकिस्तानी झंडा लहरा दिया हे !!

सरे आम तथाकथित धर्म निरपेक्ष सविंधान और कानून व्यवस्था का बलात्कार किया जा रहा हे !!



http://www.youtube.com/watch?v=1B60_gPf0Ro
आसाम मे कई जगह मुसलमानों ने पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया है | ये देखिये टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट |

अब कहाँ छुपा है भोदू युवराज ? भठ्ठा परसौल मे नौटकी करता था , अब कोकराझार मे जाकर कब नौटंकी करेगा ?

मित्रों, सिर्फ दो टके के वोट के लिए नीच कांग्रेस ने इस देश को आज बर्बाद कर दिया है ..

पहले कश्मीर, फिर केरल और अब आसाम ...

जागो हिन्दुओ जागो .. अब जाति पाती से उपर उठकर सम्पूर्ण हिन्दुत्व के बारे मे सोचो |

गुजरात के पटेल मित्रो, किसी भी बापा के बहकावे मे आने से पहले एक बार आसाम के बारे मे जरूर सोच लेना |

एक जमाने मे असाम मे हिंदू कई जाति और जनजातियो मे बटी थी , जैसे गारो, खासी, जयंतिया, बोडो, मारवाड़ी, बिहारी प्रवासी, आदि ..

लेकिन आज सब एक होकर बंगलादेशी मुसलमानों का मुकाबला कर रहे है


खबर आसाम से है असम में बंगलादेशी घुसपैठियों ने बोडो जाती के हिन्दुओं को मार कर भगा दिया है और असम में लगा दिया है पाकिस्तान झंडा l
कांग्रेस ने वोटों के लालच में इन बंगला देसी मुल्लो को शरण दी और कांग्रेस का साथ और समर्थन पा कर ही आज ये अपनी औकात भुला बैठे है l

कांग्रेसियों की इस हरकत को देश कर मुझे एक बहुत पुराणी कहानी याद आ रही है l बहुत पहले एक रजा हुआ करते थे जैचंद उन्होंने प्रथ्विराज चौहान को हराने के लिए मुल्लों का साथ दिया उम्मीद थी की हम इसी तरह राज़ करते रहेंगे हुआ उल्टा ही मुल्लो से हाँथ मिलाया मुल्लो ने पीठ पर वार किया न सत्ता बची न जान l

कुछ ऐसा होता आज भी नज़र आ रहा है सत्ता के लिए मनमोहन सरकार इनका साथ तो दे रही है पर कहीं न कहीं अपने पतन की और बढ़ रही है l

पर याद रहे दोस्तों जैचंद की उस एक गलती ने हमे सालों तक गुलामी की जंजीरों में लपेट दिया था अब हम ऐसा नहीं होने देने और उसके लिए जरुरत है खड़े होकर आवाज उठाने की l किसी के भरोसे मत रहो कोइ
कुछ नहीं करगा जो करना आपको खुद ही करना होगा कश्मीर में
जब हिन्दू मर रहा था तो कोइ नहीं गया ना आज आसाम में कोइ जा रहा है l

दोस्तों कोइ भगवा पहन कर सर पर काली टोपी लगाने वाला संत कभी संत नहीं हो सकता कोइ मुल्लों के आगे हाँथ फ़ैलाने वाला किसी हिन्दू के लिए लड़ने नहीं आएगा l

मित्रों हिन्दुत्व की कीमत पर हमे कोइ नीला पीला और काला धन नहीं चाहिए l नहीं चाहिए कोइ लोकपाल और जोक्पाल हिन्दुत्व की कीमत पर l

अगर अपना घर अपना परिवार बचाना है तो उठ खड़े हो जाओ और अपने अन्दर के हिन्दुत्व को जगाओ या फिर सेकुलर बन अपनी बारी का इंतजार करो हो सकता है आप बच भी जाओ पर आपकी आगली पीढ़ी कभी नहीं बच पायेगी l
जय महाकाल
अगर असम में हिंदुओं के नरसंहार को आप टीवी चैनलों पर नहीं देख पा रहें हैं तो उसके पीछे कुछ खास वजहें हैं। राजदीप सरदेसाई के अनुसार जब तक 1000 हिंदू नहीं मरते, तब तक वो कोई खबर ही नहीं है। बेचारे को गुजरात के दंगों से बड़ा सदमा पंहुचा हुआ लगता है या फिर मुँह में इतने पैसे ठूंस दिए गए हैं कि सच नहीं निकाल पा रहा है।

अगर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ऐसा होता है तो मैं थूकता हूँ ऐसी मीडिया के दलालों पर....जीने लिए दंगे तो केवल 'गुजरात' में होते हैं और दंगा पीड़ित केवल मुसलमान होते हैं। आ......क थू
सोचिए जरा !

Monday 23 July 2012

"लव जेहाद"


ग्लोबल काउंसिल ऑफ़ क्रिश्चियन्स के अध्यक्ष हैं डॉ सजन के जॉर्ज, इन्होंने तथा केरल की कैथोलिक बिशप काउंसिल ने फ़िर एक बार देश के ईसाईयों से अपील की है, कि वे "लव जेहाद" की गम्भीरता को समझें और मुस्लिमों से कोई सम्बन्ध ना रखें…

कोचीन की एक ईसाई महिला दीपा चेरियन अपने पति को छोड़कर अपने प्रेमी नौशाद के साथ भाग निकली और अपना नाम शाहीन रख लिया। जब वह वापस लौटी तब उसके पास दो-दो सिम कार्ड बरामद हुए, जिसमें से एक सिम का नम्बर उस फ़रार आतंकवादी का था, जिसे केरल पुलिस ढूँढ रही है।

हालांकि कोचीन हवाई अड्डे पर उतरते ही चेरियन उर्फ़ शाहीन को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है, परन्तु क्रिश्चियन काउंसिल ने अपनी ओर से जारी प्रेस वक्तव्य में कहा है कि 2006 से 2010 के बीच 2868 ईसाई महिलाएं गायब हुई हैं, जिनमें से कुछ ही इस्लाम अपनाकर वापस लौटीं, बाकी का कुछ अता-पता नहीं चला। डॉ जॉर्ज ने आशंका व्यक्त की है कि इनमें से अधिकांश महिलाओं का "उपयोग" आतंकवादियों को मदद पहुँचाने तथा ऐसी घटनाओं में "चारे" के रूप में किया जाता है।

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अरे हाँ… एक बात बताना तो भूल ही गया, कि यदि दो-दो बड़ी ईसाई काउंसिलें "लव-जेहाद" पर चिंता व्यक्त करें और मुस्लिमों के बहिष्कार की अपील करें, तो यह "साम्प्रदायिकता" की श्रेणी में नहीं आता… लेकिन कोई हिन्दू संगठन ऐसी अपील करे, या लव-जेहाद की बात भर करे तो वह तड़ से साम्प्रदायिक घोषित कर दिया जाता है…
 

Saturday 21 July 2012

पोलिसी बेचने वालो से सावधान !!!!

पोलिसी बेचने वालो से सावधान !!!!
मेरी एक hdfc की पोलिसी थी ,
जिसका प्रीमियम एक लाख रु साल था और ये दस साल तक हर साल देना था!पोलिसी का नाम था hdfc saving assurance plan,
ये मार्केट लिंक नहीं थी ,ये एक ट्रडिशनल पोलिसी थी
मुझे लगता है की उस में कुछ खास नही मिलेगा ,उस को २ साल हो जायेगे जुलाई में ने सोचा इसे तुडवा लिया जाये ,इस के लिये में ने hdfc life में फोन लगाया में ने उन से पूछ कि अगर में इसे तुडवाउ तो मुझे क्या मिलेगा,तो उन का जवाब था कि आप को कुछ भी नहीं मिलेगा ,यानी कि जो दो लाख रु में दे चुकी हू वो जीरो ,में ने पूछ अगर में एक साल और चला कर यानी तीन साल पुरे कर दू तो क्या मुझे मेरे तीन लाख रु वापस मिल जायेगे ,उन्होंने कहा नहीं तब आप को 1,50,000 रु ही मिलेगे !यानी कि अब में इन के जाल में फस चुकी हू ,निकलने का कोई रास्ता नहीं ,ये लेख में इस लिये लिख रही हू कि में तो फस चुकी हू आप तो बच जाइये ,मुझे तो ये समझ नहीं आता कि पोलिसी हम फायदे के लिये खरीदते है या घाटे के लिये ,इस पालिसी से मुझे 13लाख के लगभग मिलेगे जब कि मुझे 17 लाख के आस पास बताये गाये थे ,इससे अच्छा तो fdहै कम से कम जब मर्जी पैसे निकाल लो और पालिसी से ज्यादा भी मिलेगे पोलिसी भी ये लोग एक महीने के बाद भेजते है ,जब कि वापिस करने कि मोहलत 15 दिन कि होती है ,और हद तो ये है कि ये मुझ से दस सालो में दस लाख रु लेगे और मुझे 8,41,480 रु कि गारंटी देगे कि ये तो आप को मिलेगा ही मिलेगा,इसे आप अधिक से अधिक share जरुर करे !!

Thursday 19 July 2012

क्या हमें आज़ादी " बिना खड्ग बिना ढाल " मिली ?


क्या हमें आज़ादी " बिना खड्ग बिना ढाल " मिली ? ये तथ्य पढने के बाद शायद हम ऐसा ना सोचे .....
जब भारत को आज़ादी मिली तब ब्रिटेन के प्रधान मंत्री थे श्रीmaan एटली जो सन १९४५ से १९५१ तक ब्रिटेन के प्रधान मंत्री रहे . १९५६ में वे एक बार भारत घुमने आये .तब पश्चिम बंगाल के हाय कोर्ट के चीफ जस्टिस पी .वी. चक्रवर्ती कार्यवाहक राज्यपाल थे .उन्होंने एटली से पूछा की आपने १९४७ में भारत को आज़ाद क्यों किया ? १९४२ में आपने गांधी जी के आन्दोलन को मजबूती से कुचल दिया था . १९४५ में विश्व युद्ध में विजय प्राप्त करी . फिर उनके पास परमाणु बम जैसे हथियार आये . उनकी बनाई इमारतें जैसे डाक बंगले , रेस्ट हाउस , गेस्ट हाउस , रेल की पटरियाँ , राष्ट्रपति भवन , संसद भवन आदि इतने मज़बूत थे ; की मानो उनका इरादा आगे ५०० -१००० साल तक भारत को लूटने का था . तब एटली का जवाब ध्यान देने योग्य है . उन्होंने कहा नेताजी की आज़ाद हिंद फ़ौज ने हमारी नाक में दम कर रखा था . ब्रिटिश राज्य की रीढ़ की हड्डी थे भारतीय सैनिक जो उनकी सेना को मजबूती देते थे और जिनकी मदद से वे भारतीयों पर राज करते थे . पर आज़ाद हिंद फ़ौज के निर्माण के बाद भारतीय सैनिकों ने बगावत कर दी .भारतीय सैनिकों की श्रद्धा ब्रिटेन के राज मुकुटऔर राज परिवार में नहीं रही .जब आज़ाद हिंद फ़ौज ने बर्मा के रास्ते ब्रिटिश भारत पर आक्रमण किया और चलो दिल्ली का नारा दिया तो नौसेना ने विद्रोह कर दिया . अपने हथियार डाल दिए और बंदूकों का मुंह अंग्रजों की और कर दिया . आज़ाद हिंद फ़ौज के बैनर लगा दिए .पूरा देश ज्वालामुखी की तरह लगने लगा और अंग्रेजों को लगा की वे उसके मुंह पर बैठे है . अगर भारत को आज़ादी नहीं दी तो ये कभी भी फट कर हमें राख कर देगा .२१ अक्तूबर १९४३ को नेताजी और रास बिहारी बोस ने आज़ाद हिंद सरकार की स्थापना की .अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजों को नीचा दिखाने के लिए भारत की सरकार भारत के बाहर बनाना एक बहुत बड़ी कूट नीतिक चाल थी . इस सरकार को नौ देशों से मान्यता दिला दी .उन्होंने अंग्रेजों को आक्रमणकारी घोषित कर दिया .उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई रेजिमेंट बनाकर महिलाओं को आज़ाद हिंद फ़ौज में स्थान दिया .भारत के विभाजन के बाद गांधी जी को ये कहना पडा की आज अगर नेताजी होते तो ये दिन ना देखना पड़ता .नेताजी ने आज़ादी मिलने के पहले स्वदेशी व्यवस्था देश में स्थापित हो इसकी तैयारी कर ली थी .
स्वतंत्रता के बाद जब आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिक जो अंग्रजों ने विद्रोही घोषित किये थे उनमे से जो पाकिस्तान गए उन्हें तो वहां की सेना में तुरंत ले लिया गया . पर दुर्भाग्यपूर्ण आश्चर्य की बात ये है की जो भारत में रहे उन्हें भारतीय सेना में नहीं लिया गया क्यों की वे बागी सैनिक घोषित हुए थे . इससे ज़्यादा शहीदों का अपमान क्या हो सकता है .....इंडिया गेट पर उन सैनिकों के नाम है जिन्होंने अंग्रेजों के लिए युद्ध में भाग लिया . पर उनके नाम नहीं है जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए युद्ध में भाग लिया .....
जागो भारत जागो .........................................
 

Friday 6 July 2012

प्रदक्षिणा क्यों करना चाहिए

प्रदक्षिणा क्यों करना चाहिए
- हर गोल घुमने वाली वस्तु के घुमने से आकर्षण शक्ति उत्पन्न होती है .
- इस ब्रम्हांड में सभी ग्रह सूर्य की प्रदक्षिणा कर रहे है . जिससे उनमे आकर्षण शक्ति उत्पन्न होती है .
- पृथ्वी और सभी ग्रह अपने इर्द गिर्द ही प्रदक्षिणा कर रही है .
- अपने हाथ में बाल्टी में पानी रख जोर से गोल घुमे तो पानी नहीं गिरेगा .उसी तरह जब पृथ्वी घूम रही है तो उस पर के सभी जड़ पदार्थ उसी पर रहते है .
- हर अणु में इलक्ट्रोन भी प्रदक्षिणा कर रहें है .
- तक्र से माखन बिलोते समय भी उसे गोल गोल घुमाने से उसमे ब्रम्हांड में मौजूद शक्ति आकर्षित होती है .
- इस शक्ति को अनुभव करना हो तो अपने हाथों को इस तरह रखे जैसे उसमे गेंद पकडे हो . अब हाथों को कंधे तक उठाकर उन्हें ऐसे घुमाए जैसे डमरू बजा रहे हो . थोड़ी ही देर में उँगलियों में भारीपन महसूस होगा . यहीं ब्रम्हांड से आकर्षित शक्ति का अनुभव है . अब हलकी सी ताली बजाते हुए इसे अपने अन्दर समाहित कर ले .
- इसी प्रकार जब हम ईश्वर के आस पास परिक्रमा करते है तो हमारी तरफ ईश्वर की सकारात्मक शक्ति आकृष्ट होती है और जीवन की नकारात्मकता घटती है . कई बार हम स्वयं के इर्द गिर्द ही प्रदक्षिणा कर लेते है . इससे भी ईश्वरीय शक्ति आकृष्ट होती है .नकारात्मकता से ही पाप उत्पन्न होते है . तभी तो ये मन्त्र प्रदक्षिणा करते समय बोला जाता है --
यानी कानी च पापानि , जन्मान्तर कृतानि च |
तानी तानी विनश्यन्ति , प्रदक्षिण पदे पदे ||
- प्राण प्रतिष्ठित ईश्वरीय प्रतिमा की , पवित्र वृक्ष की , यज्ञ या हवन कुंड की परिक्रमा की जाती है जिससे उसकी सकारात्मक शक्ति हमारी तरफ आकृष्ट हो . सूर्य को देखकर या मूर्ति के सामने हम अपने इर्द गिर्द ही घूम लेते है .
- शिवलिंग से निकलने वाले जल को नहीं लांघा जाता . उसकी अर्ध परिक्रमा की जाती है . क्योंकि प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग में शिव शक्ति होती है जिसे लांघने से शक्ति नष्ट हो सकती है .

प्रदक्षिणा क्यों करना चाहिए

प्रदक्षिणा क्यों करना चाहिए
- हर गोल घुमने वाली वस्तु के घुमने से आकर्षण शक्ति उत्पन्न होती है .
- इस ब्रम्हांड में सभी ग्रह सूर्य की प्रदक्षिणा कर रहे है . जिससे उनमे आकर्षण शक्ति उत्पन्न होती है .
- पृथ्वी और सभी ग्रह अपने इर्द गिर्द ही प्रदक्षिणा कर रही है .
- अपने हाथ में बाल्टी में पानी रख जोर से गोल घुमे तो पानी नहीं गिरेगा .उसी तरह जब पृथ्वी घूम रही है तो उस पर के सभी जड़ पदार्थ उसी पर रहते है .
- हर अणु में इलक्ट्रोन भी प्रदक्षिणा कर रहें है .
- तक्र से माखन बिलोते समय भी उसे गोल गोल घुमाने से उसमे ब्रम्हांड में मौजूद शक्ति आकर्षित होती है .
- इस शक्ति को अनुभव करना हो तो अपने हाथों को इस तरह रखे जैसे उसमे गेंद पकडे हो . अब हाथों को कंधे तक उठाकर उन्हें ऐसे घुमाए जैसे डमरू बजा रहे हो . थोड़ी ही देर में उँगलियों में भारीपन महसूस होगा . यहीं ब्रम्हांड से आकर्षित शक्ति का अनुभव है . अब हलकी सी ताली बजाते हुए इसे अपने अन्दर समाहित कर ले .
- इसी प्रकार जब हम ईश्वर के आस पास परिक्रमा करते है तो हमारी तरफ ईश्वर की सकारात्मक शक्ति आकृष्ट होती है और जीवन की नकारात्मकता घटती है . कई बार हम स्वयं के इर्द गिर्द ही प्रदक्षिणा कर लेते है . इससे भी ईश्वरीय शक्ति आकृष्ट होती है .नकारात्मकता से ही पाप उत्पन्न होते है . तभी तो ये मन्त्र प्रदक्षिणा करते समय बोला जाता है --
यानी कानी च पापानि , जन्मान्तर कृतानि च |
तानी तानी विनश्यन्ति , प्रदक्षिण पदे पदे ||
- प्राण प्रतिष्ठित ईश्वरीय प्रतिमा की , पवित्र वृक्ष की , यज्ञ या हवन कुंड की परिक्रमा की जाती है जिससे उसकी सकारात्मक शक्ति हमारी तरफ आकृष्ट हो . सूर्य को देखकर या मूर्ति के सामने हम अपने इर्द गिर्द ही घूम लेते है .
- शिवलिंग से निकलने वाले जल को नहीं लांघा जाता . उसकी अर्ध परिक्रमा की जाती है . क्योंकि प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग में शिव शक्ति होती है जिसे लांघने से शक्ति नष्ट हो सकती है .

प्राणायाम पर कई अनुसंधान


डॉ शर्ले टेलिस के मार्ग दर्शन में पतंजलि योग पीठ में प्राणायाम पर कई अनुसंधान हुए . इसके लाभ इस प्रकार है ----
(१) -कपाल भाति प्राणायाम से ४१ % केलोरी ज़्यादा जलती है . इसके साथ बाह्य प्राणायाम करने से ये ५६ % तक ज़्यादा हो जाता है .
(२) -हाय बी पी होने पर कापाल भाति एक मिन. में ६० बार ही करना चाहिए . ऐसा ५ मिन . कर १ मिन .आराम करे .
(३) -कपाल भाति के नाम से अर्थ निकलता है कपाल अर्थात ब्रेन . इससे ब्रेन को रक्त आपूर्ति बढती है और बच्चों और ६० वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों की स्मरण शक्ति बढती है .
(४) -ये रक्त संचारण सेरीब्रल एरिया में नहीं बढ़ता ; इसलिए इससे स्ट्रोक्स होने की संभावना नहीं है.
(५) -अनुलोम विलोम से बीपी नोर्मल हो जाता है .
(६) -आनुलोम विलोम से ब्रेन के दोनों हिस्सों में समन्वय होता है . इससे मन और बुद्धि संतुलन में आ जाते है .व्यक्ति भावना और असलियत में संतुलन करना आसान पाता है .
(७) - सूर्य भेदी प्राणायाम बच्चों और नोर्मल बीपी वाले युवाओं के लिए केलोरी बर्न करने के लिए अच्छा है .
(८) -चन्द्र भेदी प्राणायाम अच्छी नींद और एन्क्जायटी के लिए अच्छा है .
(९)- २ महीनों तक उज्जायी प्राणायाम करने से खर्राटों और स्लीप एप्निया ठीक हो जाता है .
(१०) -बाह्य प्राणायाम से पेट की चर्बी समाप्त होती है जो डायबीटिज़ , हार्ट डिसीज़ और केंसर तक पैदा करती है .
(११) -उद्गीत और भ्रामरी प्राणायाम से १० दिनों में स्ट्रेस लेवल कम होता है . इसलिए ये ऑटो इम्यून डिसीज़ , मल्टिपल स्क्लेरोसिस , और रह्युमेंटोइड अर्थराइटिस को ठीक करता है .डिप्रेशन को भी ठीक करता है .
(१२) - उद्गीत और भ्रामरी रेडियेशन और कीमो थेरपी के साइड इफेक्ट्स को कम से कम करते है .
(१३) -भस्त्रिका अस्थमा और मस्कुलर डिस्ट्रोफी को ठीक करता है .
(१४) -केंसर सेल हर व्यक्ति में बनते रहते है . अगर इम्यून सिस्टम कमज़ोर पड़ जाए ; तभी ये बढ़ते है . प्राणायाम से ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है जिसमे केंसर सेल बढ़ नहीं सकते .
इसलिए प्राणायाम करते रहे और स्वस्थ रहें मुस्कुराते रहे : ))))

दालचीनी


दालचीनी

जो दालचीनी, पतली, मुलायम चमकदार, सुगंधित और चबाने पर तमतमाहट एवं मिठास उत्पन्न करने वाली हो, वह श्रेष्ठ होती है।दालचीनी की तासीर गर्म होती है। अत: गर्मी के मौसम में इसका कम से कम मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए। दालचीनी का सेवन लम्बे समय तक व लगातार मात्रा में नहीं करना चाहिए।वात-पित्त नाशक, मुंह का सूखना और प्यास को कम करने वाली होती है।दालचीनी की क्रिया श्वसन संस्थान पर अधिक होती है। यह कफ, जुकाम, क्षय (टी.बी) को नष्ट करती है। यह उत्तेजक, दर्दनाशक, स्नायु संस्थान में उत्तेजना लाने वाली, भूख बढ़ाने वाली, पाचक, अरुचि, उल्टी रोकने वाली, पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाली, मल को गाढ़ा करने वाली, दस्त बंद करने वाली, बदबूनाशक तथा गैस निकालने वाली होती है। यह मूत्रवर्द्धक, हृदयशक्तिवर्द्धक, यकृत, उत्तेजक तथा शरीर में स्फूर्ति लेने वाली होती है। यह त्वचा को निखारती है तथा खुजली के रोग को दूर करती है।इसके पत्तों को तेजपत्ता कहते है |दालचीनी के इतने लाभ है की रोज़ ही चाय में या ऐसे ही गर्म पानी से इसका चूर्ण ले लेना चाहिए .इसका चूर्ण घर में रखना चाहिए .

- पालक ठण्डा होता है। पालक में दालचीनी डालने से इसकी ठण्डी प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार दूसरे ठण्डे पदार्थों की प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार अन्य शीतल पदार्थों की प्रकृति दालचीनी डालकर बदल सकते हैं।

- यह गर्भवती स्त्री के लिए हानिकारक होती है। गर्भवती स्त्रियों को इसे नहीं लेना चाहिए अथवा कम मात्रा में लेना चाहिए।

- दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है। सिर दर्द के लिए यह बहुत ही गुणकारी औषधि होती है।दालचीनी का तेल 1 से 4 बूंद तक काम में लेते हैं। दालचीनी का तेल तीक्ष्ण और उग्र होता है। इसलिए इसे आंखों के पास न लगाएं।

- दालचीनी त्वचा के लिये कंडीशनर का काम करता है। चेहरे पर दालचीनी शहद का पैक लगाये झुर्रियां नही पड़ेगी।

- दालचीनी के लिए वसा ब्लॉक की क्षमता है. शरीर में पर्याप्त दालचीनी के साथ, वसा कोशिकाओं को आसानी से नहीं विकसित होगी.दालचीनी के लिए एक वजन घटाने inducer माना जा रहा है क्योंकि यह मुख्य रूप से पाचन तंत्र पर एक सफाई प्रभाव है.

- मसाले बैक्टीरिया, कवक हटाने में मदद कर सकते हैं और पेट और आंतों से परजीवी. इसलिए, खाना बेहतर है .दालचीनी उदार रोगों , अतिसार , ग्रहणी , अफारे ,दस्त ,कब्ज , भूख ना लगना ,वमन ,पेट दर्द आदि में लाभकारी है .

- दालचीनी में शरीर की रक्त शर्करा के स्तर को कम करने की क्षमता है, जबकि इंसुलिन के उत्पादन में वृद्धि. जब एक नियमित आधार पर एक मधुमेह रोगियों द्वारा लिया,जाए दालचीनी में इंसुलिन जैसे गुण है.यह मसाला इतना शक्तिशाली है कि यह वास्तव में इंसुलिन के लिए एक सस्ता विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह सबसे अधिक प्रकार द्वितीय मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए प्रभावी है. दालचीनी जैव सक्रिय घटक है कि यहाँ तक कि इस रोग की शुरुआत को रोका जा सकता है.

- दालचीनी ट्राइग्लिसराइड्स को भी कम करती है और शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर.भी कम करती है .

-गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी का पावडर दाल कर पेस्ट बनाएं और बालों में लगाए . एक घंटे बाद सर धो ले . इससे बाल झडना रुक जायेंगे .

- इसका सेवन रोगप्रतिरोधक शक्ति और आयु को बढाता है .

- दालचीनी का छोटा टुकडा रोजाना सुबह चबाने से हकलाने में लाभ होता है .

- संधिवात में दालचीनी के काढ़े का सेवन करने से लाभ होता है .दालचीनी के चूर्ण को शहद में मिलाकर कर लगाने से दर्द में आराम मिलता है .

- दालचीनी का तेल या इसका लेप या तेजपत्ते के पत्तों को पीस कर बनाए गए लेप से सर दर्द में आराम मिलता है .

Monday 2 July 2012

महाभारत क्यों ?


महाराज ध्रितराष्ट्र एक विशाल राष्ट्र के नेत्रहीन शासक पुत्र मोह में अपने अन्तः चक्षुओं को भी मूँद चुके थे दुर्योधन बाल्यकाल से जैसे जैसे किशोर वे में प्रवेश करता जा रहा था वैसे वैसे गंधार (आज का अफगानिस्तान) का राजकुमार शकुनी जोकि, दुर्योधन का मामा था शनै शनै दुर्योधन के नजदीक आता गया ... जैसा कि होता आया है शकुनी की कूट मित्रता के कारण दुर्योधन के आचरण निम्नतर होते गए !...

विदुर -भीष्म आदि दूरद्रष्टओं ने महाराज ध्रितराष्ट्र को जब जब भी दुर्योधन के आचरणों के प्रति आने वाले तूफ़ान के संकेत को आगाह करना चाहा तब तब अंधे नरपति ने पुत्र मोह के विवश हो उन उन मनीषियों को तिरष्कृत किया .... और स्वाभाविक रूप से इस कमजोरी का फायदा उठाया अफगान राज-पुत्र ने .... उसने ऐसे हर अवसर को दांतों से पकड़ा जहां दुर्योधन के ह्रदय में भ्रत्री - द्रोह के विष बीज बोये जा सकें !..
फलतः दुर्योधन इतना निर्लज्ज हो गया कि, अब उसे अपनी निरंकुशता के सामने ...राष्ट्र-धर्म , राज-धर्म, वंश-धर्म सब कुछ नगण्य नज़र आने लगा ... अहंकार और संगति-वश एक भरत-वंशीय राज-पुत्र निर्मम आतंकवादी के रूप में परिवर्तित हो चुका था ...
शकुनी के उकसाने पर द्रोपदी का अपमान , भीष्म पितामह की चुप्पी, लाक्षागृह की रचना की नींव वस्तुतः ध्रितराष्ट्र की इसी नेत्र हीनता का , इसी पुत्र-मोह का , और शकुनी की संगती का परिणाम था जो बना भयंकरतम रक्तपात ... 'महाभारत'
अब ज़रा आज की स्थितियों पर विचार करें ...
क्या आज भी इन्द्रप्रस्थ में कोई ध्रितराष्ट्र बैठा है ?
क्या आज भी कोई दुर्योधन नहीं है ?
क्या आज भी गंधार-पुत्र जैसे विधर्मी विष बीज नहीं बो रहे हैं ?
क्या आज भी भीष्म पितामह चुप नहीं बैठे हैं ?
क्या आज फिर किसी विदुर और भीष्म को अपमानित नहीं किया जा रहा ?
क्या आज फिर से एक लाक्षा-गृह नहीं बनाया जा रहा?
क्या फिर से किसी द्रोपदी को जेहाद के माध्यम से कोई शकुनी अपमानित नहीं कर रहा ?
क्या फिर से कुरु वंश निरंकुशता की और नहीं बढ़ रहा ?
यदि वही स्थितियां पुनः आपको महशूस हो रही हैं तो मित्र !.... फिर से होगा एक 'महा समर ' वही महाभारत जिसे बाद होगा युग परिवर्तन ....
आज भी वही जनतंत्र की स्थितियां हैं यदि बचना है उस भीषण विनाश से तो अपने आपको मजबूत कीजिये ! खत्म कर दीजिए उस दुष्ट शकुनी को .... नकार दीजिए निरंकुश कुरुता को ... अब जरूरत है किसी धर्मराज युधिष्ठिर की खोजिये .. अब वह अपने अज्ञात वास को खत्म कर चुका है ... बढिए पहना दीजिए उस युधिष्ठिर को विजयमाल ... क्योंकि यही तरीका है महाभारत को टालने का ... क्यों कि , अब यही तरीका बचा है भरत के भारत को महा विनाश से बचाने का ...

हिंदू शब्द हजारों-हजारों वर्ष पुराना है।


हिंदू शब्द भारतीय विद्वानों के अनुसार कम से कम 4000 वर्ष पुराना है। शब्द कल्पद्रुम : जो कि लगभग दूसरी शताब्दी में रचित है , में एक मन्त्र आता है.............

"हीनं दुष्यति इतिहिंदू जाती विशेष:"
अर्थात........ हीन कर्म का त्याग करने वाले को हिंदू कहते है।

इसी प्रकार अदभुत कोष में भी एक मन्त्र आता है............. ............

"हिंदू: हिन्दुश्च प्रसिद्धौ दुशतानाम च विघर्षने"।
अर्थात......... . हिंदू और हिंदु दोनों शब्द दुष्टों को नष्ट करने वाले अर्थ में प्रसिद्द है।

इतना ही नहीं...... वृद्ध स्म्रति (छठी शताब्दी) में भी मन्त्र है,............ ...............

हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्पर:। वेद्.........हि ंदु मुख शब्द भाक्।"
अर्थात........ जो सदाचारी वैदिक मार्ग पर चलने वाला, हिंसा से दुख मानने वाला है, वह हिंदु है।

ब्रहस्पति आगम (समय ज्ञात नही) में श्लोक है,............ ............... .....

"हिमालय समारभ्य यवाद इंदु सरोवं। तं देव निर्वितं देशम हिंदुस्थानम प्रच्क्षेत ।
अर्थात....... हिमालय पर्वत से लेकर इंदु (हिंद) महासागर तक देव पुरुषों द्बारा निर्मित इस क्षेत्र को हिन्दुस्थान कहते है।

और तो और.... पारसी समाज के एक अत्यन्त प्राचीन ग्रन्थ में भी लिखा है कि,

"अक्नुम बिरह्मने व्यास नाम आज हिंद आमद बस दाना कि काल चुना नस्त"।
अर्थात...... व्यास नामक एक ब्राह्मण हिंद से आया जिसके बराबर कोई अक्लमंद नही था।

इस्लाम के पिगम्बर मुहम्मद से भी १७०० वर्ष पुर्व लबि बिन अख्ताब बिना तुर्फा नाम के एक कवि अरब में पैदा हुए। उन्होंने अपने एक ग्रन्थ में लिखा है,............ ............... .

"अया मुबार्केल अरज यू शैये नोहा मिलन हिन्दे। व अरादाक्ल्लाह मन्योंज्जेल जिकर्तुं॥
अर्थात......... ... हे हिंद की पुन्य भूमि ! तू धन्य है, क्योंकि ईश्वर ने अपने ज्ञान के लिए तुझे चुना है।

१० वीं शताब्दी के महाकवि वेन लिखते हैं .....अटल नगर अजमेर,अटल हिंदव अस्थानं ।

महाकवि चन्द्र बरदाई ने भी लिखा है ............... .....
जब हिंदू दल जोर छुए छूती मेरे धार भ्रम ।

सिर्फ इतना ही नहीं...... इन जैसे हजारो तथ्य चीख-चीख कर कहते है कि हिंदू शब्द हजारों-हजारों वर्ष पुराना है।

इन हजारों तथ्यों के अलावा भी लाखों तथ्य इस्लाम के लूटेरों ने तक्ष शिला व नालंदा जैसे विश्व - विद्यालयों को नष्ट करके समाप्त कर दिए।

अतः ..... हिन्दू कोई अपमानजनक शब्द नहीं है बल्कि एक काफी गौरवशाली शब्द है......!

इसीलिए .. अपने मन की हीन भावना को त्यागिये और........ गर्व से कहो, हम हिन्दू हैं....!
जय महाकाल...!!!
 

आजादी नहीं धोखा है,

आजादी नहीं धोखा है, देश का समझौता है शासन नहीं शासक बदला है, गोरा नहीं अब काला है 15 अगस्त 1947 को देश आजाद नहीं हुआ तो हर वर्ष क्यों ख़ुशी मनाई जाती है ? 

क्यों भारतवासियों के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है l इस सन्दर्भ में निम्नलिखित तथ्यों को जानें .... :

1. भारत को सत्ता हस्तांतरण 14-15 अगस्त 1947 को गुप्त दस्तावेज के तहत, जो की 1999 तक प्रकाश में नहीं आने थे (50 वर्षों तक ) l

2. भारत सरकार का संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों में संशोधन करने का अधिकार नहीं है l

3. संविधान के अनुच्छेद 348 के अंतर्गत उच्चतम न्यायलय, उच्च न्यायलय तथा संसद की कार्यवाही अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में होने के बजाय अंग्रेजी भाषा में होगी l

4. अप्रैल 1947 में लन्दन में उपनिवेश देश के प्रधानमंत्री अथवा अधिकारी उपस्थित हुए, यहाँ के घोषणा पात्र के खंड 3 में भारत वर्ष की इस इच्छा को निश्चयात्मक रूप में बताया है की वह ...
क ) ज्यों का त्यों ब्रिटिश का राज समूह सदस्य बना रहेगा तथा
ख ) ब्रिटिश राष्ट्र समूह के देशों के स्वेच्छापूर्ण मिलाप का ब्रिटिश सम्राट को चिन्ह (प्रतीक) समझेगा, जिनमे शामिल हैं .. .(इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्री लंका) ... तथा
ग ) सम्राट को ब्रिटिश समूह का अध्यक्ष स्वीकार करेगा l

5. भारत की विदेश नीति तथा अर्थ नीति, भारत के ब्रिटिश का उपनिवेश होने के कारण स्वतंत्र नहीं है अर्थात उन्हीं के अधीन है l

6. नौ-सेना के जहाज़ों पर आज भी तथाकथित भारतीय राष्ट्रीय ध्वज नहीं हैl

7. जन गन मन अधिनायक जय हे ... हमारा राष्ट्र-गान नहीं है, अपितु जार्ज पंचम के भारत आगमन पर उसके स्वागत में गाया गया गान है, उपनिवेशिक प्रथाओं के कारण दबाव में इसी गीत को राष्ट्र-गान बना दिया गया ... जो की हमारी गुलामी का प्रतीक है l

8. सन 1948 में बने बर्तानिया कानून के अंतर्गत भाग 1 (1) 1948 के बर्तानिया के कानून के अनुसार हर भारतवासी बर्तानिया की रियाया है और यह कानून भारत के गणराज्य प्राप्त कर लेने के पश्चात भी लागू है l

9. यदि 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ तो प्रथम गवर्नर जनरल माउन्ट-बेटन को क्यों बनाया गया ??

10. 22 जून 1948 को भारत के दुसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने निम्न शपथ ली l"मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ की मैं सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा, एवंमैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूँ की मैं गवर्नर जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सव्वा करूँगा l "

11. 14 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतन्त्रता विधि से भारत के दो उपनिवेश बनाए गए जिन्हें ब्रिटिश Common-Wealth की ...धारा नं. 9 (1) - (2) - (3) तथाधारा नं. 8 (1) - (2)धारा नं. 339 (1)धारा नं. 362 (1) - (3) - (5)G - 18 के अनुच्छेद 576 और 7 के अंतर्गत ....इन उपरोक्त कानूनों को तोडना या भंग करना भारत सरकार की सीमश्क्ति से बाहर की बात है तथा प्रत्येक भारतीय नागरिक इन धाराओं के अनुसार ब्रिटिश नागरिक अर्थात गोरी सन्तान है l

12. भारतीय संविधान की व्याख्या अनुच्छेद 147 के अनुसार गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 तथा indian independence act 1947 के अधीन ही की जा सकती है ... यह एक्ट ब्रिटिश सरकार ने लागू किये l

13. भारत सरकार के संविधान के अनुच्छेद नं. 366, 371, 372 एवं 392 को बदलने या रद्द करने की क्षमता भारत सरकार को नहीं है l

14. भारत सरकार के पास ऐसे ठोस प्रमाण अभी तक नहीं हैं, जिनसे नेताजी की वायुयान दुर्घटना में मृत्यु साबित होती है l इसके उपरान्त मोहनदास गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अबुल कलाम आजाद ने ब्रिटिश न्यायाधीश के साथ यह समझौता किया कि अगर नेताजी ने भारत में प्रवेश किया, तो वह गिरफ्तार ककर ब्रिटिश हुकूमत को सौंप दिया जाएगाlबाद में ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल के दौरान उन सभी राष्ट्रभक्तों की गिरफ्तारी और सुपुर्दगी पर मुहर लगाईं गई जिनको ब्रिटिश सरकार पकड़ नहीं पाई थी l

15. डंकल व् गैट, साम्राज्यवाद को भारत में पीछे के दरवाजों से लाने का सुलभ रास्ता बनाया है ताकि भारत की सत्ता फिर से इनके हाथों में आसानी से सौंपी जा सके lउपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है की सम्पूर्ण भारतीय जनमानस को आज तक एक धोखे में ही रखा गया है, तथाकथित नेहरु गाँधी परिवार इस सच्चाई से पूर्ण रूप से अवगत थे परन्तु सत्तालोलुभ पृवृत्ति के चलते आज तक उन्होंने भारत की जनता को अँधेरे में रखा और विश्वासघात करने में पूर्ण रूप से सफल हुए l सवाल उठता है कि ... यह भारतीय थे या .... काले अंग्रेज ? नहीं स्वतंत्र अब तक हम, हमे स्वतंत्र होना हैकुछ झूठे देशभक्तों ने, किये जो पाप, धोना हैसरदार भगत सिंह कि मृत्यु के पीछे अंग्रेजों के कानूनों के बहाने गुंडागर्दी एवं क्रूरता के राज्य का पर्दाफाश करना एवं भारत के नौजवानों को भारत कि पीड़ा के प्रति जागृत करना उद्देश था l

राजीव दीक्षित कि शहादत भी षड्यंत्रकारी प्रतीत होती है, SEZ , परमाणु संधि, विदेशी बाजारों के षड्यंत्र ... आदि योजनाओं एवं कानूनी मकडजाल में फंसे भारत को जागृत करने तथा नवयुवकों को इन कार्यों के लिए आगे लाने के कारण l यदि भगत सिंह और राजीव दीक्षित और समय तक जीवित रहते तो परिवर्तन और रहस्यों कि परत और खुल सकती थी l भारत इतना गरीब देश है कि 100000,0000000 (1 लाख करोड़) के रोज रोज नए नए घोटाले होते हैं.... ?

क्या गरीब देश भारत से साड़ी दुनिया के लुटेरे व्यापार के नाम पर 20 लाख करोड़ रूपये प्रतिवर्ष ले जा सकते हैं ? विदेशी बेंकों में जमा धन कितना हो सकता है ? एक अनुमान के तहत 280 लाख करोड़ कहा जाता है ? पर यह सिर्फ SWISS बेंकों के कुछ बेंकों कि ही report है ... समस्त बेंकों कि नहीं, इसके अलावा दुनिया भर के और भी देशों में काला धन जमा करके रखा हुआ है ?

भारत के युवकों, अपनी संस्कृति को पहचानो, जिसमे शास्त्र और शस्त्र दोनों कि शिक्षा दी जाती थी l आज तुम्हारे पास न शास्त्र हैं न शस्त्र हैं .. क्यों ?? क्या कारण हो सकते हैं ??भारत गरीब नहीं है ... भारत सोने कि चिड़िया था ... है ... और सदैव रहेगा l तुम्हें तुम्हारे नेता, पत्रकार और प्रशासक झूठ पढ़ाते रहे हैं l

वो इतिहास पढ़ा है तुमने जो नेहरु के प्रधानमंत्री निवास में 75 दिनों तक अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय और अंग्रेजों के निर्देशों पर बनाया गया lजिसमे प्राचीन शिव मन्दिर तेजो महालय को ताज महल, ध्रुव स्तम्भ को क़ुतुब मीनार और शिव मन्दिर को जामा मस्जिद ही पढ़ाया जाता है lसारे यूरोप - अमेरिका के लिए लूट का केंद्र बने भारत को गुलामी कि जंजीरों से मुक्त करवाने हेतु आगे आओ lउठो.... सत्य और धर्म की संस्थापना कि हुंकार तो भरो एक बार, विश्व के सभी देशों कि बोद्धिक संपदा बने भारत l

जय हिंद...